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    मोबाइल लोकेशन से बैंक खाते तक रडार पर, कैंसर दवाओं की तस्करी का डिजिटल नेटवर्क बेनकाब करने में जुटी पुलिस

    By Vinit Edited By: Neeraj Tiwari
    Updated: Fri, 28 Nov 2025 09:49 PM (IST)

    पुलिस कैंसर दवाओं की तस्करी के एक डिजिटल नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में लगी है। तस्कर मोबाइल लोकेशन और बैंक खातों का उपयोग कर रहे थे, जो अब पुलिस के रडार पर हैं। पुलिस नेटवर्क को उजागर करने और अपराधियों को पकड़ने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है।

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    प्रतिकात्मक तस्वीर।

    विनीत कुमार, गाजियाबाद। गाजियाबाद में महंगी कैंसर दवाओं की तस्करी का पर्दाफाश होने के बाद पुलिस अब पूरे नेटवर्क को तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर पकड़ने की दिशा में आगे बढ़ रही है। पुलिस को शुरुआती जांच में जिन मेडिकल स्टोर, दवा सप्लायरों और अस्पतालों से जुड़े संदिग्ध लोगों के नाम सामने आए उनके मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण और डिजिटल लेन-देन से जुड़ी जानकारी एकत्र की जा रही है।

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    नेटवर्क के तार जोड़ने में जुटी पुलिस

    आने वाले दिनों में यह पूरा डेटा साइबर टीम को सौंपा जाएगा, जहां तकनीकी विशेषज्ञ संदिग्धों की गतिविधियों की गहराई से जांच शुरू करेंगे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल मनी ट्रेल और डिजिटल ट्रेल की तलाश कर पूरे नेटवर्क का पता लगाकर आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।

    निगरानी से बचने के लिए ऐसे माध्यम हैं अपनाते

    पुलिस सबसे पहले काल डिटेल रिकाॅर्ड (सीडीआर) का विश्लेषण करेगी जिससे यह पता लगाया जा सके कि आरोपितों के बीच किस समय, कितनी बार और किन-किन नंबरों पर बातचीत हुई। इसके साथ ही लोकेशन हिस्ट्री का मिलान किया जाएगा। जिससे दवाओं की सप्लाई चेन में शामिल लोगों की आवाजाही की पुष्टि हो सके। टीम यह भी जांचेगी कि कहीं संदिग्धों ने वाट्सएप काल या वीओआइपी प्लेटफार्म का इस्तेमाल तो नहीं किया क्योंकि अक्सर तस्कर निगरानी से बचने के लिए ऐसे माध्यम अपनाते हैं।

    दवा बिक्री से जुड़े धन के पहुंचने की आशंका

    उधर, साइबर टीम मोबाइल फोन से डिलीट किए गए चैट, फाइलें और दस्तावेजों की रिकवरी भी कराएगी। इसमें वाट्सएप चैट, गूगल ड्राइव, फोटो, स्क्रीनशाट और बिलिंग रिकार्ड शामिल होंगे। जो तस्करी में अहम सबूत साबित हो सकते हैं। जांच का एक बड़ा हिस्सा संदिग्धों के वित्तीय लेन-देन पर भी रहेगा। पुलिस ने कुछ ऐसे बैंक खातों और ई वालेट की पहचान की है जिनमें अवैध दवा बिक्री से जुड़े धन के पहुंचने की आशंका है।

    रुपया किस तरह आरोपितों में बांटा जा रहा

    इन खातों के यूपीआई ट्रांजेक्शन, नकद निकासी, छोटे-छोटे खातों में बांटी गई रकम, संदिग्ध समयावधि में अचानक बढ़ी हुई गतिविधि और कई खातों में एक ही स्रोत से आने वाले रुपयों के जैसे पैटर्न की जांच की जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि मनी ट्रेल साफ होने के बाद आरोपितों पर सख्त कार्रवाई करने में सहूलियत होगी।

    इससे यह भी पता चलेगा कि कौन दवा निकाल रहा था, कौन बेच रहा था और रुपया किस तरह आरोपितों में बांटा जा रहा था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नेटवर्क को सिर्फ पकड़ने ही नहीं, बल्कि उसकी पूरी जड़ तक पहुंचने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। आने वाले दिनों में इस मामले में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आएंगी और कुछ गिरफ्तारी भी हो सकती हैं।

    मुख्य आरोपित की फर्म ब्लैकलिस्ट की

    पुलिस और औषधि विभाग की टीम ने 23 नवंबर को राजनगर एक्सटेंशन निवासी विश्वास त्यागी, आगरा निवासी आकाश शर्मा और मुरादनगर निवासी प्रिंस त्यागी को गिरफ्तार किया था।

    कैंसर की जिन दवाओं को कोल्ड चेन में रखना जरूरी है उनको भी खुले में रखकर बेचते थे। आरोपितों से 19 लाख रुपये की कैंसर की दवाएं और 8.85 लाख रुपये नकद बरामद करने के साथ ही एक महिंद्रा एक्यूवी 700 कार भी बरामद की गई।

    विश्वास त्यागी ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह अपनी लाइसेंस रद्द फर्म द मेडिसन हब के नाम पर फर्जी बिलों का खेल चलाता था।

    दिल्ली के चावड़ी बाजार स्थित आरबी एंटरप्राइजेज, ओखला की नोविटा फार्मा और गाजियाबाद की केयरहुड से फर्जी खरीद दिखाकर कैंसर की दवाओं को मुंबई और दिल्ली की तीन दवा फर्म थ्राइव फार्मा, यतनेश फार्मा और ब्रदर्स फार्मा को बेचता था। तीन दिन पूर्व मौके पर जांच में मेरठ रोड भट्ठा नंबर पांच स्थित केयरहुड फर्म बंद मिली।

    यह दवाएं हुईं बरामद

    पुलिस ने आरोपितों से 23 नवंबर को कैंसर के उपचार में काम आने वाली कीट्रूडा का एक वायल, एन्हर्टू के चार इंजेक्शन, जिफ्टिब के दस पैक, बिलिप्सा, कासिट 500 की 200 गोली, जोलास्टा की 38 शीशियां तथा नोवोटेक्स 100 के 50 इंजेक्शन शामिल हैं।

    इनमें से कीट्रूडा का एक बैच जिसकी कीमत 2.16 लाख रुपये है वह आयातित श्रेणी की औषधि है और कैंसर के उपचार में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। ये दवाएं न केवल अत्यंत महंगी हैं बल्कि इनमें से कई को 2 से 8 डिग्री कोल्ड चेन में रखना अनिवार्य होता है, जबकि गिरोह इन्हें बैग और गत्ते के डिब्बों में भरकर तस्करी करता था जिससे इनकी गुणवत्ता पूरी तरह खत्म होने की आशंका थी।

    "हमारे पास कई महत्वपूर्ण इनपुट हैं। सीडीआर, लोकेशन पैटर्न और बैंकिंग ट्रेल मिलते ही तस्करी नेटवर्क की कड़ियां तेजी से खुलेंगी। दोषियों के खिलाफ शीघ्र ठोस कार्रवाई की जाएगी।"

    -केशव कुमार चौधरी, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त

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