रक्षा मंत्रालय से सेवानिवृत्त अधिकारी को 15 दिन रखा डिजिटल अरेस्ट, साइबर ठगों ने लगाया 34 लाख का चूना
गाजियाबाद के वैशाली में एक सेवानिवृत्त अधिकारी को साइबर अपराधियों ने मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाकर 34.90 लाख रुपये की ठगी की। आरोपियों ने खुद को सीबीआई और मुंबई पुलिस का अधिकारी बताकर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट किया और धमकाया। उन्होंने एफडी तुड़वाकर एक खाते में पैसे जमा करवाए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। साइबर अपराधियों ने रक्षा मंत्रालय से सेवानिवृत अधिकारी को मनी लान्ड्रिंग का आरोपी बताकर 15 दिन डिजिटल अरेस्ट रखा। वैशाली निवासी 73 वर्षीय बुजुर्ग से सीबीआई अधिकारी, मुंबई पुलिस अधिकारी, न्यायिक अधिकारी बनकर 34.90 लाख रुपये ठग लिए।
पीड़ित का कहना है कि रोज उन्हें फोन आते थे और धमकी देते थे। दो सितंबर और तीन सितंबर को भी उनके पास फोन आए और उन्हें 15 लाख रुपये लोन लेकर धनराशि ट्रांसफर करने के लिए कहा गया। परेशान होकर उन्होंने साइबर क्राइम थाने में शिकायत कर दी। पुलिस केस दर्ज कर मामले की जांच कर रही है।
वैशाली निवासी बुजुर्ग गौतम राय रक्षा मंत्रालय से सेवानिवृत हैं। 21 अगस्त की सुबह करीब 11 बजे उनके लैंडलाइन नंबर पर एक युवती ने फोन कर अपना नाम आरूषि अग्रवाल बताते हुए कहा कि वह गुरुग्राम से एयरटेल कंपनी से बोल रही है।
उन्हें युवती ने बताया कि उनके आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल कर मुंबई में एक लैंडलाइन नंबर जारी किया गया है। जिसका प्रयोग ऑनलाइन बेटिंग और ब्लैकमेलिंग में हो रहा है।
पीड़ित को यह भी कहा गया कि उनके सभी नंबर बंद हो जाएंगे और उन्हें मुंबई पुलिस से क्लियरेंस लेना होगा। इसके बाद काल को संजय सिंह नामक व्यक्ति से जोड़ा गया।
संजय सिंह ने खुद को मुंबई पुलिस का दारोगा बताया और खुद को सीबीआई अधिकारी बताने वाले प्रवीण सूद को लाइन पर जोड़ा। इसके तुरंत बाद उन्हें मोबाइल पर सीबीआई से एक पत्र मिला, जिसमें उनके खिलाफ मनी लान्ड्रिंग, ड्रग तस्करी और पहचान की चोरी का आरोपी बनाया गया।
पत्र में पीड़ित की गतिविधियों पर रोक लगाने को निर्देशित किया गया। पीड़ित को गिरफ्तारी और परिवार को फंसाने की धमकी देकर उन्हें मानसिक दबाव में रखा गया। लगातार वीडियो काॅल और धमकियों के बीच 25 अगस्त को आरोपियों ने पीड़ित से कहा कि वह अपनी एफडी तोड़कर 37 लाख रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करें।
दबाव में आकर गौतम राय ने 26 अगस्त को 34.90 लाख रुपये अपने बैंक खाते से धीरज ट्रेडर्स नामक फर्म के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए। बाद में आरोपियों ने उनसे कई दिन फोन कर 15 लाख रुपये का लोन लेकर धनराशि ट्रांसफर करने को कहा गया।
पीड़ित ने परेशान होकर पुलिस से मामले की शिकायत की। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
रोजाना दो-तीन बार करते फोन, लोकेशन भी लेते
पीड़ित का कहना है कि उनसे रोजाना आरोपी वाॅट्सएप काॅल पर बात करते और लोकेशन भी लेते थे। उन्हें दो-तीन बार काॅल किया जाता और कहा जाता कि वह डिजिटल अरेस्ट हैं और बिना अनुमति कहीं बाहर नहीं जा सकते हैं।
डिजिटल अरेस्ट के 36 मामले दर्ज
साइबर क्राइम थाना खुलने के बाद से डिजिटल अरेस्ट के 36 मामले में बीते वर्ष जनवरी से अब तक दर्ज किए गए हैं। इनमें आरोपियों ने 7.86 करोड़ रुपये की धनराशि ठगी है। अधिकांश मामलों में बुजुर्ग साइबर अपराधियों का निशाना बने हैं।
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