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    Fatehpur Tomb Dispute: सीएम को भेजी रिपोर्ट ने उड़ाए पुलिस अफसरों के होश, जानें विवाद का कौन जिम्मेदार

    By Govind Dubey Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Mon, 18 Aug 2025 02:49 PM (IST)

    फतेहपुर में मकबरे को ठाकुरजी विराजमान मंदिर बताकर हुए बवाल की जांच रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। कमिश्नर और आईजी की संयुक्त 75 पन्ने की रिपोर्ट में पुलिस-प्रशासन को बवाल रोकने में विफल माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भीड़ के मकबरे में घुसने तक बड़े अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे थे। लापरवाही करने वाले अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई की संभावना है।

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    मकबरे को मंदिर मानकर 11 अगस्त को झंडे लेकर चढ़े सनातनी।  जागरण

    जागरण संवाददाता, फतेहपुर।  Fatehpur tomb dispute: मकबरे को ठाकुरजी विराजमान मंदिर बताकर 11 अगस्त को हुए बवाल की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। छह दिन तक जिले में रहे कमिश्नर प्रयागराज विजय विश्वास पंत व आइजी अजय कुमार मिश्र ने प्रकरण में 75 पेज की रिपोर्ट तैयार की थी। पुराने दस्तावेज, सेल डीड, कोर्ट के आदेश के साथ संयुक्त रूप से भेजी गई रिपोर्ट में दोनों अफसरों ने माना है कि बवाल रोकने में पुलिस-प्रशासन फेल रहा।

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    इस बात का भी जिक्र किया गया है कि भीड़ मकबरे में घुस गई तब तक पुलिस-प्रशासन के बड़े अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे थे। वे लोकेशन पूछे जाने पर वहां गए। माना जा रहा है कि मामले में कई अफसरों व कर्मचारियों पर कार्रवाई हो सकती है। डीएम रविंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है। एसपी अनूप सिंह के सीयूजी फोन पर काल की गई, लेकिन उत्तर नहीं मिला।

    मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति, विहिप, भाजपा के शीर्ष पदाधिकारियों के बुलावे पर 11 अगस्त को भीड़ एकत्रित हुई थी। इस भीड़ की एक टुकड़ी ने मकबरे के अंदर पहुंच कर पूजा अर्चना की और यहां बनी मजारों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके वीडियो भी इंटरनेट मीडिया में मौजूद हैं।

    शासन को भेजी गई रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि भीड़ को रोकने के लिए बैरिकेड्स जरूर बनाए गए थे, लेकिन जिस समय भीड़ कर्पूरी ठाकुर चौराहे पर एकत्रित हो रही थी उस समय रोकथाम के प्रयास नहीं हुए। यहां तक की जब बैरिकेड्स गिराकर भीड़ अंदर घुसी तो उन्हें भी सख्ती के साथ नहीं रोका गया। भीड़ मकबरे के अंदर घुस गई और बड़े अफसर वहां बाद में पहुंचे।

    शासन को भेजी गई इस रिपोर्ट को लेकर अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक में खलबली मची हुई है। माना यह जा रहा है कि इस प्रकरण में कई अफसरों व कर्मचारियों पर गाज गिरना तय हैं। हालांकि शासन स्तर से शाम तक किसी कार्रवाई की पुष्टि नहीं हुई। मकबरे को ठाकुरजी विराजमान मंदिर मानकर पूजा अर्चना के दौरान हुए बवाल पर शासन की तरफ से कमिश्नर व आइजी से रिपोर्ट मांगी गयी थी।

    सूत्र बताते हैं कि इस रिपोर्ट को खुद सीएम ने ही तलब किया था। दोनों अफसर यहां छह दिनों से कैंप कर रहे थे और एक-एक बिंदु पर अपनी रिपोर्ट साक्ष्य सहित एकत्रित कर रहे थे। शनिवार की रात दोनों अफसर प्रयागराज लौट गए।

    कमिश्नर प्रयागराज मंडल ने मंदिर व मकबरा विवाद पर अपनी रिपोर्ट राजस्व दस्तावेजों के आधार पर तैयार की है। जिस गाटा नंबर 753 में यह विवादित भवन है उसका विस्तृत ब्योरा दिया गया। जबकि आसपास के आठ अन्य गाटों का इतिहास भी कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है।

    दोनों अफसरों ने शासन को भेजी गयी रिपोर्ट में जिस गाटा संख्या 753 में मकबरा दर्ज बताया गया उसके मालिकाना हक से लेकर राष्ट्रीय संपत्ति घोषित होने, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में दर्ज होने का पूरा विवरण दिया है और यह माना है कि तत्कालीन सरकार व प्रशासन से चूक भी हुई है। शासन को भेजी गयी रिपोर्ट में यह बताया गया कि मालिकाना हक को लेकर दायर किए गए सिविल जज व हाई कोर्ट के किसी भी मुकदमे में सरकार को पार्टी नहीं बनाया गया और ना ही सरकार ने किसी फैसले के खिलाफ कभी कोई अपील की है।

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    रिपोर्ट की प्रमुख बातें

    • भीड़ को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगे थे, लेकिन सख्ती से भीड़ नहीं रोकी गयी।
    • पुलिस अफसर या कर्मियों ने मकबरे की तरफ बढ़ रही भीड़ को रोकने का प्रयास नहीं किया।
    • डाक बंगला चौराहे से लेकर मकबरे के सामने लगी बैरिकेड्स तक कहीं भीड़ नहीं रोकी गई।