गाजियाबाद पुलिस को मिलेगा वेपंस सिम्युलेटर, अब डिजिटल तरीके से सीखेंगे निशाना साधना
गाजियाबाद पुलिस को जल्द ही डिजिटल शूटिंग रेंज मिलेगी। यह वेपंस फायरिंग सिम्युलेटर पुलिसकर्मियों को बिना असली गोली चलाए कंप्यूटर पर अभ्यास करने की सुविधा देगा। गाजियाबाद समेत सात कमिश्नरेट में चार लेन वाले सिम्युलेटर लगाए जाएंगे जिससे एक साथ कई पुलिसकर्मी अभ्यास कर सकेंगे। यह प्रणाली वास्तविक परिस्थितियों का आभासी अनुभव कराती है और निशानेबाजी की सटीकता का आकलन करती है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। पुलिसकर्मियों को बिना गोली चलाए शूटिंग का अभ्यास कराने के लिए अब डिजिटल शूटिंग रेंज मिलेगी। कमिश्नरेट पुलिस को वेपंस फायरिंग सिम्यूलेटर शीघ्र मिलने जा रहा है। यह एक तरह से डिजिटल शूटिंग रेंज है जहां पुलिसकर्मी बिना असली गोली चलाए कंप्यूटर की स्क्रीन पर फायरिंग का अभ्यास कर सकते हैं।
इसमें असली जैसी परिस्थिति बनाई जाती हैं। इसमें पुलिसकर्मी निशाना साधकर ट्रिगर दबाते हैँ। सिस्टम बताता है कि गोली कहां लगी है और कतनी सटीकता से लगी है। प्रदेश के गाजियाबाद समेत सात कमिश्नेरट में चार लेन सिम्यूलेटर की खरीद होनी है। जिसमें एक साथ चार पुलिसकर्मी अभ्यास कर सकते हैं।
कमिश्नरेट पुलिसकर्मियों को बिना असली गोली चलाए प्रशिक्षण कराने के लिए वेपंस फायरिंग सिम्युलेटर (डिजिटल शूटिंग रेंज) शीघ्र उपलब्ध कराया जाएगा। यह सिस्टम रियल लाइफ परिस्थितियों का वर्चुअल अनुकरण कर के फायरिंग का अभ्यास कराता है और निशानेबाजी की सटीकता का कंप्यूटर आधारित आंकलन भी देता है।
गाजियाबाद समेत, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, आगरा, प्रयागराज, और गौतमबुद्धनगर कमिश्नरेट में चार लेन वाले सिम्युलेटर लगाए जाने हैं। हर सिम्युलेटर में एक साथ चार पुलिसकर्मी अभ्यास कर सकेंगे। सिम्युलेटर में अलग-अलग परिदृश्यों (जैसे भीड़-भाड़, रात की परिस्थितियां, गतिशील लक्ष्य) बनाकर वास्तविक स्थिति जैसी ट्रेनिंग दी जाती है।
पुलिसकर्मी निशाना साधकर ट्रिगर दबाते हैं और स्क्रीन पर तुरंत यह दिख जाता है कि गोली कहां लगी और उनकी सटीकता कितनी रही। प्रत्येक कमिश्नरेट में 57.62 लाख रुपये की लागत के सिम्यूलेटर लगाए जाएंगे।
निशानेबाजी की बेहतर होगी परख
अधिकारियों के मुताबिक सिम्यूलेटर का डाटा देखने पर प्रशिक्षकों को प्रत्येक पुलिसकर्मी की कमजोरी और सुधार के बिंदु पहचानने में मदद मिलेगी। इससे व्यक्तिगत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किए जा सकेंगे और समय के साथ दक्षता में सुधार आएगा। किसी भी मौसम में पुलिसकर्मियों को अभ्यास कराया जा सकेगा।
पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने से उनकी फायरिंग दक्षता बढ़ेगी और कंप्यूटर आधारित डाटा के जरिए उनकी सटीकता का आंकलन किया जा सकता है।
-जे रविंदर गौड, पुलिस आयुक्त
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