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    Fatehpur Temple Tomb Dispute: फतेहपुर मंदिर-मकबरा विवाद में अब 22 दिसंबर को सुनवाई, जानें क्या है पूरा मामला

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 09:27 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में मंदिर-मकबरा विवाद की अगली सुनवाई अब 22 दिसंबर को होगी। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने दावे पेश किए गए हैं। अ ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, फतेहपुर। देश भर में चर्चित आबूनगर स्थित मंदिर-मकबरे का विवाद के सुलझने के लिए अभी इंतजार करना होगा।  कोर्ट में चल रही सुनवाई में अब नई तारीख दे दी गई है। सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट सोमवार को नहीं बैठी, इस कारण टाइटिल निर्धारण के मूल मुकदमें अगली सुनवाई के लिए 22 दिसंबर की तिथि निर्धारित कर दी गयी है। हालांकि मंदिर-मकबरा विवाद के पक्ष व विपक्ष दोनों तरफ से लोग कचहरी में मौजूद रहे। सुरक्षा की दृष्टि से अतिरिक्त पुलिस बल भी तैनात रहा। उधर मूल मुकदमें में सुनवाई के खिलाफ जिला जज के यहां अपील भी दाखिल है, जिस पर सुनवाई 17 दिसंबर को प्रस्तावित है।

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    पिछली तारीखों में वादी पक्ष ने रेस्टोरेशन के मुकदमें में नए मुतवल्ली को पक्षकार बनाने के बाद बहस की थी और मूल मुकदमें को सुने जाने की बात रखी थी। विपक्ष ने तर्क रख था कि मूल मुकदमें में सुनवाई नहीं हो सकती क्योंकि वादी पक्ष यह मांग 15 साल बाद कर रहा है। कोर्ट ने पांच हजार का जुर्माना लगाते हुए मूल रेस्टोरेशन के मुकदमें में सुनवाई का फैसला दिया था। अदालत के इस निर्णय के खिलाफ मकबरा पक्ष के लोग जिला जज के यहां अपील पर चले गए थे। बता दें कि वर्ष 2010 में सिविल जज सीनियर डिवीजन ने टाइटिल सूट का फैसला सुनाते हुए असोथर के रामनरेश सिंह के नाम वाली जमीन खारिज करते हुए भूमि पर मकबरा मंगी का नाम दर्ज करने का आदेश दिया था।

    इस मुकदमे के खिलाफ राम नरेश सिंह ने 2011 में रेस्टोरेशन दायर किया था, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था। रेस्टोरेशन खारिज होने के बाद वादी पक्ष ने 2014 में एडीजे की कोर्ट में अपील दाखिल की थी, जिसे स्वीकार किया गया था और मुकदमा सुनने के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन को पत्रावली भेजी थी। 11 अगस्त को विवादित स्थल पर बवाल होने के बाद मुकदमे की पैरवी तेज हो गयी है और अपील की सुनवाई में मृतक मुतवल्ली अनीश की जगह नए मुतवल्ली को पक्षकार बना दिया गया।

     

    पक्षकार बनाए जाने के बाद वादी मुकदमें के अधिवक्ता रामजी सहांय, रामशरण सिंह ने मूल रेस्टोरेशन के मुकदमें में सुनवाई की मांग की थी। कोर्ट ने पांच हजार जुर्माने के साथ सुनवाई को निर्णय दिया। विपक्ष की तरफ से अधिवक्ता अनिल श्रीवास्तव व फिरोज खान कोर्ट में मूल मुकदमें में दोबारा सुनवाई को गलत ठहराकर तर्क रखे अब डीजे के यहां अपील पर हैं, जिसकी सुनवाई 17 दिसंबर को होनी है।

    Fatehpur Temple tomb dispute (1)


    इस तरह शुरू हुआ विवाद

    आबूनगर मोहल्ले के रेडइया स्थिति पुरानी इमारत को लेकर सात अगस्त 2025 को मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति ने डीएम रविंद्र सिंह को ज्ञापन देकर पुरानी इमारत को मंदिर बताते हुए साफ-सफाई व पूजा पाठ की अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने अनुमति नहीं दी तो 11 अगस्त को सनातनियों का एकत्रीकरण किया गया। इसी दिन करीब 11.30 बजे तीन सौ लोगों ने पुरानी इमारत में घुसकर पूजापाठ की और यहां बनीं मजारें में तोड़फोड़ की। इस दौरान दोनों पक्ष से ईट-पत्थर चले। पुलिस ने 10 नामजद और 150 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया। हालांकि इस प्रकरण में अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

    Fatehpur Temple tomb dispute (2)

     

    कब-कब क्या हुआ

     

