UP में 2027 के लिए BJP ने चला बड़ा दांव, चैनपाल सिंह गुर्जर को जिलाध्यक्ष बनाकर चौंकाया; पढ़ें पूरी रिपोर्ट
भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों के तहत गाजियाबाद में वैश्य समाज के मयंक गोयल को महानगर अध्यक्ष और पिछड़ा वर्ग के चैनपाल सिंह गुर्जर को जिला अध्यक्ष नियुक्त किया है। इस कदम से पार्टी ने जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है। मयंक गोयल संघ से जुड़े रहे हैं और उनकी मां दमयंती गोयल शहर की पहली महिला महापौर रह चुकी हैं।

हसीन शाह, गाजियाबाद। भाजपा ने महानगर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी वैश्य समाज के मयंक गोयल और जिला अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पिछड़ा वर्ग के चैनपाल सिंह गुर्जर को सौंपकर विधानसभा चुनाव 2027 का किला मजबूत कर लिया है।
वैश्य और पिछड़ा वर्ग को साधकर दोनों पदों का चयन करने में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। लोनी विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक गुर्जर हैं। ऐसे में दोबारा से गुर्जर समाज से जिला अध्यक्ष बनाकर लोनी की सीट को मजबूत किया है।
62 कार्यकर्ताओं ने की थी दावेदारी
गाजियाबाद के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा थे। गत लोकसभा चुनाव में सदर विधायक अतुल गर्ग ने त्याग पत्र दे दिया था। संजीव शर्मा ने उपचुनाव में जीत दर्ज की थी। 62 कार्यकर्ताओं ने महानगर अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की थी।
लोग जानते थे कि चौंकाने वाली होगी घोषणा
वहीं, दिसंबर 2024 से महानगर अध्यक्ष पद के लिए मंथन चल रहा था। मयंक गोयल के साथ अशोक मोगा, अजय शर्मा, पप्पू पहलवान, गोपाल अग्रवाल, मानसिंह गोस्वामी, अशु वर्मा आदि नामों की चर्चा तेज थी। इस बात को भी सभी जानते थे कि इस बार महानगर अध्यक्ष और अध्यक्ष पद की घोषणा चौंकाने वाली होगी।
वैश्य समाज को दी गई तवज्जो
रविवार को दोपहर को महानगर अध्यक्ष पद पर मयंक गोयल और जिला अध्यक्ष पद पर चैनपाल सिंह गुर्जर की घोषणा की गई। इसके बाद फिर से यह साफ हो गया कि पार्टी में वैश्य समाज को तवज्जो दी गई है। वह वर्ष 2006 से भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।
वहीं, जिला अध्यक्ष चैनपाल सिंह गुर्जर लोनी के निवासी हैं। उनके नाम की चर्चा तो दूर-दूर तक नहीं थी। वह 30 वर्ष से पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ता हैं। इससे पहले सतपाल गुर्जर जिला अध्यक्ष थे। सतपाल गुर्जर भी लोनी के निवासी थे।
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चैनपाल सिंह की ताजपोशी से पार्टी ने ओबीसी वर्ग को साधने का प्रयास किया है। चैनपाल सिंह गुर्जर चार बार जिला उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वर्ष 2004 से 2007 तक मंडल अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में भी जिला उपाध्यक्ष का पद संभाल रहे थे।
पदाधिकारियों के सामने ये रहेंगी चुनौतियां
लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के भीतर गुटबाजी जगजाहिर थी। गुटबाजी के सुर अब भी रह-रहकर बाहर आते हैं। मयंक गोयल के सामने सबसे बड़ी चुनौती जिले में पार्टी को गुटबाजी से बाहर निकालना है। आगामी विधानसभा चुनाव को फतह कराने की जिम्मेदारी भी मयंक के कंधों पर होगी। ऐसे में उन्हें सभी वर्गों को साथ लेकर चलना होगा। आगामी चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर बागी होने वाले कार्यकर्ताओं का विश्वास बनाकर रखना है। विधानसभा सीटों पर टिकट के बंटवारे में भी उनकी भूमिका रहेगी।
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मयंक की संघ में है मजबूत पकड़
मयंक की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर में हुई। शिशु जीवन में ही उन्होंने संघ में प्रवेश किया। वर्ष 1990 से 2006 तक उन्होंने संघ में विभिन्न पदों की जिम्मेदारी संभाली है। वह 12 वर्ष तक संघ शिक्षा वर्ग में शिक्षक रहे। मयंक एक जनवरी 2000 में उस दौरान चर्चा में आए थे, जब उन्होंने 1600 गोवंशी को तस्करों से मुक्त कराया था। माना जा रहा है कि भाजपा और संघ के मंथन के बाद महानगर अध्यक्ष पद पर उनके नाम पर मुहर लगी। मयंक गोयल की संघ में मजबूत पकड़ हैं। उनकी माता दमयंती गोयल शहर की पहली महिला महापौर रहीं।
सदर सीट से थे प्रबल दावेदार
सदर विधानसभा सीट से उपचुनाव में टिकट के लिए प्रबल दावेदार थे। टिकट को लेकर उनके नाम की काफी चर्चा चली थी। माना जाता है कि सदर सीट पर वैश्य समाज की निर्णायक भूमिका रहती है। ऐसे में मयंक का टिकट फाइनल माना जा रहा था लेकिन, टिकट संजीव शर्मा को मिला। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है उन्हें विधानसभा सीट का टिकट न देकर महानगर अध्यक्ष पद से नवाजा है।
दिल्ली चुनाव के कारण पदों की घोषणा में हुई देरी
पार्टी जनवरी में ही महानगर अध्यक्ष पद की घोषणा करने वाली थी लेकिन, गाजियाबाद दिल्ली से सटा क्षेत्र है। ऐसे में गाजियाबाद की घोषणा का असर दिल्ली में देखा जाता है। यही वजह है कि पार्टी ने दिल्ली चुनाव की वजह से महानगर अध्यक्ष पद की घोषणा करने में देरी की।
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