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    दिल्ली-एनसीआर में लागू GRAP-1 में इस बार है बदलाव, उम्र पूरी कर चुके वाहनों और पटाखों पर लिया ये फैसला

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 09:08 PM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेप का पहला चरण लागू हो गया है। पुराने वाहनों पर रोक का अभियान हटा दिया गया है, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है। पटाखों पर प्रतिबंध के क्रियान्वयन को लेकर भी निर्देशों में बदलाव किया गया है, अब कोर्ट के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने की बात कही गई है। सीएक्यूएम के अनुसार, कोर्ट के निर्णय के अनुसार ही आगे की कार्रवाई होगी।

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    पटाखों पर प्रतिबंध के क्रियान्वयन को लेकर भी निर्देशों में किया गया बदलाव।

     

    राज्य ब्यूरो,  नई दिल्ली। वायु प्रदूषण से जंग में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के पहले चरण की पाबंदियां दिल्ली एनसीआर में तत्काल प्रभाव से लागू हो गई हैं, लेकिन इन पाबंदियों में से उम्रदराज वाहनों पर रोक सुनिश्चित करने की मुहिम को हटा लिया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की ओर से जारी आदेश में इस बाबत कुछ नहीं कहा गया है।

    गौरतलब है कि ग्रेप के पहले चरण की पाबंदियों में सबसे पहला निर्देश ही अपनी समयावधि पूरी कर चुके डीजल एवं पेट्रोल वाहनों के खिलाफ अभियान चलाए जाने का है, लेकिन 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को उम्र के आधार पर सड़क से हटाने के मामले में दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है।

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    मामला कोर्ट में चल ही रहा है तो सीएक्यूएम ने भी ग्रेप की पाबंदियों में कोई बदलाव न करने के बावजूद फिलहाल के लिए उक्त निर्देश को अपने आदेश से हटा लिया है। यानी पुराने वाहन अभी भी चलते रहेंगे और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी।

    कमोबेश यही स्थिति पटाखों पर प्रतिबंध के क्रियान्वयन को लेकर है। ग्रेप के पहले चरण की कार्ययोजना में 19 नं. बिंदु पटाखों पर प्रतिबंध को सख्ती से क्रियान्वित कराने से जुड़ा है।

    पटाखों पर लागू प्रतिबंध के खिलाफ भी दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में जा चुकी है, तो सीएक्यूएम ने इस आशय के निर्देश की भाषा भी बदल दी है। आदेश में कहा गया है कि पटाखों को लेकर कोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन सुनिश्चित किया जाए। प्रतिबंध शब्द हटा लिया गया है।

    जागरण से बातचीत में सीएक्यूएम के एक अधिकारी ने बताया कि जिन मामलों में राज्य सरकार सहमति नहीं रखती और कोर्ट में याचिका दायर कर चुकी है, उन्हें इस बार के आदेश में पूर्व की भांति शामिल नहीं किया गया है। मामला कोर्ट में विचाराधीन है। लिहाजा जैसा भी निर्णय कोर्ट लेगी, उसी के अनुरूप अगली कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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