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    चार पुलिसवालों के हत्यारे डकैत को हुई सजा, कलुआ गैंग ने नब्ज टटोलकर मारी गोली... तीन ने सांस रोककर बचाई थी जान

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 11:39 AM (IST)

    22 साल पहले कंपिल के थानाध्यक्ष समेत चार पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले कलुआ गैंग के एक डकैत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। अदालत ने पीड़ितों और मृतकों के परिवारों को 1-1 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया। यह मामला 2003 का है जब एक सिपाही के अपहरण के बाद पुलिस टीम पर हमला हुआ था।

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    थानाध्यक्ष हत्याकांड कलुआ गैंग के डकैत को आजीवन कारावास

    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। 22 साल पहले कंपिल थानाध्यक्ष, दारोगा और दो सिपाहियों की हत्या के मामले में न्यायालय ने कलुआ गैंग के कुख्यात डकैत को शनिवार को दोषी करार दिया था। गुरुवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने दोषी को आजीवन कारावास व 12 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की राशि से एक-एक लाख रुपये पीड़ित परिवारों को देने के आदेश दिए हैं।

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    कंपिल थाने के दीवान रामसेवक यादव ने 26 मार्च 2003 काे मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें कहा था कि पीएसी कैंप के साथ तैनात सिपाही इंद्र सिंह यादव का अपहरण कर लिया गया। थाना प्रभारी राजेश कुमार, दारोगा उदयवीर सिंह और पीएसी जवान कटरी क्षेत्र में सिपाही को खोजने पहुंचे।

    सींगनपुर और पुंथर गांव के पास घेराबंदी के दौरान झाड़ियों में छिपे कलुआ गैंग ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में कई डकैत व पुलिस के 11 जवान भी घायल हो गए। मुठभेड़ के दौरान थानाध्यक्ष कंपिल राजेश कुमार, दारोगा उदयवीर, सिपाही उमेश कुमार यादव और तोताराम लापता हो गए।

    बाद में सीओ कायमगंज के नेतृत्व में पुलिस और पीएसी ने कांबिंग की तो उनके शव बरामद हुए। उनके असलहे और कारतूस भी लूट लिए गए थे। शव उठाने के दौरान भी डकैतों ने फायरिंग की थी। इसी बीच अपहृत सिपाही इंद्र सिंह डकैतों के चंगुल से भाग निकला था।

    विवेचना के बाद पुलिस ने देवेंद्र फौजी (परनिया, पीलीभीत), सोनपाल (ददरोल, शाहजहांपुर) और धनपाल (गूजरपुर, अमृतपुर, फर्रुखाबाद) के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। सुनवाई के दौरान एडीजीसी अनुज प्रताप सिंह, तेज सिंह राजपूत, केके पांडेय और संजीव कुमार पाल ने अभियोजन पक्ष की दलीलें रखीं।

    विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र सचान ने देवेंद्र फौजी को हत्या, अपहरण व डकैती में दोषी ठहराया था, जबकि धनपाल और सोनपाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। गुरुवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने दोषी देवेंद्र कुमार फौजी को हत्या, डकैती, अपहरण व जानलेवा हमले में आजीवन कारावास व 12 लाख रुपये की सजा सुनाई है।

    जुर्माना अदा न करने पर दो वर्ष की अतिरिक्त कैद के भी आदेश दिए हैं। विदित है कि इससे पहले डकैत देवेंद्र कुमार फौजी को तीन सिपाहियों व एक ग्रामीण की हत्या के मामले में 29 मार्च 2024 को मृत्युदंड व सात लाख रुपये की सजा सुनाई जा चुकी है।

    इनको मिलेगा मुआवजा

    न्यायाधीश आदेश में कहा कि मुठभेड़ में बलिदान हुए कंपिल थाने के दारोगा राजेश कुमार सिंह, उदयवीर सिंह, सिपाही उमेश कुमार यादव व सेवाराम के स्वजन को एक-एक लाख रुपये मुआवजा जुर्माने की रकम वसूल करने पर दिया जाए। इसके अलावा घायल दारोगा विवेक कुमार श्रीवास्तव, सिपाही रक्षपाल सिंह, मुन्ना सिंह, सूरज सिंह, मुहर सिंह, साधू सिंह, दीवान सिंह व इंद्रपाल सिंह को भी एक-एक लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।

    घायल दारोगा को डकैतों ने दोबारा लौटकर मारी थी गोलियां

    कंपिल थाने में तैनात रहे दारोगा विवेक कुमार श्रीवास्तव ने न्यायालय में गवाही के दौरान बताया कि उनसे कुछ दूरी पर दारोगा उदयवीर घायल होकर कराह रहे थे। कराहने की आवाज सुनकर डकैत वापस लौटे और उनके कई गोलियां मारीं। इसी बीच तीन अन्य पुलिस कर्मियों को भी टटोलकर देखा। इस दौरान वह अपनी सांस रोककर लेटे थे, इसी वजह से उनकी जान बच सकी।

    कलुआ गैंग के आतंक से कई परिवार कर गए थे पलायन

    एडीजीसी तेज सिंह राजपूत व अनुज प्रताप सिंह ने न्यायालय में कई लोगों के पलायन करने का विवरण पेश किया। उन्होंने बताया कि कलुआ गैंग के आतंक के कारण कई परिवार अपना घर व जमीन छोड़कर चले गए थे। गैंग के लोगों को जो लोग खाना व अन्य सामान नहीं देते थे डकैत उनके साथ अत्याचार करते थे। कई लोगों की हत्या भी की गई।