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    गाजियाबाद में एक कारोबारी से 5.25 करोड़ की ठगी, आरोपियों ने दिया था ये बड़ा लालच

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 03:26 PM (IST)

    गाजियाबाद में एक कारोबारी से राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन के नाम पर 5.25 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। आरोप है कि पांच लोगों ने मिलकर सरकारी संस्थानों में सामग्री सप्लाई करने का झांसा दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपियों ने पहले दोस्ती की फिर योजना में सामग्री सप्लाई करने का सुझाव दिया और धीरे-धीरे पैसे ऐंठते रहे।

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    कारोबारी से राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन का निदेशक बन ठगे 5.25 करोड़ रुपये।

    जागरण संवाददाता, साहिबाबाद (गाजियाबाद)। गाजियाबाद में राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन (आरजीएसएम) के अधिकारी बनकर मुरादनगर के कारोबारी से 5.25 करोड़ की ठगी का मामला प्रकाश में आया है।

    आरोप है कि महिला समेत पांच लोगों ने योजना के तहत सरकारी संस्थानों में जूते-मौजे, स्कूल बैग समेत अन्य सामग्री सप्लाई करने का झांसा दिया। तहरीर पर पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

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    मुरादनगर विजय मंडी स्थित नैनी क्रिएशन के मालिक मनोज अग्रवाल ने दर्ज कराए मुकदमे में बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन (आरजीएसएम) का अधिकारी, निदेशक व उप निदेशक बनकर उनसे ठगी की गई।

    आरजीएसएम के तथाकथित निदेशक करुणाकरन उर्फ रत्नाकर उपाध्याय, अनीता उपाध्याय, उप निदेशक सौरभ सिंह, गाजियाबाद के लैंड क्राफ्ट गोल्फ लिंक सोसायटी निवासी प्रवीण अग्रवाल और मयंक गुप्ता ने पूरा साजिश रची।

    उन्होंने बताया कि 16 मई 2024 को उनकी मुलाकात प्रवीण अग्रवाल और मयंक गुप्ता से हुई। इसके बाद व्यापार के चलते दोस्ती हो गई। साल 2024 में ही उनको दोनों ने राष्ट्रीय ग्रामीण साक्षरता मिशन में योजना सामग्री सप्लाई करने का सुझाव दिया और 10 लाख रुपये ले लिए। बातों में लेकर उनसे बाद में पूरे काम का अनुबंध कराने के नाम पर 1.15 करोड़ रुपये लिए गए।

    बताया कि दोनों उन्हें कौशांबी माल स्थित आरजीएसएम के कार्यालय ले गए और उपनिदेशक सौरभ भट्ट से मुलाकात कराई। इस दौरान काल पर उनकी बात आरजीएसएम के प्रमुख और निदेशक करुणाकर उर्फ रत्नाकर उपाध्याय से कराई गई। अधिकारी बने शातिरों ने उनसे मौके पर 50 लाख रुपये और ले लिए।

    वहीं, आठ जुलाई 2024 को संस्था की तथाकथित निदेशक सुनीता उपाध्याय ने सप्लाई कार्य टेंडर पर हस्ताक्षर करते हुए स्कूली बच्चों के जूते-मोजे सप्लाई का आर्डर दे दिया। बाद में स्कूल बैग का आर्डर दिलाने के नाम पर 45 लाख रुपये ले लिए। इसी साल सितंबर में उन्होंने 82 लाख रुपये के स्कूल बैग सप्लाई भी किए लेकिन इस बीच भुगतान नहीं मिला। भुगतान के लिए कई बार उन्होंने कार्यालय के चक्कर लगाए।

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    वहीं, सितंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच उन्हें कुल 26 लाख रुपये का भुगतान दिया गया। बकाया रकम के लिए उन्होंने करुणाकरन से बात की तब उसने उन्हें अपने दिल्ली स्थित कार्यालय बुलाया और बातों में फंसाकर फिर 10 लाख रुपये ले लिए। शक होने पर मनोज ने छानबीन शुरू की तो उन्हें खुद के साथ हो रही ठगी का पता चला। इसके बाद वह पुलिस कमिश्नर से मिले और मामला दर्ज कराया।

    एसीपी इंदिरापुरम अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि कौशांबी माल से कार्यालय बंद है। आरोपितों की तलाश की रही है। लेनदेन से जुड़े सभी दस्तावेज मंगाकर जांच कराई जा रही है।