खोड़ा में पानी की बर्बादी जारी, टैंकरों से सड़कों पर बह रहा जल
खोड़ा में पीने के पानी की गंभीर समस्या है, जबकि नगर परिषद के टैंकरों से पानी सड़कों पर बर्बाद हो रहा है। निवासियों का आरोप है कि कम टैंकर आते हैं और उ ...और पढ़ें

खोड़ा में पीने के पानी की गंभीर समस्या है, जबकि नगर परिषद के टैंकरों से पानी सड़कों पर बर्बाद हो रहा है। सांकेतिक तस्वीर
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। एक तरफ खोड़ा के लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है, वहीं दूसरी तरफ खोड़ा नगर परिषद के टैंकरों से पानी बर्बाद हो रहा है। टैंकरों से सड़कों पर पानी बहने की तस्वीरें और वीडियो लगभग रोज़ सामने आ रहे हैं। इससे लोगों में काफी गुस्सा है।
दरअसल, नगर परिषद के अधिकारी खोड़ा में 70 टैंकरों से पानी सप्लाई करने का दावा करते हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि सिर्फ़ कुछ ही टैंकर पानी लेकर आते हैं। वे टैंकर भी ज़रूरत के हिसाब से पूरा पानी नहीं देते। लंबी लाइनों में लगने के बाद भी लोगों को सिर्फ़ एक या दो बाल्टी पानी मिल पाता है। अक्सर, उनकी बारी आने से पहले ही पानी खत्म हो जाता है। हालत यह है कि जो टैंकर आते भी हैं, उन्हें बेतरतीब तरीके से खड़ा कर दिया जाता है।
नतीजतन, पानी लोगों तक पहुंचने के बजाय सड़कों पर बर्बाद हो जाता है। हाल के दिनों में पानी की बर्बादी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। लोगों का कहना है कि जब तक पानी की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो जाता, तब तक राहत मुमकिन नहीं है। जब तक चुने हुए प्रतिनिधि इस मुद्दे पर राजनीति करते रहेंगे, यह समस्या बनी रहेगी।
हर दिन टैंकरों से पानी सड़कों पर बर्बाद होता है। कॉलोनी में जो टैंकर आते भी हैं, उनसे लोगों को पूरा पानी नहीं मिल पाता। इस बारे में कई बार शिकायतें की गई हैं।
- ओमकार नाथ यादव, स्थानीय निवासी।हमें हर दिन पानी की समस्या से जूझना पड़ता है। सिर्फ़ कुछ ही टैंकर आते हैं। उनसे पानी लेने के लिए लंबी लाइनें लगती हैं। इसके बाद भी लोगों को पूरा पानी नहीं मिल पाता।
- अनिल तिवारी, स्थानीय निवासी।टैंकरों से पानी लेने को लेकर लोगों के बीच कई बार झगड़े हुए हैं। मामला थाने तक भी पहुंचा है। चुने हुए प्रतिनिधियों को इस समस्या का स्थायी समाधान करना चाहिए।
- आशीष गुप्ता, स्थानीय निवासी।पानी की समस्या कोई नई नहीं है। यहां के लोग करीब चार दशकों से इस समस्या से जूझ रहे हैं। कई योजनाएं बनीं, लेकिन वे कागजों से आगे नहीं बढ़ पाईं। - बिशन सिंह नेगी, स्थानीय निवासी।

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