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    फतेहपुर पटाखा बाजार में एक घंटे तक धधकी आग, 70 दुकानें और 25 बाइकें जलीं, डेढ़ किमी तक धुआं ही धुआं

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 07:58 PM (IST)

    फतेहपुर के एक पटाखा बाजार में आग लगने से 70 दुकानें और 25 बाइकें जल गईं। चिंगारी से शुरू हुई आग तेजी से फैली, जिससे भगदड़ मच गई और पांच लोग घायल हो गए। दमकल विभाग की लापरवाही सामने आई है, क्योंकि मौके पर मौजूद गाड़ी में पानी नहीं था। जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं। घटना में लगभग पांच करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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    आग लगने से दुकानें के अंदर से उठतीं लपटें और आसमान में छाया धुंआ। जागरण 

    जागरण संवाददाता, फतेहपुर। महात्मा गांधी डिग्री कालेज मैदान में लगे पटाखा बाजार (Firecracker Bazaar) में रविवार दोपहर 12.05 बजे एक दुकान से निकली चिंगारी से आग लग गई। देखते ही देखते आग फैलती गई और सभी 70 दुकानें चपेट में आ गईं। आतिशबाजी जली तो धमाका व धुआं से आसपास के डेढ़ किलोमीटर का इलाका दहशत में आ गया। घटना के दौरान भगदड़ होने से करीब पांच लोगों को मामूली चोटें आईं। दुकानों के साथ वहां पर खड़ीं बुलेट, स्कूटी समेत 25 बाइकें व पांच साइकिलें जलकर राख हो गईं। इस साल अब तक पटाखों की वजह से यूपी में कई लोगों की जान जा चुकी है।

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    हादसे में पांच करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। हादसे के पीछे फायर ब्रिगेड की लापरवाही सामने आई है। मौके पर जो गाड़ी खड़ी की गई थी उसमें पानी ही नहीं था। अगरबत्ती जलाने और सिगरेट पीकर फेंकने से आग लगने की चर्चा है। डीएम रविंद्र सिंह ने पूरे घटनाक्रम की जांच एडीएम से कराने के निर्देश दिए हैं।

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    पटाखा बाजार में लगी आग की जानकारी लेत जिलाधिकारी रविंद्र सिंह व एसपी अनूप सिंह। जागरण  

    पटाखा बाजार महाविद्यालय मैदान में लगा था। इसके लिए सभी दुकानदारों को प्रशासन ने लाइसेंस जारी किए थे। महाविद्यालय के ठीक सामने ही लगभग दो सौ मीटर की दूरी पर दमकल विभाग है। मंडी के अंदर किसी आपात घटना से निपटने के लिए दमकल की 800 लीटर पानी क्षमता वाली एक गाड़ी खड़ी थी, लेकिन जब आग लगी तो उसके पाइप से पानी ही नहीं निकला क्योंकि टैंक खाली था। दुकानदार अग्निशमन यंत्रों का प्रयोग करते रहे, लेकिन बारूद हर मिनट विकराल रूप लेता गया और आग नियंत्रण से बाहर हो गई। 25 मिनट तक कोई मदद नहीं पहुंची। 40 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया। जिस समय आग लगी उस समय पटाखा बाजार में तकरीबन चार सौ लोग थे।

    अचानक धमाका व आग देख लोग बचाओ-बचाओ चिल्लाते भागे। उसमें से कुछ बाउंड्री फांदकर नहर की ओर कूद गए। बाजार से सटे हुए मानव कल्याण हास्पिटल का फायर सिस्टम अलर्ट कर पानी की पाइप मंडी के अंदर तक पहुंचा कर कुछ राहत दी गई। आग लगने के 25 मिनट बाद जब एडीएम राजस्व एवं वित्त अविनाश त्रिपाठी, एडिशनल एसपी महेंद्र पाल सिंह, एसडीएम अनामिका श्रीवास्तव, तहसीलदार अमरेश सिंह घटनास्थल पर पहुंचे तो ठीक से राहत कार्य शुरू हुआ।

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    पटाखा बाजार में आग लग जाने के बाद बाहर की ओर भागते लोग।  जागरण 

    प्रशासन फेल तो मदद को उतरे स्थानीय लोग

    पटाखा बाजार से सटा हुआ मुहल्ला उत्तरी शांतिनगर है। जब पटाखे दग रहे थे और भगदड़ हो रही थी तो स्थानीय अशोक कुमार, अरुण मिश्र, आशीष सिंह गौर, शिवनारायण सिंह समेत कई स्थानीय लोग घरों से बाल्टी में पानी भरकर उठ रहीं लपटों पर डाल रहे थे। इसके साथ ही बाउंड्री से मुहल्ले की तरफ कूद रहे लोगों को सुरक्षित स्थान पर बैठा रहे थे।

