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    फर्जी सड़क हादसे और बीमा घोटाले पर सख्ती: अब हर केस की तीन एसीपी ट्रैफिक करेंगे निगरानी

    By vinit Edited By: Neeraj Tiwari
    Updated: Wed, 01 Oct 2025 01:08 AM (IST)

    गाजियाबाद में सड़क हादसों के मुकदमों में गड़बड़ी रोकने के लिए पुलिस आयुक्त ने एसीपी ट्रैफिक को निगरानी का जिम्मा सौंपा है। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने भी ऐसे मामलों में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस जांच दुर्घटना में अहम होती है जिसके आधार पर मुआवजा तय होता है।लापरवाही से मुआवजे पर असर पड़ता है।

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    सड़क हादसों के दर्ज केसों में फर्जीवाड़े रोकने को तीन एसीपी ट्रैफिक करेगे निगरानी

    विनीत कुमार, गाजियाबाद। सड़क हादसों के मामलों में दर्ज मुकदमों में कई बार गवाह, वाहन चालक या वाहन ही गलत लगा दिया जाता है। जांच अधिकारी की मिलीभगत या लापरवाही के चलते बीमा कंपनी को नुकसान तो होता ही है न्याय की भी हत्या होती है। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने ऐसे ही मामलों में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी की याचिका पर 30 पुलिस थानों में दर्ज 33 मुकदमों की जांच सीबीआई को सौंपी है।

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    हापुड़ में सड़क हादसों के फर्जी मुकदमे दर्ज करा करोड़ों का बीमा क्लेम लेने जैसे मामले भी जांच में लापरवाही के कारण होते हैं। सड़क हादसों की जांच में गड़बड़ी न हो इसके लिए पुलिस आयुक्त ने तीनों जोन के एसीपी ट्रैफिक को निगरानी का जिम्मा सौंपा है।

    सड़क हादसों में घायल एवं मृत्यु होने पर पुलिस केस दर्ज किया जाता है। पीड़ित पक्ष टक्कर मारने वाले वाहन के चालक और स्वामी एवं टक्कर मारने वाले वाहन की बीमा कंपनी के खिलाफ मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) में वाद दर्ज कराते हैं। पूरे मामले में पुलिस की जांच सबसे महत्वपूर्ण होती है। जांच के आधार पर दुर्घटना के समय वाहन चालक के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जाती है।

    इसी चार्जशीट के आधार पर एमएसीटी में बीमा कंपनी पर हादसे में घायल की आर्थिक स्थिति, आयु और आय के आधार पर गणना कर क्लेम की धनराशि तय होती है। कुछ मामलों में वाहन चालक नाबालिग होने, शराब पीकर वाहन चलाने या अन्य वजह से जांच अधिकारी की लापरवाही या मिलीभगत के कारण बदल दिया जाता है। आशंका होने पर बीमा कंपनी अपने स्तर से भी मामले की जांच कराती है।

    जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर बीमा कंपनी मुआवजा राशि देने को तैयार नहीं होती या बेहद कम मुआवजे पर ही सहमति जताती है। इससे पीड़ित पक्ष का नुकसान होता है। ऐसे ही गड़बड़ी को रोकने के लिए सड़क हादसों के दर्ज केसों की जांच की निगरानी के लिए तीन एसीपी लगाए गए हैं। सिटी जोन, ट्रांस हिंडन जोन और देहात जोन के एसीपी ट्रैफिक अपने जोन में दर्ज हुए सड़क हादसों के मुकदमों की निगरानी करेंगे।

    बारीकी से रखेंगे निगाह

    सड़क हादसों के मामलों की जांच की गहन निगरानी के लिए तीनों जोन के एसीपी ट्रैफिक को जिम्मेदारी दी गई है। एसीपी घटनास्थल का भी निरीक्षण करेंगे और जांच के तमाम पहलुओं पर बारीकी से निगाह रखेंगे।

    -जे रविंदर गौड, पुलिस आयुक्त

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