सिपाही हत्याकांड में शामिल तीन गैंगस्टर की जमानत खारिज, गवाहों को धमकाने के डर से रद हुई जमानत
गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र में सिपाही सौरभ देसवाल हत्याकांड में शामिल खुर्शीद अब्दुल खालिक और साजिद की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने गवाहों को धमकाने और दोबारा अपराध में शामिल होने की आशंका के चलते यह फैसला सुनाया। नोएडा पुलिस की टीम कादिर नामक एक आरोपी को पकड़ने गई थी जहां फायरिंग में सिपाही सौरभ की मौत हो गई थी।

जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। मसूरी थाना क्षेत्र के नाहल गांव में 25 मई की रात हुए नोएडा पुलिस के सिपाही सौरभ देसवाल की हत्या के मामले में जेल में बंद तीन गैंगस्टर की जमानत याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट में जमानत के लिए खुर्शेद, अब्दुल खालिक और साजिद की ओर कोर्ट में पुलिस द्वारा झूठा फंसाने की दलील दी गई। कोर्ट ने गवाहों को धमकाने और दोबारा अपराध संलिप्त होने की आशंका को देखते हुए जमानत को खारिज किया।
नोएडा पुलिसकर्मियों के सात जवानों की टीम चोरी के आरोपित नाहल निवासी कादिर को 25 मई की रात पकड़ने पहुंची थी। कादिर को पकड़ने के बाद भीड़ उग्र हो गई और पुलिस पर पथराव और फायरिंग कर दी।
पुलिसकर्मियों ने कादिर को पकड़ लिया, लेकिन इसी बीच फायरिंग के दौरान एक गोली सिपाही सौरभ के सिर के पीछे लगी जिससे वह जमीन पर लहुलूहान होकर गिर पड़े। कादिर को नोएडा पुलिस की टीम ने ही मसूरी थाना पुलिस को सौंप दिया था, जबकि घायल सिपाही को लेकर एक टीम यशोदा अस्पताल लेकर पहुंची थी जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
पुलिस ने 24 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनमें 31 लोगों का शांति भंग में चालान किया है। जबकि इनमें गैंगस्टर एक्ट के तहत खुर्शेद, अब्दुल खालिक और साजिद को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
थाना प्रभारी की ओर से दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक गैंग लीडर कादिर ने आरोपितों के साथ मिलकर संगठित गिरोह बनाया। यह गैंग आर्थिक व भौतिक लाभ लेने के लिए हत्या जैसे अपराध करते हैं। लोगों में इनका आतंक का माहौल व्याप्त है।
आम लोगों में इनके खिलाफ कोई गवाही देने के लिए तैयार नही है। खुर्शेद, अब्दुल खालिक और साजिद की ओर से कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की गई थी। विशेष न्यायाधीश (गैंगस्टर एक्ट) जुनैद मुजफ्फर की कोर्ट में आरोपितों की जमानत पर सुनवाई हुई।
कोर्ट में कहा गया कि आरोपित जमानत पर रिहा होने पर गवाहों को डरा और धमका सकता हैं। प्रलोभन देकर प्रभावित कर सकते हैं। दोबारा से आपराधिक गतिविधि में संलिप्त हो सकता है। तीनों को जमानत पर रिहा किए जाने का पर्याप्त आधार नही है। कोर्ट ने तीनों आरोपितों का जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।