गाजियाबाद में कैंसर की दवाओं की तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, मरीजों को बेची जा रही थी एक्सपायरी दवा
गाजियाबाद पुलिस ने कैंसर और एक्सपायर दवाओं की तस्करी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसमें तीन लोग गिरफ्तार हुए हैं। यह गिरोह सरकारी अस्पतालों से सस्ती दवाएं खरीदकर महंगे दामों पर बेचता था, साथ ही एक्सपायर दवाओं को रीलेबल करके बेचता था। पुलिस ने बड़ी मात्रा में दवाएं बरामद की हैं और मामले की जांच जारी है।
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आरोपितों से बरामद गाड़ी। फोटो- जागरण
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। पुलिस और औषधि विभाग की टीम ने कैंसर मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले अंतरर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह दिल्ली से सीजीएसएस के लिए आपूर्ति की जाने वाली दवाओं को चोरी से मांगकर महाराष्ट्र और दिल्ली में बेच रहे थे।
इसके अलावा कैंसर की एक्सपायर दवाओं को भी ऐसे ही बेच रहे थे। कैंसर की जिन दवाओं को कोल्ड चेन में रखना जरूरी है उनको भी खुले में रखकर बेचते थे। आरोपितों से 19 लाख रुपये की कैंसर की दवाएं और 8.85 लाख रुपये नकद बरामद करने के साथ ही एक महिंद्रा एक्यूवी 700 कार भी बरामद की है। पुलिस पूरे गिरोह में शामिल अन्य आरोपितों और व्यापारियों की तलाश में जुटी है।
एडीसीपी क्राइम पीयूष कुमार सिंह के मुताबिक पकड़े गए आरोपित राजनगर एक्सटेंशन की आफिसर सिटी निवासी विश्वास त्यागी, मुरादनगर के गांव शहजादपुर निवासी प्रिंस त्यागी और आगरा के जगदीशपुरा थानाक्षेत्र के बोदला सेक्टर चार निवासी आकाश शर्मा है। विश्वास त्यागी की दा मेडिसन हब नाम से फार्मा एजेंसी है। लेकिन दो वर्ष पूर्व वह नकली दवा के मामले में पकड़ा गया था उसके बाद उसके खिलाफ कोर्ट में औषधि विभाग ने वाद दायर किया हुआ है। उसकी फर्म का लाइसेंस भी निरस्त कर दिया गया था इसके बावजूद वह इसी फर्म के नाम से काम कर रहा था।
विश्वास त्यागी को आगरा निवासी आकाश शर्मा दिल्ली से कैंसर के दवा लाकर देता था उसके बाद विश्वास त्यागी गाजियाबाद की केयर हुड फर्म, चावड़ी बाजार की आरबी एंटरप्राइजेज और ओखला की नौवीटा फार्मा के खरीद दिखाकर अपनी फर्म से थ्रीव फार्मा, यत्नेश फार्मा और ब्रदर्स फार्मा को बेचकर भारी मुनाफा कमाता था। एडीसीपी क्राइम पीयूष कुमार सिंह के मुताबिक आरोपितों से 19 लाख रुपए की दवा तथा 8.85 लाख रुपए समेत एक कार बरामद हुई है।
इन दवाओं में कैंसर में काम आने वाली कैटरोडा नामक इंजेक्शन भी है। जिसकी कीमत 2.16 लाख रुपए है। आरोपित विश्वास त्यागी इस दवा को 80 हजार रुपए में खरीदकर मुनाफा कमा रहा था। इसने अलावा कई अन्य दवा बरामद की गई हैं। सबसे गंभीर बात यह है कि बरामद नोवोटेक्स दवा का बैच मई 2025 में एक्सपायर हो चुका था, फिर भी आरोपित इसे खुलेआम बेचने की फिराक में थे।
बरामद दवाओं में कई महंगी दवा शामिल
बरामद दवाओं में कीट्रूडा का एक वायल, एन्हर्टू के चार इंजेक्शन, जिफ्टिब के दस पैक, बिलिप्सा, कासिट 500 की 200 गोली, जोलास्टा की 38 शीशियां तथा नोवोटेक्स 100 के 50 इंजेक्शन शामिल हैं। इनमें से कीट्रूडा का एक बैच जिसकी कीमत 2.16 लाख रुपये है वह आयातित श्रेणी की औषधि है और कैंसर के उपचार में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।
ये दवाएं न केवल अत्यंत महंगी हैं बल्कि इनमें से कई को 2 से 8 डिग्री कोल्ड चेन में रखना अनिवार्य होता है, जबकि गिरोह इन्हें बैग और गत्ते के डिब्बों में भरकर तस्करी करता था जिससे इनकी गुणवत्ता पूरी तरह खत्म होने की आशंका थी।
सीजीएचएस की मोहर मिटवाकर बाजार में बेचते थे
विश्वास त्यागी ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि दवाएं केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) से जुड़े सरकारी अस्पतालों की आपूर्ति वाली होती हैं, जिन पर सीजीएचएस सप्ला–नाट फार सेल छपा होता है।
वह दिल्ली के रोहिणी स्थित रघुनंदन मेडिकल स्टोर के संचालक मनोज राजपाल को तीन हजार रुपये देकर यह छपी हुई मोहर मिटवाता था। मोहर हटते ही दवाएं खुले बाजार में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर बेची जाती थीं और गिरोह को भारी मुनाफा होता था।
दो साल पहले नकली इंजेक्शन की बिक्री में पकड़ा था आरोपित
गिरफ्तार आरोपित विश्वास त्यागी दो वर्ष पूर्व भी पकड़ा गया था। औषधि विभाग ने उसे नकली इंजेक्शन की बिक्री करने के मामले में पकड़ा था। उसकी फर्म का लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई और सीजेएम कोर्ट में औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम की धाराओं में वाद दायर किया गया। औषधि निरीक्षक आशुतोष मिश्रा का कहना है कि लाइसेंस निरस्त होने के बाद भी चोरी छिपे आरोपित दवाओं की तस्करी कर रहा था।

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