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    फिरोजाबाद का मां कामाख्या मंदिर, जहां असम की तरह मनता है अंबुबाची महोत्सव, दर्शन करने देश भर से आते हैं भक्त

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Tue, 20 Jun 2023 03:19 PM (IST)

    तीन दिन रहेगी अंबुबाची महाेत्सव की धूम। विश्व भर में अपने चमत्कारिक रूप के लिए प्रसिद्ध मां कामाख्या की होने वाली विशेष पूजा हर किसी के लिए आकर्षण होगी। महोत्सव में उप्र के अलावा मध्य प्रदेश महाराष्ट्र राजस्थान सहित कई प्रदेश और जिलों से श्रद्धालु आएंगे।

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    Ambubachi Mahotsav 2023 जसराना का प्रसिद्ध मां कामाख्या का मंदिर, तीन दिन रहेगी अंबुबाची महाेत्सव की धूम

    फिरोजाबाद, जागरण  टीम। यूपी की सुहागनगरी में मां कामाख्या धाम है। मुख्यालय से करीब पचास किलोमीटर दूर जसराना तहसील में स्थित मां कामाख्या धाम पर हर वर्ष 22 जून से अंबुबाची महोत्सव मनाया जाता है। ये महोत्सव असम की तरह मनाया जाता है। चार दिन तक मां के दर्शन करने के लिए उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। इस लेख के जरिए आपको बताते हैं इस प्राचीन मंदिर की मान्यता और विशेषता।

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    असोम के कामाख्या धाम की तरह होता है महोत्सव

    जसराना कस्बा स्थित मां कामाख्या का अति प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर असम के कामाख्या धाम की तरह ही वर्ष में एक बार अंबुबाची महोत्सव का आयोजन किया जाता है। मंदिर बंद होने से पूर्व माता की सेवा में सिर्फ महिलाएं रहती हैं। पीठाधीश महेश स्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि मां कामाख्या के रजस्वला होने पर अंबुबाची महोत्सव मनाया जाता है। इस बार 22 से 26 जून तक धार्मिक कार्यक्रमों का आयाेजन होगा। इस दौरान दो दिन तक मंदिर के पट बंद रहेंगे और बाहर भजन कीर्तन होंगे। 25 और 26 जून को मां के विशेष दर्शन होंगे।

    खंडहर भूमि पर वर्ष 1976 में पड़ी थी नींव

    मां कामाख्या देवी के मंदिर की नींव वर्ष 1976 में पड़ी थी। यह स्थल खंडहर के रूप में था। जैथरा एटा से स्वामी माधवानंद यहां पर आए तो क्षेत्रीय लोगों ने उनसे यहां मंदिर बनाने के लिए कहा। वह मां कामाख्या के भक्त थे। उन्होंने सफाई कराकर पूजा अर्चना शुरू कर दी। 31 अक्टूबर 1984 को कामाख्या मंदिर की स्थापना हुई। 

    जयपुर से अपहृत बच्चा मिलने पर आई थी प्रतिमा

    क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि जयपुर से एक बच्चे का अपहरण हुआ था। स्वजन उसे खोजते हुए जसराना पहुंचे तो कुछ लोगों के कहने पर वह मंदिर में पहुंचे। उस समय यहां प्रतिमा नहीं थी, बस स्वामी जी पूजा करते थे। स्वामी जी ने स्वजन से कहा बच्चा कल तक मिल जाएगा। दूसरे दिन बच्चा थाने पहुंचा। उसने बताया कि उसे कस्बा के निकट एक खेत में हाथ पैर बांध कर रखा गया था, लेकिन रात में एक बालिका आई और उसके आते ही हाथ खुल गए। उसने ही निकलने की राह दिखाई। इसके बाद से यहां की मान्यता बढ़ गई। स्वजन द्वारा चढ़ाए गए चढ़ावे में भक्तजनों ने सहयोग राशि मिलाकर प्रतिमा की स्थापना कराई। 

    ऐसे पहुंचे मंदिर

    • एटा से फिरोजाबाद आने वाले भक्त शिकोहाबाद रोड पर जसराना स्थित मंदिर में पहुंच सकते हैं। एटा से मंदिर की दूरी 26 किमी है।
    • मैनपुरी की तरफ से आने वाले भक्त मैनपुरी एटा रोड से होते हुए जसराना पहुंच सकते हैं, मैनपुरी से दूरी 38 किमी है।
    • आगरा एवं अन्य जगह से आने वाले भक्त शिकोहाबाद होकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं। शिकोहाबाद में एटा चौराहा से जसराना की दूरी 16 किमी है।

     

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