गाजियाबाद में अफसरों की नाक के नीचे चल रहा बड़ा 'खेल', अवैध प्लांट लगाकर चांदी काट रहे पानी माफिया
गाजियाबाद के खोड़ा में जल संकट के बीच पानी के कारोबारियों का धंधा फलफूल रहा है। अवैध प्लांट लगाकर संचालक मुनाफा कमा रहे हैं, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ ...और पढ़ें
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खोड़ा में चल रहे पानी के अवैध प्लांट। जागरण
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद (गाजियाबाद)। गाजियाबाद में पानी के कारोबारियों ने खोड़ा में जल किल्लत की समस्या को आपदा में अवसर की तरह भुनाने का काम किया है। पानी की कमी पर खोड़ा में कारोबार तेजी से हो रहा है।
अवैध प्लांट लगाकर संचालक चांदी काट रहे हैं और लोगों की जेब पर इसका बोझ पड़ रहा है। पिछले कुछ समय में खोड़ा में पानी माफिया सक्रिय हुए हैं। पानी के लिए आंदोलन करने वाले संगठनों का अनुमान है कि हर दिन क्षेत्र में करीब 700 से 800 बोतल पानी की सप्लाई है। खोड़ा के अलावा इंदिरापुरम से भी पानी की आपूर्ति करने के लिए वाहन आते हैं।
खोड़ा के 34 वार्ड में 12 लाख की आबादी पेयजल की भारी किल्लत से जूझ रही है। आपदा में अवसर निकालने की तस्वीर यहां देखी जा सकती है। जिन वार्ड में भूजल स्तर 300 से 400 फीट पर है, वहां तीन-तीन पानी के प्लांट चल रहे हैं। लोग यहां पानी की 20 लीटर वाली बोतल भरने के लिए भी आते हैं और यहां से अधिकांश क्षेत्र में सप्लाई भी दी जाती है।
खोड़ा में करीब 16 से 17 अवैध पानी के प्लांट चल रहे हैं, जिनसे प्रभावित इलाकों मैत्रिका विहार, कालू सीमेंट क्षेत्र, हयातनगर, प्रेम विहार, इंद्रा विहार, लोकप्रिय विहार, हिमालय एन्क्लेव समेत बाजारों में सप्लाई की जाती है। प्लांट पर पानी भरकर ले जाने पर 10 रुपये और घर और दुकान में पहुंचाने के लिए 20 से 25 रुपये चार्ज प्लांट संचालक वसूलते हैं। महीने में चार से पांच लाख का कारोबार प्लांट कर रहे हैं।
सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण लोग पानी को तरस रहे हैं और प्लांट संचालक व पानी माफिया कारोबार से चांदी काट रहे हैं। बावजूद इसके खोड़ा के लोगों को शुद्ध व गुणवत्ता पूर्ण पेयजल नहीं मिल पा रहा है।
नहीं होती पानी के नमूनों की जांच
प्लांट संचालकों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग या प्रशासनिक स्तर पर भी कार्रवाई नहीं होती है। लोगों का आरोप है कि बिना अनुमति के चल रहे प्लांट भूजल दोहन तो कर रही रहे हैं जबकि लोगों के स्वास्थ्य से भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
पानी के लिए क्षेत्र में आंदोलन कर रहे आजाद समाज पार्टी के संस्थापक सदस्य आफताब अली ने बताया कि पानी के नमूनों की जांच कराया जाना जरूरी है। जिससे पानी की गुणवत्ता की जांच हो सके और लोगों को इस्तेमाल किए जा रहे पानी के बारे में जानकारी मिल सके।
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पेयजल के लिए बोतलबंद पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इससे हर माह घरेलू बजट भी बिगड़ता है। पानी की समस्या को दूर करने की जरूरत है। - सोनाली सिंह, स्थानीय निवासी
अवैध रूप से चल रहे पानी के प्लांट की जांच होनी चाहिए। क्षेत्र में पानी तो है ही नहीं ऊपर से प्लांट चलाने वाले और धरती को सूखा कर रहे हैं। - नवीन शर्मा, स्थानीय निवासी
पानी के प्लांट पर बड़ी आबादी निर्भर है। इनसे लोगों की जेब पर बोझ तो पड़ता ही है जबकि गुणवत्ता पूर्ण पानी न होने से नुकसान भी झेलने पड़ते हैं। - मुन्ना लाल, स्थानीय निवासी
पानी के प्लांट को बंद करा, नगर पालिका को अपने स्तर से पेयजल आपूर्ति सुधारनी चाहिए, इससे लोगों का खर्च भी कम होगा। - राघव झा, स्थानीय निवासी

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