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    आत्महत्या केस में उलझी जांच: सुसाइड नोट हाथ में लेकर थाने पहुंचे पिता, बोले-तय करो इंसाफ कौन देगा?

    By Vinit Edited By: Neeraj Tiwari
    Updated: Sat, 27 Dec 2025 10:17 PM (IST)

    गाजियाबाद में एक पिता अपने बेटे की आत्महत्या के बाद न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है। उमाकांत शुक्ला का बेटा कुसुमकांत शुक्ला ने ट्रेन के सामने आकर जान द ...और पढ़ें

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    थाना कविनगर में कानपुर से आए उमाशंकर शुक्ला। जागरण

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। एक पिता अपने बेटे की अर्थी को कंधों पर उठाने के बाद न्याय की खोज में है। यह संघर्ष बेटे की मौत से नहीं, बल्कि न्याय की उलझी फाइलों और थानों के बीच भटकती जांच से है। कानपुर के कसोलर गांव से गाजियाबाद तक का सफर तय करते हुए उमाकांत शुक्ला शनिवार को कविनगर थाना परिसर में टूट गए। उनकी आंखें लाल थीं, आवाज कांप रही थी, और हाथों में बेटे के कथित सुइसाइड नोट की प्रति थी।

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    यह केस कमिश्नरेट पुलिस को ट्रांसफर कर दिया

    उन्होंने कहा, "मेरा बेटा मर गया, अब तय करो कि इंसाफ कौन देगा?" जीआरपी ने उनके बेटे की आत्महत्या के लिए उकसाने का केस छह नवंबर को दर्ज किया था, लेकिन जांच की बजाय यह केस कमिश्नरेट पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया। पुलिस का कहना है कि उनके पास केस दर्ज नहीं हुआ, इसलिए वे जांच नहीं कर सकते।

    ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली

    उमाकांत शुक्ला ने बताया कि उनके बेटे कुसुमकांत शुक्ला ने छह नवंबर को कविनगर थानाक्षेत्र में रेलवे ट्रैक पर ट्रेन के सामने आकर आत्महत्या कर ली थी। कुसुमकांत एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे और उनकी शादी 2011 में गोविंदपुरम निवासी युवती से हुई थी। वे अपनी ससुराल में गोविंदपुरम में किराए पर रह रहे थे।

    बेटे की मौत के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग

    उमाकांत का आरोप है कि उनके बेटे को प्रताड़ित किया जाता था, जिससे परेशान होकर उसने आत्महत्या की। उन्होंने जीआरपी थाने में ससुरालियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। डेढ़ माह बाद जीआरपी ने केस ट्रांसफर कर दिया है। उमाकांत की मांग है कि जांच जीआरपी करे या सिविल पुलिस, लेकिन उनके बेटे की मौत के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

    कुसुमकांत ने आत्महत्या से पहले लिखा था नोट

    कुसुमकांत ने पत्नी अपर्णा को लिखे पत्र में बताया कि वह वित्तीय संकट में है। शादी और परिवार की जरूरतों के लिए उन्होंने लोन लिया और क्रेडिट कार्ड से सोना खरीदा, जिसे समायोजित करने का वादा पूरा नहीं हुआ। वह भारी ब्याज चुकाते रहे, मदद मांगने पर ससुराल से सीमित सहयोग मिला। बढ़ते कर्ज, ईएमआइ और संवाद की कमी ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया।

    "जीआरपी ने केस दर्ज किया था। जांच करने की बजाय केस सिविल पुलिस को भेजा है। जांच किस एजेंसी को करनी है, यह उच्च अधिकारियों के निर्देश पर तय होगा। जो आदेश प्राप्त होंगे, उसी के अनुरूप आगे कार्रवाई की जाएगी।"

    -सूर्यबली मौर्य, एसीपी कविनगर

    "आत्महत्या के लिए उकसावे की घटना गोविंदपुरम में हुई है। इसलिए जांच पुलिस को करनी चाहिए। यही वजह है कि जांच के लिए केस पुलिस को ट्रांसफर किया गया है।"

    -सुदेश गुप्ता, सीओ जीआरपी

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