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    गाजियाबाद में वन विभाग लगाएगा 53 प्रकार के पौधे, नई प्रजातियों पर जोर

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 02:45 PM (IST)

    गाजियाबाद वन विभाग अब 30 के बजाय 53 प्रजातियों के पौधे लगाएगा। शासन ने नर्सरी अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं जिनमें महुआ सीता-अशोक महोगनी जैसे नए पौधे शामिल हैं। विभाग ने 11 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं जिनकी ड्रोन से निगरानी हो रही है। महुआ के औषधीय गुण और अशोक वृक्ष का महत्व भी बताया गया है। अगले वृक्षारोपण में नई प्रजातियां लगाई जाएंगी।

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    गाजियाबाद वन विभाग अब 30 के बजाय 53 प्रजातियों के पौधे लगाएगा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। वन विभाग अब 30 की जगह 53 प्रजातियों के पौधे उगाएगा। इस संबंध में शासन स्तर से नर्सरी के सभी अधिकारियों और उपखंड अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

    इनमें महुआ, सीता-अशोक, महोगनी, मालाबार नीम, तून, शमी, गुटील, जंगल जलेबी, इमली, चीकू प्रजातियों के पौधे पहली बार नर्सरी में उगाए जाएंगे। फिलहाल विभाग ने 11 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं। इनका ड्रोन से निरीक्षण भी किया जा रहा है। नए लगाए गए पेड़ों की भी ड्रोन से निगरानी की जाएगी।

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    शासन स्तर से नये वृक्षारोपण की सूची: सजावटी प्रजातियां

    गोल्डमोहर, कनक चंपा, लाल कनेर, बॉटलब्रश, कचनार, जारुल, टिकोमा, ढाक या पलाश, अमलताश, हरसिंगार

    फल बियरिंग्स

    अनार, बेल, अमरूद, जामुन, इमली, आम, आंवला, बेर, जंगल जलेबी, कटहल, कैथा, नींबू, चीकू, मीठा सहजन, करोंदा, पपीता

    छायादार पेड़

    नीम, पाकड़, पीपल, बरगद, गुटैल, चकरेसिया, बालमखिरा, सागौन, अर्जुन, हरड़, बहेड़ा, अशोक, सीता अशोक, कदम्ब

    अन्य प्रजातियां

    महोगनी, मालाबार नीम, मोलश्री, देशी बबूल, सफेद सिरस, बांस, शहतूत, पुत्रंजीवा, महुआ, करी पत्ता या मीठा नीम, तून, शमी, लिसोरा

    महुआ के पौधे और प्रजाति के गुण

    महुआ के पेड़ों को उगाने के लिए किसी विशेष मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। इसके विकास के लिए सामान्य बगीचे की मिट्टी पर्याप्त होती है। बेहतर विकास के लिए, रोपण के समय मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ, वर्मीकम्पोस्ट, गोबर की खाद और नारियल पीट मिलाना फायदेमंद होता है।

    महुआ का पेड़ मध्यम आकार का, पर्णपाती वृक्ष होता है, जिसकी ऊँचाई 16-20 मीटर तक होती है। यह पेड़ मार्च और अप्रैल के बीच खिलता है, और इसमें मलाईदार सफेद फूल आते हैं जो भोर से पहले गिर जाते हैं। महुआ के फूल मार्च-अप्रैल में खिलते हैं और मई-जून में फल लगते हैं।

    महुआ का उपयोग खांसी, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी श्वसन समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। महुआ के फूल विटामिन सी, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं। नियमित सेवन संक्रमण से लड़ने और बीमारियों से बचाव में मदद कर सकता है।

    महुआ में हल्के रेचक गुण होते हैं, जो कब्ज से राहत दिलाने में मददगार होते हैं। सूजनरोधी और जीवाणुरोधी गुण हड्डियों को मजबूत करते हैं। मधुमेह को नियंत्रित करने, प्रतिरक्षा बढ़ाने और पाचन में सुधार करने में मदद करता है।

    सीता की विरह वेदना दूर करने वाला अशोक वृक्ष, स्त्रियों की हर समस्या का समाधान है। अशोक के पत्तों और छाल का उपयोग कई रोगों के उपचार में किया जाता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को अशोक वृक्ष की पूजा करने से न केवल सुख-शांति मिलती है, बल्कि रोग और शोक का भी निवारण होता है। इसका उपयोग स्त्री रोग और मासिक धर्म संबंधी समस्याओं जैसे भारीपन, ऐंठन, अनियमितता और दर्द को कम करने में भी सहायक है। यह विटामिन बी-12 का भंडार है।

    अशोक की छाल रक्त को शुद्ध करती है, जिससे स्त्रियों की त्वचा में निखार आता है। चेहरे पर अशोक की छाल लगाने से मृत त्वचा से छुटकारा मिलता है। अशोक की छाल मासिक धर्म के दौरान होने वाले तेज दर्द, ऐंठन और सूजन को कम करती है।

    यह बढ़े हुए वात को नियंत्रित करता है। इसके सेवन से वात संबंधी समस्याएं दूर होती हैं और पाचन तंत्र मजबूत होता है, जिससे कब्ज, वात, ऐंठन और दर्द से राहत मिलती है। अशोक शब्द का अर्थ है शोक दूर करने वाला। यह एक पुष्पीय वृक्ष है और मटर या दलहनी पौधों के विशाल परिवार से संबंधित है। अशोक वृक्ष अपनी सुंदर पत्तियों और सुगंधित फूलों के लिए बहुमूल्य है।

    अगले वर्ष के वृक्षारोपण अभियान के दौरान, उगाई जा रही नई प्रजातियों के पौधों को जिले के विभिन्न हिस्सों में लगाया जाएगा। राजनगर और मोदीनगर की नर्सरियों में इनकी खेती की तैयारियां शुरू हो गई हैं।

    - डॉ. सलोनी मलिक, उप-मंडल अधिकारी, सामाजिक वानिकी प्रभाग, गाजियाबाद