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    जर्जर फ्लैट में रहने वाले हजारों लोगों को मिलेंगे नए घर, जीडीए और एनबीसीसी में समझौता

    Updated: Fri, 21 Nov 2025 02:32 PM (IST)

    गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) तुलसी निकेतन योजना के पुनर्विकास के लिए एनबीसीसी के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की तैयारी में है। जर्जर फ्लैटों में रहने वाले निवासियों को नए घर मिलेंगे। जीडीए ने 1989-90 में यह योजना शुरू की थी, जिसमें 2,292 फ्लैट बनाए गए थे। फ्लैटों की वर्तमान स्थिति को देखते हुए पुनर्विकास का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है।

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    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। गाजियाबाद में जीडीए ने तुलसी निकेतन योजना के पुनर्विकास (री-डवलपमेंट) की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं। महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने के लिए जीडीए और एनबीसीसी के बीच समझौता पत्र (एमओयू) पर साइन को बोर्ड बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा। एमओयू साइन होने के बाद जर्जर फ्लैट में रहने वाले हजारों लोगों को नए, सुरक्षित और आधुनिक घर मिलने का रास्ता साफ होगा।

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    जीडीए ने वर्ष 1989-90 में 7.83 हेक्टेयर भूमि पर तुलसी निकेतन योजना विकसित की थी, जिसमें 2004 ईडब्ल्यूएस और 288 एलआइजी सहित कुल 2,292 फ्लैट बनाए गए थे। साथ ही 60 दुकानें भी आवंटित की गईं। वर्तमान में यहां 20 हजार से अधिक लोग निवास करते हैं।

    फ्लैटों की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है। कई जगह दीवारों का प्लास्टर गिर चुका है और हादसों में लोगों के घायल होने की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। स्थिति को देखते हुए जीडीए ने योजना के पुनर्विकास का प्रस्ताव तैयार किया था, जिसे बोर्ड द्वारा पहले ही स्वीकृति मिल चुकी है।

    प्राधिकरण द्वारा सभी 2,292 फ्लैटों और 60 दुकानों का विस्तृत सर्वे पूरा कर लिया गया है। हाल ही में एनबीसीसी टीम ने बहुमंजिला भवन निर्माण के मॉडल का प्रजेंटेशन भी दिया था। जीडीए और एनबीसीसी दोनों संस्थाओं के बीच आगामी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखे जाने क बाद एमओयू पर हस्ताक्षर का रास्ता साफ होगा। इसके बाद परियोजना पर तेजी से कार्य शुरू किया जाएगा।

    दो चरणों में पूरा होगा प्रोजेक्ट

    एनबीसीसी इस री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा करेगा। पहले चरण में एमओयू साइन होने के आठ सप्ताह में एनबीसीसी जीडीए को प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपेगा, जिसमें परियोजना का क्रियान्वयन मॉडल का आकलन होगा। दूसरे चरण में शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर डीपीआर (विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की जाएगी। यह पीपीपी माडल पर विकसित होगा।

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    तुलसी निकेतन योजना के फ्लैट जर्जर हो चुके हैं। ऐसे में उनका री-डेवलपमेंट आवश्यक है। सर्वे पूरा हो चुका है और एनबीसीसी के साथ समझौते पर आगामी बाेर्ड बैठक में मंजूरी के बाद कार्य जल्द आरंभ होगा। - आलोक रंजन, प्रभारी मुख्य अभियंता जीडीए