Year Ender 2025: गाजियाबाद में महिला अपराध घटे पर हत्या की कोशिश बढ़ी, चुनौतीपूर्ण रहेगा नया साल
गाजियाबाद में साल 2025 में महिला अपराध में कमी आई है, लेकिन हत्या की कोशिश के मामलों में वृद्धि हुई है. यह ट्रेंड पुलिस के लिए चिंता का विषय है और नए ...और पढ़ें
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पुलिस के लिए नया साल चुनौतीपूर्ण रहेगा। फाइल फोटो- जागरण
विनीत कुमार, गाजियाबाद। गाजियाबाद में वर्ष 2025 अपराध के लिहाज से मिले-जुले संकेत लेकर आया। कमिश्नरेट पुलिस की सतत कार्रवाई, एंटी रोमियो स्क्वॉड, पिंक बूथ, डिजिटल निगरानी और सत्यापन अभियानों के चलते महिलाओं के खिलाफ अपराध में गिरावट दर्ज हुई, जिससे शहर में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई, लेकिन दूसरी तरफ हत्या के प्रयास के मामलों में उछाल ने यह स्पष्ट कर दिया कि छोटी रंजिशें और विवाद अब भी हिंसक रूप ले रहे हैं। जो 2026 के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
अपराध और अपराधियों पर लगाम के लिए कमिश्नरेट पुलिस ने 10 साल में जेल में गए बदमाशों का डाटाबेस तैयार किया है। इसके अलावा पुलिस ने अपराध नियंत्रण के लिए छिनैती और वाहन चोरी के हॉटस्पॉट चिन्हित कर ऐसे स्थानों पर पुलिस पेट्रोलिंग भी बढ़ाई है।
बदमाशों पर चौतरफा नकेल की तैयारी
पुलिस ने वाहन चोरी और स्नेचिंग पर रोक लगाने के लिए योजना बनाई है। इसके तहत 10 साल में सात तरह के अपराध (डकैती, लूट, स्नेचिंग, नकबजनी, चोरी, वाहन चोरी और गौकशी) में शामिल 14 हजार बदमाशों का डाटाबेस तैयार किया गया है। इनमें से कितने बदमाश जमानत पर हैं और कितने जेल में हैं उनकी जानकारी जुटाई।
गाजियाबाद जनपद के इनमें आठ हजार बदमाश हैं और पड़ोसी शहरों के छह हजार बदमाश हैं। दोनों की सूची बनाकर थानावार देकर इनका वेरीफिकेशन और निगरानी कराई जा रही है। वाहन चोरी और स्नेचिंग के चिन्हित हॉटस्पॉट पर सीसीटीवी कैमरे, नियमित चेकिंग और पुलिस गश्त लगाकर रोक लगाई जाएगी।
सालभर में 170 मुठभेड़ में 292 बदमाश दबोचे
वर्ष 2025 में पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ सख्त रूख अपनाते हुए 170 मुठभेड़ में तीन बदमाशों को ढेर किया। जनपद के विभिन्न थानों में लूट, हत्या, स्नेचिंग, चोरी व अन्य संगीन वारदातों में शामिल बदमाशों से हुई मुठभेड़ में 212 बदमाश पैर में गोली लगने से घायल हुए। पुलिस ने 292 बदमाशों को गिरफ्तार किया।
बीट पुलिसिंग व्यवस्था
कमिश्नरेट में इस वर्ष सबसे बड़ा बदलाव बीट प्रणाली की शुरूआत के रूप में देखने को मिला। गाजियाबाद को 2131 बीट में बांटा गया और 941 बीट एसआई तथा 1431 बीट पुलिसकर्मी नियुक्त किए गए। अब पासपोर्ट, चरित्र एवं किरायेदारी सत्यापन सहित अधिकांश सेवाएं बीट पुलिस अधिकारी ही प्रदान करते हैं।
स्थानीय अपराधियों पर निगरानी और शिकायतों का त्वरित समाधान बीट स्तर पर ही किया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों का दावा है कि इससे जिले में शहर में अपराध नियंत्रण और पुलिस-जन संपर्क दोनों में सुधार आया है।
अपराध कम करने के लिए कार्रवाई
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लूट, हत्या, स्नैचिंग, चोरी एवं अन्य संगीन अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए नियमित रूप से विशेष अभियान चलाए, जिसमें अपराध नियंत्रण के लिए अपराधियों के विरुद्ध गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एवं जिलाबदर जैसी सख्त कार्रवाई की गईं।
