दासना जिला कारागार में बंदियों के मानसिक और नैतिक उत्थान के लिए एक अनूठी पहल शुरू की गई है। जेल परिसर में 10 हजार पुस्तकों वाली एक लाइब्रेरी तैयार की जा रही है जिसमें आध्यात्म प्रेरक कहानियां आत्मकथाएं और विश्वप्रसिद्ध नेताओं के जीवन से जुड़ी किताबें उपलब्ध होंगी। इस पुस्तकालय के माध्यम से बंदियों को सकारात्मक विचार पैदा करने और उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाने का प्रयास किया जाएगा।
विनीत कुमार, गाजियाबाद। गाजियाबाद जनपद में डासना जिला कारागार में बंदियों के मानसिक और नैतिक उत्थान के लिए उन्हें किताबों के जरिए जोड़ने का प्रयास शुरू किया गया है। जेल प्रशासन कारागार परिसर में 10 हजार पुस्तकों वाली एक लाइब्रेरी तैयार करा रहा है।
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बताया गया कि लाइब्रेरी में आध्यात्म, प्रेरक कहानियां, आत्मकथाएं और विश्वप्रसिद्ध नेताओं के जीवन से जुड़ी किताबें उपलब्ध होंगी। जेल प्रशासन का कहना है कि किताबों का चयन विशेष रूप से इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर किया गया है कि वे बंदियों के मन में सकारात्मक विचार पैदा करें।
अगले एक महीने के भीतर तैयार हो जाएगा पुस्तकालय
इसमें रामायण, गीता, बाइबल, कुरान जैसे धार्मिक ग्रंथों के साथ-साथ स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, अब्राहम लिंकन, नेल्सन मंडेला, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान व्यक्तित्वों की जीवनी और विचारों पर आधारित किताबें शामिल हैं। पुस्तकालय अगले एक महीने के भीतर तैयार हो जाएगा।
इस पुस्तकालय में अब तक लगभग 8,000 किताबें मंगाई जा चुकी हैं, और शेष किताबों की व्यवस्था अंतिम चरण में है। जेल प्रशासन का मानना है कि इस प्रकार की पहल से बंदी समाज में लौटने के बाद एक बेहतर नागरिक बन सकते हैं।
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इस पुस्तकालय के संचालन के लिए एक विशेष टीम का गठन किया जा रहा है जो यह सुनिश्चित करेगी कि बंदी नियमित रूप से पुस्तकें पढ़ें और उनके अनुभव साझा करें। डासना जेल में योग, ध्यान और कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियां चलाई जाती रही हैं।
उद्देश्य यह है कि जेल केवल दंड का स्थान न होकर सुधार और पुनर्वास का केंद्र बने। पुस्तकों के जरिए उम्मीद है कि बंदी यहां रहते हुए अपने जीवन के उद्देश्य को समझकर आत्मनिरीक्षण करेंगे और प्रेरणादायक साहित्य के माध्यम से नई राह पर आगे बढेंगे। - सीताराम शर्मा, जेल अधीक्षक
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