Madhuban Housing Scheme: GDA ने किसानों को दी गुड न्यूज, 15 साल बाद अब दूसरी जगह पर मिलेंगे प्लॉट
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने मधुबन बापूधाम योजना के तहत किसानों को करीब डेढ़ दशक बाद भूखंड आवंटित करने का फैसला किया है। इसके साथ ही श्मशान घाट के पास आवंटित करीब 373 भूखंडों को दूसरी जगह आवंटित करने का प्रस्ताव भी पास हुआ है। इस योजना से प्रभावित करीब 647 किसानों को अभी भूखंड नहीं मिले हैं। उन्हें प्राधिकरण की ओर से विकसित भूखंड आवंटित किए जाएंगे।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। मधुबन बापूधाम योजना में करीब डेढ़ दशक बाद किसानों को भूखंड आवंटित किए जाएंगे। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही श्मशान घाट के पास आवंटित करीब 373 भूखंडों को दूसरी जगह आवंटित करने का प्रस्ताव भी बोर्ड बैठक में पास कर दिया गया है।
भूखंड देने के प्रस्ताव को मंजूरी
मधुबन बापूधाम योजना से प्रभावित करीब 647 किसानों को अभी भूखंड नहीं मिले हैं। उन्हें प्राधिकरण की ओर से विकसित भूखंड आवंटित किए जाएंगे। इसमें कोर्ट के आदेश के बाद 800 एकड़ वाले किसानों को छह फीसद विकसित भूखंड और 281 एकड़ वाले किसानों को 20 फीसद विकसित भूखंड देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
इतना लगेगा विकास शुल्क
उसके लिए किसानों को 10,236 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से विकास शुल्क देना होगा। इसके अलावा श्मशान घाट व कब्रिस्तान से पास कराने वाले 373 आवंटियों को श्मशान घाट के पास दूसरी जगह भूखंड आवंटित करने का प्रस्ताव भी बोर्ड बैठक में पास कर दिया गया है।
ध्वस्त होंगे तुलसी निकेतन के जर्जर भवन
बैठक के एजेंडे में तुलसी निकेतन के जर्जर भवनों के संबंध में प्रस्ताव रखा गया। जर्जर भवनों को ध्वस्त कर यहां बहुमंजिला भवन बनाने का प्रस्ताव पास हुआ। बोर्ड में निर्णय लिया गया कि अन्य राज्यों के पुनर्विकास प्रोजेक्ट की तर्ज पर जीडीए इसके लिए कंसलटेंट नियुक्त कर ईओआई व आरईपी दस्तावेज तैयार कर एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित करेगा।
जीडीए ने करीब साढ़े तीन दशक पहले वर्ष 1989-90 में तुलसी निकेतन योजना विकसित की थी, जिसमें 2004 ईडब्ल्यूएस व 288 एलआईजी बनाए गए थे। इनमें 60 दुकानें भी संचालित हो रही हैं। रखरखाव के अभाव में ये भवन जर्जर हो चुके हैं, जहां 20 हजार से अधिक लोग रह रहे हैं।
कई बार गिरा मकानों का प्लास्टर
कई बार मकानों का प्लास्टर गिर चुका है। वर्ष 2018 में जीडीए ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली की टीम से सर्वे कराया था। अब जीडीए, नगर निगम और डीडीए के सहयोग से यहां रहने वाले मूल निवासियों का डोर-टू-डोर सर्वे कर सूची तैयार करेगा।
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