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    गाजियाबाद में एक आदेश से इमरजेंसी डॉक्टरों की बढ़ी मुश्किलें, एक फोरेंसिक डॉक्टर पर हर दिन 150 एमएलसी का बोझ

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 10:11 PM (IST)

    गाजियाबाद के सरकारी अस्पतालों में इमरजेंसी डॉक्टरों की परेशानी बढ़ गई है। नए आदेश के अनुसार, उन्हें एमएलसी मामलों की रिपोर्ट भी दर्ज करनी होगी। जिले म ...और पढ़ें

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    संयुक्त जिला अस्पताल का ट्रामा सेंटर। जागरण आर्काइव

    मदन पांचाल, गाजियाबाद। अब थप्पड़ मारने से लेकर पुलिस मुठभेड़ तक की एमएलसी (मेडिको लीगल केस) में फोरेंसिक विशेषज्ञ की सलाह जरूरी होगी। पहली बार सीएमओ के एक आदेश से जिले भर के इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर असमंजस में हैं। ईएमओ की मुश्किल बढ़ गई है। बोल रहे हैं कि एक फोरेंसिक विशेषज्ञ रोज 150 केसों में अंतिम सलाह कैसे देगा?दबी जबान में ईएमओ इस आदेश का विराेध कर रहे हैं। वे कह रहे हैं, चोट की स्टिंचिंग के बाद ओपिनियन संभव नहीं है।

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    बता दें कि जिले के पांच अस्पतालों और छह सीएचसी में 24 घंटे इमरजेंसी में रोज डेढ़ सौ से अधिक एमएलसी होती हैं। दरअसल, इस संबंध में दो दिसंबर को सीएमओ डाॅ. अखिलेश मोहन द्वारा जारी किये गये आदेश के बाद चिकित्सकों के बीच तरह-तरह की चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। आदेश में लिखा है कि फायर आर्म इंजरी एवं फिजिकल असाॅल्ट केसों के फाइनल ओपिनियन के लिए उक्त केसों को फोरेंसिक विशेषज्ञ डा. विशन कुमार मान को रेफर किया जाना अनिवार्य होगा। जिले में सुबह से लेकर रात होने वाले पोस्टमार्टम इन्हीं की देखरेख में होते हैं।

    सीएमओ ने सीएमएस व एमएस को निर्देश दिये हैं कि सभी चिकित्साधिकारियों को इस संबंध में आदेशित करें कि उनके द्वारा किये जाने वाले फायर आर्म इंजरी एवं फिजिकल एसाल्ट केसों के फाइनल ओपिनियन के लिए उक्त को रेफर करना सुनिश्चित करें। फोरेंसिक विशेषज्ञ द्वारा फाइनल रिपोर्ट तैयार करने के बाद ही उक्त केस से संबंधित व्यक्ति और विवेचक को रिपोर्ट उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। ऐसा तब है, जबकि यहां एक ही फोरेंसिक विशेषज्ञ है और प्रतिदिन मेडिको लीगल केस (एमएलसी) 150 मामले आते हैं। जिले में पुलिस के 25 थानों के अलावा जीआरपी और आरपीएफ का भी थाना है।

    सीएमओ ने इनको जारी किया आदेश

    • सीएमएस जिला एमएमजी अस्पताल
    • सीएमएस जिला महिला अस्पताल
    • सीएमएस जिला संयुक्त अस्पताल
    • सीएमएस 50 शैययायुक्त संयुक्त चिकित्सालय लोनी
    • सीएमएस 50 शैययायुक्त संयुक्त चिकित्सालय डूंडाहेडा विजयनगर
    • चिकित्सा अधीक्षक सीएचसी लोनी, मुरादनगर, मोदीनगर,डासना, बम्हैटा,
    • प्रभारी चिकित्साधिकारी पीएचसी भोजपुर

    एमएलसी को जानें

    मेडिको-लीगल केस (Medico-Legal Case), जिसका उपयोग कानूनी मामलों में चिकित्सा साक्ष्य के लिए होता है।मेडिको-लीगल केस एक चिकित्सा मामला है ,जिसमें चोट या बीमारी के कारण की जांच कानूनी एजेंसियों द्वारा की जाती है। ऐसे मामलों में डाक्टर का यह कानूनी कर्तव्य है कि वह तुरंत इसकी सूचना पुलिस स्टेशन को दें। यह दुर्घटना, हमले, या संदिग्ध आत्महत्या जैसे मामलों में होता है।

    "फायर आर्म इंजरी एवं फिजिकल एसाल्ट के एमएलसी केसों के फाइनल ओपिनियन के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञ डाॅ. विशन कुमार मान को रेफर करने के संबंध में आदेश जारी किया गया है। यह आदेश विशेष एमएलसी के केसों को लेकर जारी किया गया है। यदि सभी केसों को लेकर यह आदेश बन गया है तो इसे संशोधित किया जायेगा।"

    -डाॅ. अखिलेश मोहन, सीएमओ

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