Chhath Puja 2025: छठ महापर्व पर अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य, फतेहपुर में इन घाटों पर दिखा अद्भुत नजारा
फतेहपुर में छठ महापर्व 2025 श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया, घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी। गंगा और यमुना घाटों पर विशेष रूप से भक्तों का जमावड़ा रहा। छठ पूजा में सूर्य देव की उपासना की गई और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।

भिटौरा के ओम घाट गंगा तट पर जलधारा में घुसकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती महिलाएं, साथ में परिवार के अन्य सदस्य। जागरण
जागरण संवाददाता, फतेहपुर। ‘पहिले पहिल हम कईनी, छठी मइया व्रत तोहार। करिहा क्षमा छठी मइया भूल-चूक गलती हमार।’ ‘कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकल जाए। बलमा, बनल छै कहरिया, बहंगी घाट पहुंचाए।’ वैसे तो दीपावली के बाद से ही छठ के गाने बजने शुरू हो जाते हैं, लेकिन छठ महापर्व शुरू होते ही समूचा वातावरण छठ के गीतों से गुंजायमान हो रहा है। रूनकी-झुनकी बेटी मांगिला-पढ़ल पंडितवा... सुगउ के मरब धेनुष से सुगा गिरिहें मुरछाय... और बाट जे जोहे ला बटोहिया दौरा केकरा के जाय... जैसे छठ पर्व के गीतों से माहौल भक्तिमय बना हुआ है।
सोमवार को छठ पूजा महापर्व के तीसरे दिन डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देने के लिए महिलाएं टोकरी में पूजन सामग्री लेकर तालाब, नदियों के किनारे पहुंची। नगर मुख्यालय के शांति नगर स्थित श्री बांकेबिहारी मंदिर परिसर पर स्थित गंगा सरोवर में पूजा करने के लिए सैकड़ों की तादाद में व्रती महिलाएं पहुंची। कई जगहों पर घर में ही अर्घ्य के लिए गड्ढा खोदकर घाट बनाया गया है। पीएसी व पुलिस लाइन में मिनी पोखर तैयार कर उसे घाट का रूप देकर पूजा करते रहे। जिला प्रशासन द्वारा भी छठ घाटों पर सुरक्षा और व्रतियों की सुविधा के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
भगवान भास्कर की उपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन रविवार को खरना संपन्न हो गया। व्रतियों ने स्नान के बाद संध्या काल में गुड़ और चावल से खीर बनाकर तथा घी लगी रोटी का भोग छठी माता को लगाया। खीर व रोटी को प्रसाद के तौर पर लोगों के बीच बांटा गया। सोमवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया और मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के बाद व्रत का पारण करेंगे। छठ गीतों से पूरा वातावरण गूंज रहा है। हर घर से छठ गीत के बोल सुनाई दे रहे हैं। पहले डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यास्त के बाद लोग अपने-अपने घर वापस आ जाते हैं।
शांतिनगर स्थित गंगा सरोवर में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती व्रती महिलाएं। जागरण
रात भर जागरण किया जाता है। बांकेबिहारी मंदिर परिसर स्थित गंगा तालाब में निर्मला पांडेय, मंजू सिंह, चंद्रावती देवी, सुनीता सिंह, माधुरी सिंह, नेहा वर्मा, ज्योति साहू, निरंजला देवी, रीना साहू, शकुंतला साहू, प्रीति साहू, सुमन देवी आदि महिलाएं रहीं। उधर भृगुधाम भिटौरा के ओम घाट गंगा तट पर अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने सैकड़ों की तादाद में महिलाएं पहुंची। रवींद्र सिंह, लक्ष्मी सिंह, सुनीता गुप्ता, आशा त्रिपाठी, वंदना गुप्ता, पुष्पा गुप्ता, मधू सिंह, सत्यवती, कल्पना सिंह, गायत्री गुप्ता, माया पांडेय, संध्या समेत सैकड़ों महिला व पुरुष रहे।
शांतिनगर बांकेबिहारी मंदिर परिसर पर स्थित गंगा सरोवर के किनारे पूजन के लिए बैठी महिलाएं। जागरण
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है महापर्व छठ
महापर्व छठ शुद्धि और आस्था का मिशाल है। यह पर्यावरण के संरक्षण का संदेश देता है। लोगों को समानता और सद्भाव का मार्ग दिखाता है। अमीर-गरीब सभी माथे पर पूजन सामग्री की टोकरी लेकर एक साथ घाट पहुंचते हैं। यह पर्व प्रकृति से प्रेम को दर्शाता है। सूर्य और जल की महत्ता का प्रतीक यह पर्व पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है।
सृष्टि चक्र का प्रतीक भी है छठ महापर्व
छठ महापर्व सृष्टि चक्र का प्रतीक भी है। इस पर्व में पहले डूबते सूर्य की पूजा होती है। फिर उगते सूर्य की। सूर्य ही हमारे जीवन का स्रोत है। चाहे अपनी रोशनी से हमें जीवन देना हो या हमें भोजन देने वाले पौधों को भोजन देना, सूर्य का संपूर्ण जगत आभारी है।
सूर्य की बहन हैं छठी मइया
छठी मइया (षष्ठी) सूर्य की बहन हैं। इन्हीं को खुश करने के लिए महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए इन्हीं को साक्षी मानकर भगवान सूर्य की आराधना करते हुए नदी तालाब के किनारे छठ पूजा की जाती है। प्रकृति के षष्ठ अंश से उत्पन्न षष्ठी माता बालकों की रक्षा करने वाले विष्णु भगवान द्वारा रची माया हैं। बालक के जन्म के छठे दिन छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती है।

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