    घटना को लेकर पांच सवाल

    • पटाखा बाजार में सुरक्षा के इंतजाम में दमकल गाड़ियां क्यों नहीं थी।
    • बस्ती से सटे स्थल पर पटाखा बाजार की अनुमति कैसे दी गई।
    • 10-10 हजार रुपये दुकान लगाने के लिए क्यों और किसके पास जमा हुए।
    • एक दिन पहले सुरक्षा के इंतजाम जांचे गए तो अफसरों को कमियां क्यों नहीं दिखीं।
    • बाजार के अंदर ज्वलनशील पदार्थ कैसे पहुंचे, गेट पर क्यों नहीं रोका गया।

     


    आग किस कारण लगी है इसकी जांच कराई जाएगी। नुकसान का आकलन किया जा रहा है। किस स्तर पर किसकी गलती है, इसकी जांच कर कार्रवाई भी तय की जाएगी। कोई जनहानि नहीं हुई है।
    --रविंद्र सिंह डीएम

     

     

    आग लगने का कारण पता नहीं है, इसकी जांच होगी। दुकानें जली हैं। जनहानि नहीं हुई है। हम पूरे प्रकरण की जांच करा रहे हैं। जैसे ही जांच रिपोर्ट आ जाएगी आगे की कार्रवाई की जाएगी।
    --अनूप सिंह, एसपी

     

    नहर बन गई वरदान, कपड़ों की आग पानी में कूदकर बुझाई


    त्योहारी में आतिशबाजी का उत्साह सबको शांतिनगर की पटाखा मंडी की ओर खींच रहा था। कोई बाजार पहुंच गया तो कोई पहुंचने की तैयारी में जुटा था। दोपहर 12.05 मिनट में यह मंडी आग की चपेट में आई तो शहर के हर क्षेत्र से आसमान में धुंआ और फूटते गोला व पटाखा की आवाज से दहल गया। अपनों को पता लगाने के लिए लोग पटाखा मंडी की ओर भागे तो कोई फोन करके पूछने लगा। मौके पर भीड़ बढ़ी तो पुलिस को लाठियां पटक कर लोगों को भगाना पड़ा। 30 मिनट तक शहर के अंदर का जीटी रोड मार्ग से यातायात ठप रहा।

    30 से 40 दुकानदारों की बची जान


    पटाखा मंडी के ठीक पीछे अपनी छत पर खड़े अशोक कुमार व अरुण मिश्र सरपट दौड़ लगाकर बचे और बचाओ-बचाओ की आवाज लगाने लगे। यह सुन कर मानव कल्याण हास्पिटल व संजीवनी हास्पिटल के कर्मचारी व पिंटू सिंह नहर पटरी पर खड़े हुए और बाजार की बाउंड्री से लोगों को चढ़कर नहर पटरी में उतरने लगे। राजू दुकानदार कंधे में बैग टांगकर कूदे इनके पीठ में आग सुलग रही थी, वह छप से नहर में कूदे और आग बुझाई। इसी क्रम में 30 से 40 दुकानदार उत्तरी शांतिनगर में घुसकर जान बचाने में सफल हो गए।

    पापा बचा लो, अब पटाखा नहीं खरीदेंगे


    मुख्य गेट की तरफ 14 वर्ष के राहुल कुमार बदहवास थे, पिता राजन का हाथ पकड़े यही बोल रहे थे पापा बचा लो अब पटाखा नहीं खरीदेंगे। वहीं श्याम मौर्य व राजेश सिविल लाइंस से पटाखा लेने बच्चों के लेकर आए थे, बाइक अंदर रह गयी तो बाइक निकालने की कोशिश करने लगे। ऐसे में सिपाही राहुल ने हाथ पकड़ा और नुकसान की चिंता छोड भाग कर जान बचाने की नसीहत दी।

    तीन तरफ से जमा हो गयी भीड़, भगदड़


    पटाखा बाजार में हादसे की खबर जंगल में आग की तरह फैल गयी। देखते ही देखते यहां हजारों की भीड़ जमा हो गयी। पुरानी जीटी रोड में जहां डिवाइड के ऊपर खड़े होकर लोग वीडियो बना रहे थे, तो वहीं उत्तरी शांतिनगर से हाईवे जाने वाली रोड में हजारों भीड़ बस यही कामना कर रही थी कि जो बचे हैं उन्हें ईश्वर बचा लें।

    धमक से हिलने लगे मकान, दहशत में कांपने लगे लोग


    पटाखा बाजार में धमाका दर धमका हो रहा था। आसपास की बस्तियों में बनें मकान धमक से हिलने लगे मकान में रह रहे लोग दहशत से कांपने लगे हैं। रमेश गुप्ता, आशिक अली ने बताया कि आग लगने के समय कई दुकानों में ग्राहक मौजूद थे, लेकिन समय रहते सभी बाहर निकल आए जिससे किसी की जान नहीं गई। आसपास के घरों और दुकानों में भी लोगों ने एहतियात के तौर पर बिजली के कनेक्शन बंद कर दिए। हादसा की भयावहता को देख हर किसी के मन में यही था कि न जाने कितने लोगों की जान चली गई होगी। जब पता चला कि कोई जनहानि नहीं हुई तो लोगों ने सुकून महसूस किया।