57 मुकदमों में 255 बदमाशों पर गैंगस्टर की कार्रवाई की गई और पूरे साल में कमिश्नरेट पुलिस द्वारा 6.85 करोड़ रुपये की संपति को जब्त किया गया। पुलिस ने 160 बदमाशों को वर्ष 2025 में जिला बदर घोषित कर जिले से बाहर निकाला।
घोषित जिला बदर जिले की सीमा में पाए जाने पर पुलिस ने नौ बदमाशों को गिरफ्तार भी किया। पुलिस बल ने मैनुअल इनपुट एवं तकनीकी संसाधनों का प्रभावी उपयोग जैसे सीसीटीवी निगरानी, डिजिटल इंटेलिजेंस एवं गठित विशेष टीमों की सक्रियता द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।
महिला अपराध पर आंकड़ों में सुधार
जनपद में एक साल में महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अंकुश के लिए पुलिस ने एंटी रोमियो स्क्वायड बनाए जिसमें 59 पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। पिंक बूथ पर 105 पुलिसकर्मियों की तैनाती है। पुलिस का कहना है कि महिला अपराध में दो साल में 39.19 प्रतिशत की कमी आई है।
अपराधियों को एहसास होना जरूरी कि वह निगरानी में हैं
अपराध कम हुए हैं, लेकिन हत्या के प्रयास बढ़ना बताता है कि हिंसा की प्रवृत्ति सतह पर दबाव में है, भीतर नहीं। 2026 में पुलिस को सिर्फ कार्रवाई नहीं, निवारक तंत्र मजबूत करना होगा। सबसे जरूरी है कि अपराध की शुरुआती सूचना और रेस्पांस टाइम घटे। पीआरवी, बीट अधिकारी, और थानों को एक इंटीग्रेटेड क्राइम अलर्ट सिस्टम में काम करना होगा।
सड़क, बाजार, और स्नेचिंग ज़ोन जैसे स्थानों पर नियमित पुलिस विजिबिलिटी जरूरी है। अपराधियों को यह अहसास होना चाहिए कि वे निगरानी में हैं। थानों में दर्ज पुराने अपराधियों का डोजियर अपडेट, व्यवहार पैटर्न, जमानत स्थिति, लोकेशन हिस्ट्री, और नेटवर्क मैपिंग अनिवार्य रूप से तैयार हो।
यह काम कागज से आगे बढ़कर डिजिटल डैशबोर्ड पर लाया जाए। जिससे चीता, बीट, और नाइट पेट्रोलिंग टीम को लाइव इनपुट मिले। हत्या के प्रयास के अधिकतर केस व्यक्तिगत रंजिश, भूमि विवाद, किराया विवाद और आवेग जनित हिंसा से जुड़े होते हैं। इसके लिए पुलिस को समुदाय मध्यस्थता, बीट स्तर काउंसलिंग, सत्यापन अभियान और विवाद-पूर्व हस्तक्षेप जैसे उपाय अपनाने होंगे।
वर्ष 2025 में महिला अपराध
| अपराध | मामले |
|---|---|
| हत्या | 23 |
| दहेज हत्या | 34 |
| दुष्कर्म | 87 |
| शीलभंग | 134 |
| अपहरण | 26 |
| महिला उत्पीड़न | 520 |
दो साल में अपराध का हाल
| अपराध | 2024 | 2025 |
|---|---|---|
| हत्या | 108 | 85 |
| हत्या का प्रयास | 114 | 143 |
| लूट | 84 | 33 |
| वाहन अन्य चोरी | 4354 | 3124 |
| आईटी एक्ट | 1054 | 847 |
- 12366 बदमाशों की पहचान की गई जिन्होंने 10 साल में जनपद में अपराध किए
- 8180 बदमाशों का प्रोफाइल तैयार कर डोजियर तैयार किए गए हैं
चेकिंग टीमों को बॉडी वार्न कैमरा, बुलैटप्रुफ जैकेट और आत्मरक्षा उपकरण के साथ बेसिक लाइफ सपोर्ट ट्रेनिंग भी दी जाए। अंत में कानून का डर जरूरी है, लेकिन पुलिस का भरोसा उससे भी बड़ा सुरक्षा कवच है। अगर प्रवर्तन, सत्यापन, डिजिटल इंटेलिजेंस और विवाद पूर्व हस्तक्षेप एक साथ लागू हुए तो 2026 में गाजियाबाद एक सुरक्षित और अपराध-नियंत्रित माडल जिला बन सकता है।
अनिल समानिया, रिटायर्ड डिप्टी एसपी

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