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    यूपी के इतने गांवों के लोगों में क्रोमियम और मरकरी का प्रभाव, अब एम्स की टीम करेंगी जांच

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 08:50 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के चार गांवों के 143 लोग क्रोमियम और मरकरी से प्रभावित हैं। औद्योगिक इकाइयों के कचरे से भू-गर्भ जल प्रदूषित हो गया है। ग्रामीणों को एम्स की टीम का इंतजार है, जो स्वास्थ्य जांच करेगी। स्वास्थ्य विभाग प्रतिमाह निगरानी कर रहा है। एनजीटी की जांच में अन्य गांवों में भी अपशिष्ट मिला है, जिसे सुरक्षित करने के लिए चाहरदीवारी बनाई जा रही है। ग्रामीण दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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    गोधरौली के बनियनखेड़ा गांव में डंप औद्योगिक अपशिष्ट में बनाई जा रहीसीमेंट वाल। जागरण 

    संवाद सहयोगी, जागरण, बिंदकी (फतेहपुर)। औद्योगिक इकाइयों के अपशिष्ट के कारण प्रदूषित हो चुके भू-गर्भ जल में गोधरौली सहित चार गांव के लोगों में क्रोमियम व पारे की अधिकता पाई गई है। जनपद कानपुर में क्रोमियम प्रभावित गांव में एम्स से चिकित्सकों की टीम ने पहुंचकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण किया था और जिले में क्रोमियम प्रभावित गांव में एम्स टीम आने का इंतजार लंबे समय से हो रहा है। टीम अभी तक जांच करने नहीं पहुंची है। स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें यहां पर प्रतिमाह ग्रामीणों के स्वास्थ्य की निगरानी कर रही हैं।

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    औद्योगिक इकाइयों के कचरे से सबसे पहले जांच में गोधरौली गांव के भू-गर्भ जल में क्रोमियम पाए जाने की पुष्टि हुई थी। यहां एक डंपिंग ग्राउंड चिह्नित हुआ था। इसके बाद एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) की जांच में अभयपुर व आशापुर गांव के पास औद्योगिक इकाइयों का अपशिष्ट डंप पाया गया था। यहां पर पहले तार की फेंसिंग कराकर अपशिष्ट को सुरक्षित किया गया। इसके बाद एक स्थल पर सीमेंट दीवार खड़ी की गई।

     

    इन गांवों में स्वास्थ्य विभाग ने 171 लोगों की स्वास्थ्य जांच के साथ क्रोमियम व मरकरी की जांच कराई। इसमें 147 लोगों के शरीर में क्रोमियम की अधिकता पाई गई थी, जबकि दो लोगों में मरकरी भी अधिक मिला था। स्वास्थ्य विभाग लगातार इन लोगों के स्वास्थ्य की जांच हर माह कर रहा है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के शरीर में क्रोमियम मिलने पर कानपुर के साथ फतेहपुर में भी एम्स के चिकित्सकों की टीम के आने की उम्मीद थी।

    इन गांवों के लोगों में मिला क्रोमियम व मरकरी

    गोधरौली, बनियनखेड़ा, आशापुर व अभयपुर



    दो और डंपिंग यार्ड में शुरू हुई चाहारदीवारी बनना

    गोधरौली गांव में औद्योगिक इकाइयों का सबसे अधिक अपशिष्ट डंप है। यहां पर पहले एक डंपिंग यार्ड को सीमेंट दीवार से सुरक्षित किया गया था। अब ग्राम पंचायत दो और डंपिंग यार्ड को सीमेंट की चाहारदीवारी बनाकर सुरक्षित कर रही है। क्रोमियम प्रभावित गांव में विभागों की सक्रियता तभी बढ़ती है, जब एनजीटी में सुनवाई का समय आता है। इसके अलावा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। पूरे गांव में प्रदूषित अपशिष्ट का ढेर है। यहां के तालाब व रास्तों के किनारे के अलावा जहां पर भी कोई खाली स्थान है, वहां पर यही अपशिष्ट डंप है।

     


    पूरा गांव अपशिष्ट के ढेर में है, गांव से अपशिष्ट हटाने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है।
    -राजू

     

     


    और लोगों के स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए। एम्स से चिकित्सकों की टीम को यहां आना चाहिए।
    -नंद किशोर

     

     

    गोधरौली और आसपास के गांव पूरी तरह से प्रदूषण की चपेट में हैं। इन्हें इस दुश्चक्र से निकाला जाना चाहिए।
    -लालू

     

     



    उन इकाइयों व अधिकारियों पर कार्रवाई हो, जिन्होंने यहां पर अपशिष्ट को डंप किया है व होने दिया है।
    -शिवम

     

     


    अभी एम्स की टीम आने की कोई सूचना नहीं है। कानपुर टीम गई थी, तब आने की सूचना थी। पर यहां नहीं आई है।
    -डा. ब्रजेश प्रभारी चिकित्साधिकारी, पीएचसी गोपालगंज