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    अगर iPhone और Android पर अलग-अलग कैब किराया दिखाया तो कंपनियों पर गिरेगी गाज, CCPA करा रहा जांच

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 10:33 PM (IST)

    सरकार आइफोन और एंड्रायड फोन उपयोगकर्ताओं से अलग-अलग किराया वसूलने के मामले में कैब कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा है। सरकार किराए में पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहती है ताकि उपभोक्ताओं के साथ भेदभाव न हो।

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    हसीन शाह, गाजियाबाद। आईफोन और एंड्रायड फोन पर एप से कैब बुक करने पर एक ही स्थान और एक ही रूट का किराया अलग-अगल होने की शिकायत मिलने पर सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथाॅरिटी (सीसीपीए) इसकी जांच करा रही है। गाजियाबाद की राष्ट्रीय परीक्षणशाला में आईटी के विज्ञानी इसकी जांच कर रहे हैं। जांच में आरोप साबित होने पर कंपनियों पर शिकंजा कसा जाएगा।

    माना जाता है कि ज्यादातर आर्थिक रूप से संपन्न लोग आइफोन का प्रयोग करते हैं। जबकि ज्यादातर आम आदमी के पास एंड्रायड मोबाइल होते हैं। कई लोग लोग ऐसे होते है कि जो आईफोन और एंड्रायड मोबाइल दोनों रखते हैं। कुछ ग्राहकों के संज्ञान में आया कि एंड्रायड की तुलना में आईफोन से एप पर कैब बुक करने पर कैब कंपनियां ज्यादा किराया वसूल रही हैं।

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    जबकि रूट और लोकेशन बिल्कुल एक समान है। उसमें कोई अंतर नहीं है। कैब कंपनियों पर आरोप लगा कि महंगा और सस्ता मोबाइल के आधार पर कंपनियां गरीब-अमीर व्यक्ति की पहचान कर उनसे किराया वसूल रही हैं। पहले यह मुद्दा कई लोगों ने इंटरनेट मीडिया पर भी उठाया।

    इसके बाद लोगों ने अपनी शिकायत में बताया कि कैब कंपनियां मोबाइल के अलग-अलग माॅडल के आधार पर अलग-अलग किराया वसूल रही हैं। कंपनियों का एप तकनीकी रूप से एंड्रायड और आईओएस आपरेटिंग सिस्टम की पहचान कर किराया तय कर रहा है।

    आरोप लगने के बाद सीसीपीए ने इस पर संज्ञान लिया। इस मामले में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि ऐसी हरकतें पहली नजर में पारदर्शिता के बारे में उपभोक्ताओं के अधिकारों का खुला उल्लंघन हैं। उपभोक्ताओं का शोषण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

    उन्होंने सीसीपीए को पूरी जांच करने का निर्देश दिया था। सीसीपीए ने कैब कंपनियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। सीसीपीए मामले को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय परीक्षण शाला में इसकी जांच करा रही है। आईटी के विज्ञानी इस मामले की बारीकी से जांच कर रहे हैं। यदि जांच में आरोप साबित होते हैं तो कैब कंपनियां कार्रवाई की दायरे में आएंगी।

    कैब कंपनियों ने दिया था जवाब

    कंपनियों ने नोटिस के जवाब में कहा था कि ऑनलाइन कैब बुक कराने वाली कंपनी ने अपने जवाब में कहा था कि सभी यूजर्स यानी आईफोन और एंड्रायड के लिए समान किराया है।

    दूसरी कंपनी ने जवाब में बताया कि किसी यूजर के फोन निर्माता के आधार पर कीमत तय नहीं की जाती है। किराए में कुछ अंतर हो सकते हैं। कई बार पिक-अप प्वाॅइंट, अनुमानित आगमन समय (ईटीए) और ड्राॅप-ऑफ प्वाॅइंट अलग हो सकते हैं। ये फैक्टर डायनेमिक प्राइसिंग में भूमिका निभाते हैं।

    इस तरह हो रही जांच

    • एल्गोरिथ्म और बैकएंड सिस्टम की जांच।
    • प्राइसिंग एल्गोरिथ्म की ऑडिट।
    • किराया तय करने का एल्गोरिथ्म के पैरामीटर।
    • एप डिवाइस-लेवल डाटा को प्राइसिंग माॅडल में भेजना।
    • कंपनी के कोड-लेवल जानकारी।
    • काॅल और नेटवर्क ट्रैफिक विश्लेषण।
    • एक ही रूट पर दो अलग डिवाइस से की गई बुकिंग का परीक्षण।
    • अलग-अलग यूजर्स को अलग कीमतों की ए/बी टेस्टिंग।
    • आईओएस या प्रीमियम डिवाइस पर लागू करने की जांच।
    • कैब कंपनियों का एप क्या-क्या परमिशन लेता है।
    • डिवाइस का कौन सा डेटा सर्वर को भेजता है।
    • लोकेशन सटीकता का तुलनात्मक विश्लेषण।
    • आईफोन और एंड्रायड दोनों की जीपीएस एक्यूरेसी अलग होने का विश्लेषण।
    • पिछले कई माह के किराये का विश्लेषण।

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