गाजियाबाद: रेलवे स्टेशन पर मोबाइल चोरों के गिरोह का भंड़ाफोड़, सिम बेचकर करते थे साइबर ठगी
गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर मोबाइल चोरों के एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। ये गिरोह चोरी किए गए मोबाइल फोनों से सिम निकालकर बेचता था, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधों में किया जाता था। पुलिस ने गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
हसीन शाह, गाजियाबाद। यात्रीगण कृपया ध्यान दीजिए... यदि आपका मोबाइल चोरी हो जाता है या खो जाता है तो सबसे पहले उसका सिम बंद करा दीजिए। रेलवे स्टेशन पर साइबर अपराधियों का एक ऐसा गिरोह सक्रिय है, जो चोरी के मोबाइलों के सिम खरीद रहा है। साइबर अपराधी सिम के जरिये डाटा चोरी कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस को इसकी जानकारी उस दौरान हुई जब ट्रेन से तीन मोबाइल चोर पकड़े गए। चोरों ने बताया कि वह मोबाइल चोरी करने के बाद मोबाइल और सिम को अलग-अलग बेचते हैं। उन्हें सिम की अधिक कीमत मिलती है। कुछ लोग रेलवे स्टेशन पर उनसे सिम खरीदते हैं। अब पुलिस साइबर अपराधियों की तलाश में जुट गई है।
चेकिंग में पकड़े गए गए अपराधी
पुलिस उपाधीक्षक रेलवे सुदेश कुमार गुप्ता की टीम प्रभारी निरीक्षक दुर्गेश मिश्र के नेतृत्व में स्टेशन पर बुधवार को चेकिंग कर रही थी। प्लेटफार्म से जीआरपी ने तीन मोबाइल चोरों को पकड़ा। आरोपितों की पहचान गोंडा के गुड्डू यादव, शिवहर के शिवम दूबे और कानपुर के सर्जित श्रीवास्तव के रूप में हुई है।
11 मोबाइल बरामद
इनके पास से 11 मोबाइल, 9,800 रुपये और चांदी का आभूषण बरामद हुआ। आरोपितों पर चोरी व छिनैती के मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह चोरी करने के बाद सिम और मोबाइल अलग-अलग बेचते थे।
दिल्ली और गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर कुछ लोगों से उनका संपर्क है। वह उनसे सिम खरीदते हैं। चोरी होने के एक से दो घंटे के भीतर उन्हें मोबाइल बेचना होता है। चोरी होने के बाद जितना जल्दी वह सिम बेचते हैं उन्हें उतनी ही अधिक कीमत मिलती है। यदि सिम चोरी होने के बाद एक दिन पुराना हो जाता है तो वह नहीं बिकता है।
ठग चोरी के सिम का डाटा करते हैं चोरी
सिम बंद कराने में कुछ पीड़ित व्यक्ति को चार से छह घंटे लगा देते हैं। सिम बंद होने के बाद अपराधियों को डाटा नहीं मिल पता है। साइबर ठग सिम के जरिये यूपीआइ भी चालू कर लेते हैं, फिर पैसे ट्रांसफर कर लेते हैं। साइबर ठग सिम का डाटा भी चोरी करते हैं। चोरी के मोबाइल पर इंटरनेट का आइपी एड्रेस भी अपना नहीं रखते हैं। आरोपित किसी अन्य व्यक्ति के आइपी एड्रेस पर इंटरनेट चलाते हैं, जिससे वह पकड़ में नहीं आते।
ऐसे बरतें सावधानी
- मोबाइल चोरी होने के बाद तुरंत सिम बंद कराएं
- सिम में मोबाइल नंबर सेव करने की बजाय ई-मेल पर नंबर सेव करें
- सिम बदलने के बाद बंद हुए सिम को कूड़े में न फेंकें
- पुराने खराब मोबाइल को कबाड़ी को बेचने की बजाय उसे नष्ट कर दें
तीन मोबाइल चोरों को पकड़ा
"जीआरपी ने तीन मोबाइल चोरों को पकड़ा है। वह साइबर अपराधियों को सिम बेचते थे। जीआरपी सिम खरीदने वाले साइबर अपराधियों की तलाश में जुटी है।"
-सुदेश गुप्ता, सीओ, जीआरपी गाजियाबाद।
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