    • 2010-------रामनरेश की भूमिधरी खारिज होकर मकबरा मंगी के नाम दर्ज होने का निर्णय हुआ।
    • 2012-------खतौनी में रामनरेश सिंह का नाम हटाकर मकबरा मंगी का नाम दर्ज हुआ।
    • 2014-------रेस्टोरेशन सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां दाखिल हुआ, खारिज व एडीजे के यहां स्वीकार।
    • 11 अगस्त 2025----मंदिर-मकबरा विवाद में बढ़ा, विवादित ढांचे पर पूजा-अर्चना हुई मजारें तोड़े गई।
    • 30 अगस्त 2025--सुनवाई हुई कोर्ट में तेज हुई।
    • 10 सितंबर 2025 ---विवादित स्थल पर अस्थाई पुलिस चौकी बनाई गयी।
    • 31 अक्टूबर 2025-----कोर्ट ने रेस्टोरेशन के मूल मुकदमें में सुनवाई का निर्णय लिया
    • 12 नवंबर---2025-----मकबरा पक्ष ने मूल मुकदमें में सुनवाई का विरोध कर डीजे के यहां अपील की।
    • 17 दिसंबर---2025 -----डीजे की कोर्ट में अपील की सुनवाई की तिथि तय है
     

    विस्तार से जानें पूरा मामला

    10 अगस्त: मकबरे में घुसकर मजारें तोड़ी, शंख बजाकर की आरती-झंडा फहराया

    आबूनगर रेडइया में अति प्राचीन भवन में मंदिर-मकबरा का विवाद 11 अगस्त को शुरू हुआ। मंदिर-मठ संरक्षण कमेटी के आवाहन पर भाजपा, विहिप जैसे कई संगठनों की भीड़ मकबरा को ठाकुरद्वारा बताकर धावा बोला और मजारें तोड़ी, शंखध्वनि करके भगवा ध्वज लहरा दिया। विरोध में आसपास के मुस्लिम एकत्रित हो गये और पुलिस पर पथराव किया। पांच घंटे तक चले बवाल में पुलिस ने लाठी पटक कर किसी तरह से सभी को विवादित स्थल से अलग-थलग किया। मकबरा मंगी में डेढ़ सेक्शन पीएसी बल व 296 पुलिस अफसरों व सिपाहियों की ड्यूटी अलग-अलग दो पालियों में लगा दी गई। मकबरा पहुंचने वाले मुख्य 12 पक्के रास्तों और तीन कच्ची गलियों में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई थी।

    अठारह साल चला मुकदमा, 2012 में खतौनी में चढ़ा नाम

    वर्तमान राजस्व रिकार्ड में गाटा संख्या 1159 ठाकुर जी विराजमान मंदिर और गाटा संख्या 753 की खतौनी मकबरा मंगी दर्ज है, लेकिन यह विवाद 18 साल से चल रहा है। 2019 में सुन्नी वक्फ बोर्ड से नियुक्त किए गए मुतवल्ली अबू हुरेरा का तर्क है कि जबरन मकबरा पर कब्जा किया जा रहा है। मकबरा मंगी के मुतवल्ली मो. अनीश निवासी आबूनगर ने 2007 में पहला मुकदमा सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां दर्ज किया गया था, जिसमें टाइटिल डिसाइड का फैसला चार जून 2010 को आ गया था। इसी आदेश के आधार पर 2012 में गाटा नंबर 753 में मकबरा मंगी का नाम चढ़ाया गया था, लेकिन यह जानकारी किसी को नहीं हुई। मुतवल्ली ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका 2013 में दाखिल की थी, जिसमें उन्होंने मकबरा को वर्ष 1611 का निर्मित बताया था और आरोप लगाया था कि उक्त मकबरे की जमीन को शकुंतला मान सिंह पत्नी नरेश्वर मान सिंह के नाम गलत ढंग से 1970 में अपने नाम राजस्व रिकार्ड में चढ़वा लिया और बाद में शकुंतला मानसिंह ने इस जमीन को असोथर के रामनरेश सिंह के नाम बेंच दिया। राम नरेश सिंह ने उपरोक्त जमीन से 34 प्लाट बेंचे गए और अब मकबरा पर भी अतिक्रमण की नीयत है। हाईकोर्ट उस समय डीएम को पूरे प्रकरण की जांच कराने और पिटीशनर की सुनवाई करने को कहा था। हाईकोर्ट के आदेश पर जब तत्कालीन डीएम राकेश कुमार ने प्रकरण की जांच कराई थी। जांच में पाया गया था कि अप्रैल 2012 में ही एसडीएम कोर्ट के वाद 30/2010-12 के आधार पर रामनरेश का नाम खतौनी से निरस्त करते हुए मंगी मकबरा का नाम खतौनी में चढ़ा दिया गया है। जबकि उक्त जमीन पर प्लाट खरीदने वालों के खिलाफ आरबीओ एक्ट के तहत कार्रवाई प्रस्तावित है। हालांकि यह कार्रवाई आज तक नहीं हुई है।

