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    कोल्ड्रिफ कफ सिरप से मौत के बाद अलर्ट, दो साल से कम उम्र के बच्चों को न दें कफ सिरप

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 10:42 PM (IST)

    मध्यप्रदेश में कफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के बाद गाजियाबाद में दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सिरप पर रोक लगा दी गई है। सीएमओ ने सरकारी और निजी अस्पतालों को एडवाइजरी जारी कर निर्देशों का पालन करने को कहा है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

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    कफ सिरप को लेकर महानिदेशक के आदेश पर सीएमओ ने जारी की एडवायजरी

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। मध्यप्रदेश समेत कुछ प्रदेशों में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत के बाद प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डा. रतनपाल सिंह सुमन ने प्रदेश के सभी सीएमओ को आदेश जारी कर निर्देश दिए हैं कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी होने पर दवाएं न दी जायें। इसमें कफ सिरप भी शामिल हैं।

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    कफ सिरप के तर्कसंगत प्रयोग

    आदेश मिलने के बाद सीएमओ डाॅ. अखिलेश मोहन ने सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को इस संबंध में एडवायजरी जारी करते हुए सख्ती से अनुपालन करने के निर्देश दिये हैं। यह दिशा-निर्देश बाल चिकित्सा देखभाल में तर्कसंगत औषधि उपयोग एवं रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य के साथ भारत सरकार द्वारा बाल्य अवस्था के रोगियों में कफ सिरप के तर्कसंगत प्रयोग को लेकर जारी आदेश के क्रम में जारी किये गये हैं।

    सीएमओ ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाता है। प्राइवेट अस्पतालों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप काे तुरंत बंद करने के निर्देश दिये गये हैं। प्राइवेट अस्पतालों के निदेशक, स्वामी, प्रबंधकों के साथ आइएमए को भी इस संबंध में निर्देश जारी किये गये हैं।

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    जारी की गई एडवायजरी के बिंदु

    • दो वर्ष से कम आयु के बच्चों में खांसी-जुकाम के लिये औषधियां प्रेस्क्राइब अथवा वितरित नहीं की जानी चाहियें।
    • सामान्य तौर पर इस प्रकार की औषधियां पांच साल से कम आयु के बच्चों के लिये अनुशंसित नहीं हैं।
    • पांच वर्ष की आयु के उपरांत भी इन औषधियों का प्रयोग सावधानीपूर्वक, नैदानिक मूल्यांकन के उपरान्त तथा उचित खुराक का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण निगरानी में, औषधि के प्रभाव को आवश्यक न्यूनतम अवधि के लिये किया जाना चाहिए।
    • एकाधिक औषधि संयोजन (मल्टी ड्रग कांबिनेशन) के प्रयोग से बचा जाना चाहिए।
    • जनमानस को चिकित्सकों द्वारा अनुशंसित किए गए प्रेस्क्रिप्शन के पूर्ण अनुपालन के लिये संवेदित किया जाना चाहिए।
    • बाल्य अवस्था के रोगियों में सर्वप्रथम अनऔषधीय उपाय (नाॅन फार्मासिटिकल मेजर्स) यथा, पर्याप्त जलयोजन (तरल पदार्थों का पर्याप्त प्रयोग, हाइड्रेशन), उचित विश्राम एवं अन्य सहायक उपाय अपनाए जाने चाहिए।
    • स्वास्थ्य इकाइयों एवं नैदानिक प्रतिष्ठानों को उच्च विनिर्माण प्रथाओं के साथ निर्मित तथा औषधीय-ग्रेड के सहायक पदार्थ का प्रयोग कर तैयार उत्पादों का ही क्रय एवं वितरण सुनिश्चित करना चाहिए।
    • इन देखभाल के इन मानकों को स्थापित रखने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में औषधि प्रेस्क्राइब अथवा वितरित करने वाले चिकित्सकों एवं कर्मियो का संवेदीकरण आवश्यक है।

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