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    लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे में बड़ा घोटाला, 27 के खिलाफ FIR

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 17 Apr 2017 03:15 PM (IST)

    अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे बड़ा घोटाला सामने आया है। इसमें करोड़ों का मुआवजा घोटाला हो गया। इस प्रकरण में 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।

    लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे में बड़ा घोटाला, 27 के खिलाफ FIR

    फीरोजाबाद (जेएनएन)। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे बड़ा घोटाला सामने आया है। इसमें करोड़ों का मुआवजा घोटाला हो गया। इस प्रकरण में 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। यहां अधिकारियों ने कृषि भूमि को आबादी में घोषित कर ज्यादा मुआवजा दे दिया। चकबंदी अधिकारियों समेत 27 लोगों के खिलाफ शिकोहाबाद थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। 

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    मामला सिरसागंज तहसील के गांव बछेला-बछेली से जुड़ा है। एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए कई गाटाओं की जमीन अधिग्रहण करने के लिए सात अक्टूबर 2013 व 30 दिसंबर 2013 को नोटिफिकेशन किया गया था। इसमें कुछ पर खतौनी में लगान मुक्त किए जाने संबंधी कोई आदेश अंकित नहीं था।

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    उप्र एक्सप्रेस वे डेवलपमेंट इंड्रस्ट्यिल एथॉरिटी (यूपीडा) के स्पेशल फील्ड ऑफीसर योगेश नाथ लाल की ओर से पुलिस को बताया गया है कि बैनामा के दौरान इसे आबादी में दिखा दिया। इससे भू 3.29 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान करना पड़ा। डीएम नेहा शर्मा के आदेश पर धोखाधड़ी से अधिक मुआवजा वसूलने का मुकदमा दर्ज हुआ है।

    समाजवादी पार्टी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि आगरा-लखनऊ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे सपा के गढ़ फीरोजाबाद में ही करोड़ों का मुआवजा घोटाला हो गया। अधिकारियों ने भूमि स्वामियों के साथ मिलकर कृषि भूमि को आबादी क्षेत्र में घोषित कर ज्यादा मुआवजे की अदायगी की गई।

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    एक्सप्रेस वे परियोजना के लिए गाटा (संख्या 231/0.3440, 212/0.5670, 227/1.1550, 235/1.2290) अधिग्रहण करने के लिए सात अक्टूबर 2013 व 30 दिसंबर 2013 को नोटिफिकेशन किया गया। इसमें उक्त गाटा के सम्मुख भू अभिलेख (खतौनी) में बंदोबस्त अधिकारी, चकबंदी का लगान मुक्त किए जाने संबंधी कोई आदेश अंकित नहीं था। उप्र एक्सप्रेस वे डेवलपमेंट इंड्रस्ट्यिल एथॉरिटी (यूपीडा) के स्पेशल फील्ड ऑफीसर योगेश नाथ लाल की ओर से पुलिस को बताया गया है कि बैनामा के दौरान संबंधित काश्तकारों ने चकबंदी अधिकारियों से साठगांठ कर 30 जुलाई 2012 में इसे आबादी भूमि में दिखा दिया। इसकी एंट्री खतौनी में 18 अप्रैल 2014 को कराई। 

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    इसके आधार पर कुल 21 भूमि स्वामियों की जमीन के मुआवजे की गणना आबादी की दर से करते हुए तहसील शिकोहाबाद में परियोजना के पक्ष में बैनामे करा दिए गए। बैनामा के बाद अरङ्क्षवद कुमार सहित 11 भू स्वामियों को मुआवजे का भुगतान शुरू कर दिया। इसी दौरान शिकायत होने पर शेष का भुगतान रोक दिया। डीएम के आदेश पर उक्त गाटा संख्या की जांच एडीएम राजस्व की अध्यक्ष में गठित समिति को सौंपी गई। 18 मई 2015 को डीएम को दी गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि परियोजना के लिए अधिग्रहीत (गाटा संख्या 212/0.5670) कृषिभूमि है।

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    गाटा संख्या (231/0.2730) को लगान मुक्त आबादी घोषित किया गया है। 1यह हाईवे से सटा है, जिस पर तीन पक्की दुकानें 32 वर्गमी. क्षेत्रफल में तथा 32 वर्गमी. में कमरा बना है। दुकान व कमरों को छोड़ कर शेष कृषि भूमि है। इसी तरह गाटा (संख्या 235/1.2290) में 132 वर्ग मी. में मकान है और 140 वर्ग मीटर में नींव भरी है, शेष कृषि भूमि है। इसी प्रकार अन्य गाटा में भी यही स्थिति है। 

    इनके खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

    तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी, चकबंदी मैनपुरी/ फीरोजाबाद नितिन चौहान, भगवान स्वरूप त्रिपाठी तत्कालीन सहायक चकबंदी अधिकारी फीरोजाबाद, दफेदार खां तत्कालीन रीडर न्यायालय बंदोबस्त अधिकारी, वीरेंद्र कुमार द्विवेदी (सेवानिवृत) चकबंदीकर्ता और अनिल कुमार चकबंदी लेखपाल। इसके अलावा नगला छीते ग्राम बछेला-बछेली शिकोहाबाद निवासी अरङ्क्षवद कुमार, महिपाल सिंह, सुरेश , राम कैलाश , सुमन देवी, रमेश, सत्याराम, राम सेवक , जगदीश , रामनाथ , लाढ़ो देवी , श्रीकृष्ण, श्रीराम , अभय प्रताप उर्फ धर्मेंद्र कुमार , श्याम सिंह, बलेश्वरी प्रसाद, फुलवासा देवी, विद्याराम ,जमुना देवी, सुघर सिंह , शिवराम, अनिल कुमार।

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