    11 अगस्त को ही तोड़फोड वाली तीन मजारों की रातो रात मरम्मत, छावनी बना मकबरा

    सदर कोतवाली के आबूनगर रेड़इया मोहल्ले में विवादित मंदिर-मकबरे में बीते दिन हुई तोड़फोड़ को लेकर प्रशासन ने मध्यरात्रि में ही टूटी तीन मजारों में मरम्मतीकरण का कार्य करवा दिया है। विवादित स्थल के बाहर पुलिस का सख्त पहरा बैठा दिया गया है। किसी को भी विवादित स्थल तक जाने की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी है। वहीं जिला प्रशासन दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की लगातार अपील कर रहा है। सिविल और पुलिस प्रशासन के अफसर घटना को लेकर डेरा डाले हुए हैं। एसपी ने विवादित स्थल को छावनी में तब्दील कर दिया है। दो की जगह अब तीन लेयर की बैरीकेडिंग लगा दी गई है। सुरक्षा का जायजा लेने आइजी अजय कुमार मिश्रा व लखनऊ एसटीएफ के सीओ भी आए।

    जो जमीन मकबरे के नाम दर्ज, वह थी जमींदार का बागान

    आबूनगर स्थित जिस मकबरे को लेकर विवाद है उसकी जमीन राजस्व के असल रिकार्ड 1359 फसली (1952) की खतौनी में जमींदार का बागान के नाम से दर्ज है। बाद में यह शकुंतला मान सिंह के नाम आ गई, फिर यह रामनरेश के नाम दर्ज हुई। पहली बार 2007 में मामला अदालत पहुंचा और 2012 में खतौनी में मकबरा मंगी का नाम दर्ज हो गया था। अब मकबरे को ठाकुरद्वारा बताया जा रहा है, जो पास में ही दूसरे गाटा संख्या में स्थित है। डीएम रविंद्र सिंह ने बताया कि दस्तावेज जांचे जा रहे हैं। पुरात्व विभाग को भो पत्र भी लिखा गया है।

    13 अगस्त को मकबरे की एक किमी परिधि सील

    विवादित मकबरा स्थल पर लगे बैरिकेड्स को ऊंचा कर दिया गया है, तो वहीं यहां पहुंचने वाले रास्तों में 50 बैरियर बढ़ा दिए गए है। एक किलोमीटर की परिधि में पुलिस बल की तैनाती कर सीमाएं सील कर की गयी हैं। पूरे दिन कमिश्नर विजय विश्वास पंत और आइजी अजय कुमार मिश्र ने कैंप किया और हर घंटे अफसरों के साथ बैठक कर जानकारी हासिल की। तोड़फोड़ में नामित आरोपितों को पकड़ने के लिए छापेमारी हुई लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई।

    14 अगस्त को मकबरे की भूमि को लेकर सीएम ने मांगी रिपोर्ट

    भाजपाइयों पर भूमि कब्जियाने के लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन से रिपोर्ट मांगी थी। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत पिछले दो दिन से जिले में डेरा डालकर सभी दस्तावेजों की छानबीन करा रहे थे। उधर प्रशासन घटना के दिन लापरवाही बरतने के मामले पर भी ऐसे अधिकारियों को चिन्हित करने के साथ पूरी छानबीन कर रहे हैं।

    16 अगस्त भूमि विवाद की 75 पेज की रिपोर्ट तैयार

    भूमि विवाद पर पूरी रिपोर्ट मांगे जाने से अफसरों से लेकर नेताओं तक की बेचैनी बढ़ गई। विहिप व संघ जहां इस मामले को पाटने में लगा हुआ है, वहीं भाजपाई विपक्ष के घेरेबंदी का तोड़ निकालने में लगे हैं। कीमती भूमि को लेकर पहुंची शिकायत पर मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त से पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगी है। जिसके बाद दस अफसर व 12 लेखपालों ने लगभग 75 पेज की जांच रिपोर्ट तैयार कर ली थी।

    17 अगस्त को कानूनी लड़ाई की तरफ बढ़े कदम, 30 को अदालत में सुनवाई

    आबूनगर के रेड़इया मुहल्ले में 11 अगस्त को हुए मंदिर-मकबरा विवाद के कदम अब कानूनी लड़ाई की तरफ बढ़ गए थे। बीते एक सप्ताह में मठ-मंदिर संरक्षण समिति, विश्व हिंदू परिषद व भारतीय जनता पार्टी की तरफ से दस्तावेज एकत्रित किए जा रहे थे। अब मठ -मंदिर संरक्षण संघष समिति ने पुराने मुकदमे में अधिवक्ताओं का पैनल खड़ा करने की रणनीति बनाई। इस मामले में 30 अगस्त को कोर्ट में सुनवाई होनी थी।