    जलपान कराया, फोन पर घर वालों से बात


    पटाखा बाजार भले ही आग की चपटों से घिरा था, लेकिन बाजार के बाहर के दुकानदारों ने खूब दरियादिली दिखाई। मुसीबत में फंसे पटाखा दुकान दारों को अपनी दुकानों बैठाया, पानी पिलाया और समोसा व पूड़ी सब्जी खिलाकर सांत्वना दिया। दुकानदार संजीव, नाजिम और सुरेंद्र कुमार अपने फोन जलती दुकानों में छोड़ आए थे, इन्होंने बाहर की दुकानदारों के फोन से अपने घर में बात की।

    यह रहा घटनाक्रम

    • दोपहर 12: 05 बजे चिंगारी से दुकान नंबर दो में लगी आग
    • दोपहर 12: 15 बजे आधी बाजार चपेट में आ गई, लोग दौड़े
    • दोपहर 12: 20 धमाका व धुआं से इलाका दहला, भीड बढ़ी
    • दोपहर 12:30 बजे दमकल की गाड़ी आग बुझाने पहुंची
    • दोपहर 12:35 बजे कोतवाली प्रभारी पुलिस कर्मियो के साथ पहुंचे
    • दोपहर 12:45 बजे एडीएम वित्त, एएसपी पहुंचे।
    • दोपहर 12:55 बजे एसडीएम और तहसीलदार पहुंचे।
    • दोपहर 1:00 बजे आग पूरी तरह से बुझा दी गई।
    • दोपहर 1:40 बजे जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक पहुंचेफतेहपुर पटाखा बाजार में एक घंटे तक धधकी आग, 70 दुकानें और 25 बाइकें जलीं, डेढ़ किमी तक धुआं ही धुआं

     

    फतेहपुर में ही ढाई माह में पटाखा विस्फोट से छह की मौत

    दमकल व पुलिस की शिथिल कार्यप्रणाली के चलते पटाखा विस्फोट से जिले में बीते ढाई माह में दंपती समेत छह लोगों की मौत हो चुकी है। हुसेनगंज थाने के जमरावां में पटाखा निर्माण के दौरान 24 अगस्त 2025 को विस्फोट हो गया जिससे आतिशबाज व इसकी पत्नी की मौत हो गई थी। 14 सितंबर को धाता कस्बा में पटाखा विस्फोट से आतिशबाज की वृद्ध मां की मौत हो गई। 29 सितंबर को कल्यानपुर थाने के रेवाड़ी खुर्द में आतिशबाज पिता, पुत्री व पुत्र की मौत हो गई। 

    इन जिलों में पटाखों ने छीनी जिंदगी

    • 17 अक्टूबर को फर्रुखाबाद में बाइक से दैमार पटाखों की बोरी ले जाते समय विस्फोट से दो छात्रों की जान चली गई थी। एक घायल हो गया था।
    • आठ अक्टूबर को कानपुर नगर में मूलगंज थानाक्षेत्र स्थित मेस्टन रोड में पटाखों में विस्फोट हुआ था, जिसमें 12 लोग घायल थे। इनमें से आठ लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जिसमें से एक व्यक्ति अब्दुल मितालिब की मौत हादसे के तीन दिन बाद हो गई।
    • दो अक्टूबर को बांदा में बड़ोखर खुर्द गांव के मजदूर रामबाबू का आठ वर्षीय पुत्र आकाश देवी प्रतिमा देखकर लौटते समय रास्ते में मिले अधजले पटाखे को उठाकर घर ले गया था। जहां बाद में मुंह में पटाखा दबाकर माचिस से आग लगाने में उसकी मौत हो गई थी। 10 वर्षीय बड़ा भाई सूरज झुलस गया था।24 अगस्त को हुसेनगंज थाने के जमरावां में पटाखा निर्माण के दौरानविस्फोट हो गया जिससे आतिशबाज व इसकी पत्नी की मौत हो गई थी।
    • 14 सितंबर को धाता कस्बा में पटाखा विस्फोट से आतिशबाज की वृद्ध मां की मौत हो गई।
      29 सितंबर को कल्यानपुर थाने के रेवाड़ी खुर्द में आतिशबाज पिता, पुत्री व पुत्र की मौत हो गई।

  • 22 जुलाई को उन्नाव में पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट में एक की मौत हो गई थी। जबकि एक अन्य घायल हो गया थी। घटना के समय बनाए गए पटाखों को सुखाया जा रहा था। इसी दौरान विस्फोट हो गया।