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    पुराने आलू ने दिया दगा तो नया भी नहीं दे रहा साथ, किसान को नहीं मिल रहा उचित दाम

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 03:32 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में आलू किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। पुराने आलू ने धोखा दिया और अब नया आलू भी उचित दाम नहीं दिला पा रहा है। किसान लागत ...और पढ़ें

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    नए आलू से किसानों को नहीं मिल रहे अच्छे दाम।

    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। सब्जी का राजा कहा जाने वाला आलू के भाव भी लुढ़क रहे हैं। पुराने आलू से दगा पाए किसानों ने नये आलू पर अपनी उम्मीद लगाई, लेकिन वह भी उनका साथ नहीं दे रहा है। सातनपुर मंडी में फर्रुखाबाद जिले के अलावा शाहजहांपुर, हरदोई के सीमावर्ती इलाके से भी नया आलू आ रहा है। इससे मंडी की आवक तो 150 ट्रक से ऊपर पहुंच गई है, लेकिन भाव गिरते जा रहे हैं।

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    अच्छी किस्म का नया आलू 550 रुपये प्रति क्विंटल तक ही बिक रहा है। इससे किसान परेशान हैं। पुराने आलू का मंडी में भाव लागत से कम मिला तो बड़ी तादात में किसानों ने शीतगृहों में ही छोड़ दिया।

    संचालकों ने शीतगृह खाली कराने की गरज में केवल भंडारण शुल्क जमा करने पर ही आलू देने की पेशकश कर दी। कुछ व्यापारियों ने इस शर्त पर अच्छा आलू लेकर नेपाल के लिए लोड किया है।

    इस वक्त सातनपुर मंडी में अब प्रतिदिन औसतन 150 ट्रक से अधिक नया आलू बिक्री के लिए आ रहा है। आलू की इस मंडी में फर्रुखाबाद के अलावा पड़ोसी जनपद शाहजहांपुर के अल्लाहगंज व हरदोई के सवायजपुर के किसान भी आलू बेचने आते हैं। नये आलू का औसत भाव 400 से 550 रुपये क्विंटल है।

    व्यापारियों का कहना कि पहले की अपेक्षा इस बार बिहार, असोम व मुंबई की मंडियों से आलू की मांग नहीं आ रही है। इन प्रांतों में पंजाब का आलू पहुंच रहा है। कुछ व्यापारियों का तर्क है कि पुराना आलू अभी तक उपलब्ध है, इस वजह से नया आलू मात खा रहा है। पुराना आलू समाप्त होने पर नए आलू के भाव में सुधार आएगा।

    महीने भर पहले अच्छी प्रजाति के पुराना आलू 500 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम भाव में बिक रहा था। उसके बाद जैसे ही बाजार में नया आलू आना शुरू हुआ तो उसके भाव इतने गिर गए, किसानों ने उसे शीतगृहों में छोड़ दिया। क्योंकि शीतगृह का भंडारण शुल्क 257 रुपये ही है। उसके बाद कटाई-छंटाई आदि में भी लागत लग रही थी।

    ऐसे में कोई फायदा न होते देख किसान शीतगृहों से निकालने ही नहीं आए। उद्यान विभाग के रिकार्ड में सभी 98 शीतगृह खाली हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश में पांच से सात हजार क्विंटल तक आलू भरा है।

    बीज के काम आने वाला छोटा आलू, हरा आलू व अच्छा आलू संचालकों को शीतगृह खाली कराकर नये सत्र के लिए तैयार भी करना है।

    इस कारण कई शीतगृह संचालकों ने केवल भाड़ा अदाकर आलू ले जाने की पेशकश की है। बुधवार को आलू निर्यातक सुधीर शुक्ला ने अच्छी किस्म का एक ट्रक आलू इस शर्त पर नेपाल में बिक्री के लिए भेजा है।

    आलू पर निर्भर रहती है जिले की अर्थव्यवस्था

    फर्रुखाबाद में करीब 43 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की फसल उगाई जाती है। जिस वर्ष आलू के भाव अच्छे रहते हैं तो अन्य व्यापार भी अच्छे रहते हैं, चाहें वह सराफा बाजार हो या फिर वाहन बाजार। जिस साल इसका भाव खराब रहता है तो जिले के अन्य व्यापार पर भी इसका असर दिखाई देता है। पुराने आलू में नुकसान उठाने वाले किसानों के लिए सरकार की ओर से भी कोई सब्सिडी या क्षतिपूर्ति के लिए कोई योजना नहीं हैं।

    मंडी में जगह उपलब्ध करवा दी जाती है। बाहरी मंडियों से मांग न आने के कारण इसके भाव गिर रहे हैं। कच्चा आलू होने के कारण इसे ज्यादा दिन भंडारित भी नहीं रखा जा सकता। इसलिए किसान जो भाव मिलते हैं, उस पर बेच देता है। -अनूप कुमार दीक्षित, प्रभारी सचिव, सातनपुर मंडी।