पहले दिन ही धूल और धुएं के गुबार में उड़ गईं GRAP की पाबंदियां, प्रदूषण रोकने में नहीं दिख रही कहीं सख्ती
दिल्ली में GRAP लागू होने के पहले ही दिन प्रदूषण नियंत्रण में ढिलाई दिखी। धूल और धुएं से शहर भर गया, GRAP की पाबंदियां बेअसर रहीं। निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपाय नहीं हुए और पुराने वाहन सड़कों पर चलते रहे। प्रदूषण रोकने में सख्ती की कमी दिखाई दी, जिससे GRAP की प्रभावशीलता पर सवाल उठ रहे हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शहर में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए ग्रेप (ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान) का पहला चरण बुधवार को लागू तो कर दिया गया, लेकिन आधी-अधूरी तैयारियों के कारण पहले दिन ही ग्रेप के नियम धूल व धुएं में उड़ गए। कहीं अवैध फैक्ट्रियों में ई-वेस्ट जलाकर धातु निकाला जा रहा तो कहीं सड़कों पर उड़ती धूल प्रदूषण को बढ़ा रही।
20 से अधिक जिम्मेदार विभागों के हुक्मरान केवल कार्यालयों में बैठकर ही प्रदूषण रोकथाम की योजना बनाते रहे। कोई भी विभाग अपने कार्य को लेकर जिम्मेदार नहीं दिखा। न तो कहीं पानी का छिड़काव होता दिखाई दिया और न ही मानकों का उल्लंघन करने वालों पर कोई कार्रवाई हुई।
अगर यही स्थिति रही तो दूसरे चरण की पाबंदी भी जल्द लागू हो जाएंगी जबकि पहले चरण में सड़कों पर उड़ती धूल को रोकने के लिए छिड़काव, उम्र पूरी कर चुके वाहनों के संचालन पर रोक, कचरा जलाने पर रोक और कोयला जलाने पर रोक लगाई गई है।
वहीं, बुधवार को 254 एक्यूआई के साथ गाजियाबाद देश में तीसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। पहले नंबर पर नोएडा व दूसरे पर ग्रेटर नोएडा रहा। पेश है साहिबाबाद से राहुल कुमार की रिपोर्ट...
ई-वेस्ट के कारण करोड़ों के आशियानों घुट रहा दम
एनसीआर में लोग बेहतर सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर अपनी पसंद का आशियाना खरीदते हैं, लेकिन उन्हीं आशियानों में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा इसका उन्हें थोड़ा भी इल्म नहीं होता।
दिल्ली-99 सोसायटी के पास अवैध फैक्ट्रियों का संचालन होने से लोगों का दम घुट रहा है। इनमें ई-वेस्ट जलने से दिल्ली-99, प्लेनेट-वन, कोयल एन्क्लेव, आक्सी रिच, भारत सिटी, डिफेंस कालोनी समेत 10 से अधिक सोसायटी व काॅलोनी के लोग प्रभावित हो रहे हैं।
लोगों की सांसें फूल रही हैं पर अधिकारी खामोश हैं। लोगों ने बताया कि ई-वेस्ट में जैसे खराब कंप्यूटर, की-बोर्ड, मोबाइल, कैमरा, टेलीविजन आदि की प्लेट आदि जलाई जा रही हैं। इससे दमा, खांसी, सांस की समस्या से पीड़ित बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है।
सड़कों पर उड़ती धूल वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा रही
यूपीपीसीबी के अधिकारियों की मानें तो सड़कों पर उड़ती धूल वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक है। इसके रोकने के लिए अभी तक कोई इंतजाम नहीं दिखा।
इंदिरापुरम पुस्ता मार्ग, साहिबाबाद साइट-चार औद्योगिक क्षेत्र, लोनी-भोपुरा मार्ग, सौर ऊर्जा मार्ग, एनएच-नौ को सिद्धार्थ विहार से जोड़ने वाला मार्ग, राजनगर एक्सटेंशन, मेरठ रोड समेत शहर के ज्यादातर मुख्य मार्गों पर दिनभर धूल उड़ती रही। इसका मुख्य कारण सड़कों का टूटना है।
कई मार्गों पर तो धूल इतनी उड़ रही थी कि वाहन चालक को आगे चल रही गाड़ी दिखाई नहीं दे रही थी।
चिमनियों से निकलते धुंए पर अधिकारियों की नहीं पड़ रही नजर
औद्योगिक इकाइयों से निकल रहा धुआं प्रदूषण फैलाता रहा। साहिबाबाद साइट चार, राजेंद्रनगर, मोहननगर, जीटी रोड आदि औद्योगिक क्षेत्र में संचालित ईकाइयों की चिमनियों से निकलते धुएं पर अधिकारियों की नजर नहीं गई जबकि पहले ही दोहरी ईंधन किट के जेनरेटर सेट व पीएनजी कनेक्शन अनिवार्य रूप से लगाने के आदेश दिए जा चुके हैं। इसके बाद भी अधिकारियों के प्रदूषण रोकने के दावे कम नहीं हो रहे हैं।
प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण
- सड़कों पर जमा धूल हवा में उड़ने के कारण एवं सड़कों के टूटने के कारण उड़ रही धूल।
- उम्र पूरी कर चुके वाहनों से निकलता धुआं।
- अवैध फैक्ट्रियों से निकलता धुंआ।
- औद्योगिक क्षेत्रों में चिमनियों से निकलता धुआं।
किस विभाग को क्या मिली है जिम्मेदारी?
- यूपीपीसीबी को अवैध फैक्ट्रियों व मानकों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई।
- नगर निगम को धूंल वाले इलाकों में पानी का छिड़काव।
- परिवहन विभाग को उम्र पूरी कर चुके वाहन का संचालन रोकना।
- कृषि विभाग को फसल के अवशेष जलाने से रोकना।
- शिक्षा विभाग को स्कूलों में पटाखे न जलाने के लिए जागरूक करना।
- औषधि एवं खाद्य विभाग को भोजनालयों पर कोयला व लकड़ी जलाने से रोकना।
- स्वास्थ्य विभाग को प्रदूषण से पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में बताना।
- पीडब्ल्यूडी को मशीनों से सड़काें को साफ कराना।
- दमकल विभाग को आग लगने की घटना को रोकना।
- विद्युत निगम को बिजली आपूर्ति सामान्य रखना।
बुधवार को स्टेशनों का एक्यूआई
स्टेशन | एक्यूआई |
वसुंधरा | 246 |
इंदिरापुरम | 249 |
संजय नगर | 220 |
लोनी | 299 |
"अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई होती रहती है। विद्युत निगम फिर से कनेक्शन जोड़ देता है। इसके अलावा सभी विभागों को उनके स्तर की जिम्मेदारी सौंप दी गई हैं। सोसायटी, बिल्डर व उद्यमियों को भी पानी का छिड़काव कराना होगा। टीम निगरानी कर रही है।"
-अंकित सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, यूपीपीसीबी।
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