खोड़ा में पानी की किल्लत से लोग परेशान, बोले- राशन से ज्यादा हर माह पानी पर हो रहा खर्चा
गाजियाबाद के निवासियों का कहना है कि उनके घरों में राशन से ज्यादा खर्चा पानी पर हो रहा है। लोगों का कहना है कि हर महीने पानी का बिल राशन के खर्च से भी ...और पढ़ें
-1766696424754.webp)
खोड़ा में चल रहे पानी के अवैध प्लांट। जागरण
जागरण संवाददाता, खोड़ा। खोड़ा में लोगों के घर की ग्रोसरी और दूध का खर्चा एक तरफ है और पानी का खर्चा एक तरफ है। जितना खर्चा हर माह दूध और राशन पर होता है उससे कहीं ज्यादा खर्चा पानी पर हो जाता है। पीने से लेकर जरूरी कार्यों तक के लिए पानी खरीदकर गुजारा करना पड़ रहा है।
खोड़ा के लोगों ने बताया कि नहाने और कपड़े धोने से लेकर पीने तक के लिए पानी खरीदना पड़ता है। इससे वेतन से हर माह कम से कम चार से पांच हजार रुपये राशन पर खर्च हो जाता है। कई बार बोतलबंद पानी अधिक खरीदने के कारण यह खर्चा सात हजार रुपये तक पहुंच जाता है।
अगर नामी कंपनी का पानी पीएं तो खर्चा और बढ़ जाएगा। इसीलिए प्लांटों से ही पानी खरीदकर गुजारा करते हैं। उस पानी की गुणवत्ता सही है या नहीं, इसका भी पता नहीं चल पाता है। इन अवैध प्लांटों पर पानी की जांच भी नहीं होती है। लोगों का कहना है कि अगर गंगाजल की आपूर्ति हो जाए तो पानी का खर्चा खत्म हो जाएगा। इससे यहां की आबादी को बड़ी राहत मिलेगी। क्योंकि वेतन का एक बड़ा हिस्सा पानी पर खर्च हो जाता है।
योजना अटकने से बढ़ी परेशानी
लोगों का कहना है कि अगर अमृत 2.0 योजना के अंतर्गत गंगाजल मिल जाता तो आर्थिक स्थिति सुधर जाती। दरअसल, खोड़ा में 183 करोड़ से गंगाजल की आपूर्ति होनी थी। यह योजना अभी कागजों में अटकी हुई है। जल निगम के अधिकारी कभी योजना को निरस्त बता देते हैं तो कभी प्रक्रिया जारी होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। कोई भी अधिकारी योजना की सही जानकारी नहीं दे रहा है।
राशन से ज्यादा हर माह पानी खरीदने पर खर्चा होता है। अगर गंगाजल मिल जाता तो हर माह चार से पांच हजार रुपये बच जाते। गंगाजल मिलना केवल सपना बन गया है।
-राघव झा, स्थानीय निवासी
पीने के लिए अवैध प्लांटों से पानी खरीदकर गुजारा करना पड़ता है। घर की जरूरत के लिए टैंकर वालों से या फिर सबमर्सिबल वालों से पानी खरीदना पड़ता है।
-मुन्ना लाल, स्थानीय निवासी
खोड़ा में रहने वाले ज्यादातर लोग सामान्य परिवारों से आते हैं। लोगों को हर माह 12 से 15 हजार रुपये वेतन मिलता है। इसका बड़ा हिस्सा पानी पर खर्च हो जाता है।
-रविंद्र कुमार, स्थानीय निवासी
यहां पानी की समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए। जब तक पानी पर भी राजनीति होती रहेगी, पानी नहीं मिल सकता है। जनप्रतिनिधियों को केवल चुनाव में याद आती है।
-नवीन शर्मा, स्थानीय निवासी

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।