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    Ghaziabad News: सजा सुनाए जाने के बाद भी आरोपी को नहीं भेजा जेल, कोर्ट ने जारी किए गिरफ्तारी वारंट

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 10:53 AM (IST)

    संजीव कुमार को 20 लाख रुपये का चेक बाउंस होने के मामले में अदालत ने एक साल की कैद और 30 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है क्योंकि संजीव सजा के समय अदालत में मौजूद नहीं थे और बाद में भी पेश नहीं हुए। पुलिस को संजीव को गिरफ्तार कर 14 अक्टूबर तक अदालत में पेश करने का आदेश दिया गया है।

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    अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है क्योंकि संजीव सजा के समय अदालत में मौजूद नहीं थे। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। गाजियाबाद निवासी संजीव कुमार की गिरफ्तारी के लिए अदालत ने दूसरी बार वारंट जारी किया है। अदालत ने 20 लाख रुपये का चेक न चुकाने के मामले में संजीव को एक साल की कैद और 30 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। सजा सुनाए जाने के समय वह अदालत में मौजूद नहीं था। सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने संजीव को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा।

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    अशोक नगर निवासी रविंद्र कुमार गर्ग ने नेहरू नगर निवासी संजीव कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। संजीव कुमार गाजियाबाद के सांसद अतुल गर्ग के भाई हैं। रविंद्र के मुताबिक, संजीव से उनके अच्छे संबंध थे। संजीव ने अटोर नंगला इलाके में प्लॉटिंग के लिए उनसे अलग-अलग तारीखों में कुल 50 लाख रुपये ब्याज पर लिए थे।

    संजीव ने भुगतान के लिए अपने और अपनी पत्नी के नाम 20-20 लाख रुपये के दो और 10 लाख रुपये का एक चेक दिया था। 10 लाख रुपये के चेक का भुगतान हो गया। हालांकि, उनके नाम के 20 लाख रुपये के चेक का भुगतान नहीं हुआ। पत्नी की मौत के कारण उन्होंने 20 लाख रुपये के दूसरे चेक का भुगतान नहीं करवाया।

    बैंक ने 16 जुलाई 2020 को बताया कि चेक का भुगतान नहीं हुआ है। चेक पुराना है। बैंक ने पुराने चेक बंद कर दिए हैं। बैंक से चेक बिना भुगतान के वापस आ गया। इसके बाद उन्होंने संजीव से संपर्क किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। उनके पैसे भी वापस नहीं किए गए।

    उन्होंने आरोपी को नोटिस भेजा। पीड़ित ने आरोपी से दूसरा चेक देने को कहा लेकिन आरोपी ने चेक देने से इनकार कर दिया। पीड़ित ने 24 अगस्त 2020 को धारा 138 एनआई एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में आरोपी की ओर से दलील दी गई कि रविंद्र कुमार गर्ग उनके घर आता था। वह फाइल में रखा चेक ले गया था।

    साक्ष्यों के आधार पर विशेष न्यायालय (138 एनआई एक्ट) के न्यायाधीश मोहम्मद अली ने 28 अगस्त 2024 को संजीव कुमार को धारा 138 के तहत दोषी करार दिया। अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी कर आरोपी को पांच सितंबर 2024 को पेश होने का आदेश दिया था, लेकिन वह पेश नहीं हुआ।

    पांच सितंबर 2024 को अदालत ने संजीव कुमार की अनुपस्थिति में उसे एक साल के साधारण कारावास और 30 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को छह माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

    संजीव कुमार ने इस सजा के खिलाफ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या सात की अदालत में अपील की थी। अदालत ने संजीव की अपील खारिज कर पिछले आदेश को बरकरार रखते हुए उसे एक साल की सजा और 30 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।

    सजा सुनाए जाने के समय भी संजीव मौजूद नहीं था। सजा के आदेश के बाद भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा। जेल न जाने पर पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत में परिवाद दायर किया था। चार सितंबर 2025 को अदालत ने सिहानी गेट एसएचओ को संजीव कुमार को गिरफ्तार कर अदालत में पेश करने के आदेश दिए हैं।

    पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी। अदालत ने अब फिर से एसएचओ को 8 सितंबर को संजीव को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। पुलिस को 14 अक्टूबर तक संजीव को अदालत में पेश करना होगा।