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डोली नहीं, जनाजे पर रूला गई नैना

अवनीश मिश्र साहिबाबाद बेटी नैना को खुशी-खुशी डोली में विदा करने की तैयारियों में जुटे

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 07:59 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 08:46 PM (IST)
डोली नहीं, जनाजे पर रूला गई नैना
डोली नहीं, जनाजे पर रूला गई नैना

अवनीश मिश्र, साहिबाबाद : बेटी नैना को खुशी-खुशी डोली में विदा करने की तैयारियों में जुटे बूढ़े मां-बाप को बृहस्पतिवार दोपहर में उसका जनाजा उठाना पड़ा, तो तुलसी निकेतन में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गई। लोगों ने नम आंखों से नैना के शव का अंतिम संस्कार किया। लोगों में हत्यारे के खिलाफ भारी आक्रोश दिखा। सबने एक सुर में उसे फांसी पर लटकाने की मांग की। शादी की पूरी हो गई थी तैयारी : नैना के रिश्ते की भाभी रानी कौर ने कहा कि बिटिया की शादी की सारी तैयारियां पूरी हो गई थीं। शादी से संबंधित गहने, कपड़े सब कुछ खरीदकर आ गए थे। तपती धूप में नैना ने बूढ़े पिता बलदेव सिंह व बूढ़ी मां नीलम के साथ जाकर सारी तैयारियां की थीं। नैना ने शादी पर पहनने और विदा होने के लिए मनपसंद चूड़ा व जोड़ा भी खरीदा लिया था। इतना कहते हुए वह रोने लगीं। उन्होंने कहा कि किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस बिटिया की शादी की तैयारियां चल रही हैं। उसका जनाजा उठते देखना पड़ेगा। शनिवार सुबह थी ट्रेन : रिश्तेदारों ने बताया है कि नैना की शादी 22 जून को इंदौर स्थित एक गुरुद्वारा में होनी थी। लॉकडाउन की वजह से शादी के लिए यहां से बलदेव, नीलम, नैना और उनकी बुआ को इंदौर जाना था। 20 जून यानी शनिवार सुबह सात बजे दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन से ट्रेन का टिकट था। स्टेशन तक जाने के लिए बलदेव ने संजय सिंह नागर की गाड़ी भी बुक कर ली थी। संजय सिंह नागर भी नैना की मौत की खबर सुनकर तुलसी निकेतन पहुंचे। उनकी आंखें भी नम दिखीं। सबको देखना चाहती थी स्वस्थ : सहेली लक्ष्मी ने नम आंखों से कहा कि नैना नर्सिग का प्रशिक्षण पूरा कर लोगों की मदद करना चाहती थी। वह अकसर कहा करती थी कि बीमार लोगों को उपचार देकर स्वस्थ बनाना उसका सपना है। लक्ष्मी ने कहा कि वह अपनी बीमार मां नीलम व खराद का काम करने वाले पिता बलदेव के स्वास्थ्य को लेकर भी काफी चितित रहती थी। किसी ने नहीं की मदद : रिश्तेदारों ने बताया कि हत्या के समय मौके पर दुकानें खुली थीं। लोगों की आवाजाही थी। बूढ़ी नीलम बेटी को बचाने के लिए संघर्ष कर रही थीं। उन्होंने चिल्ला कर लोगों से मदद मांगी थीं लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा और उनकी मदद को सामने नहीं आया। यदि लोगों ने हिम्मत जुटाई होती, तो शायद नैना की जान बच जाती।

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नहीं पूरी हुई अंतिम इच्छा : रिश्तेदारों ने बताया है कि बलदेव सिंह ने नीशू नाम की लड़की को गोद लिया था। उसकी जीतू से कई साल पहले शादी कर दी थी। दोनों सुखी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बलदेव व नीलम के कंधे पर सगी बेटी नैना की जिम्मेदारी थी। नैना की शादी कर उसे सुसराल विदाकर खुश देखना दोनों की आखिरी इच्छा थी, जो कि नहीं पूरी हो सकी।


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