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    Ayodhya News: रामपथ के साथ मिट जाएगी 30 मंदिरों की पहचान, चौड़ीकरण में समा जाएगा इनका अग्रभाग

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Tue, 13 Dec 2022 12:15 PM (IST)

    अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। मंदिर तक श्रद्धालुओं के पहुंचने का रास्ता भी आसान किया जा रहा है। सड़क चौड़ीकरण के लिए कई प्रमुख मंदिरों के अग्रभाग को ध्वस्त किया जा रहा है।

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    रामपथ चौड़ीकरण के लिए ध्वस्त किए जा रहे मंदिरों के अग्रभाग। -जागरण

    अयोध्या, जागरण संवाददाता। राम मंदिर तक श्रद्धालुओं को पहुंचने की राह आसान करने का काम तेजी से चल रहा है। रामपथ के साथ रामनगरी जहां नव्य स्वरूप ग्रहण कर रही है, वहीं रामपथ के चौड़ीकरण में ढाई दर्जन मंदिरों की पहचान मिट जाएगी। कम से कम इन मंदिरों का वह अग्रभाग तो निश्चित ही चौड़ीकरण में समाहित होगा, जिसके चलते इनकी विशेष पहचान रही है।

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    मनोहारी वास्तु और शिल्प के लिए जाना जाता है फूलपुर मंदिर

    नयाघाट स्थित फूलपुर मंदिर है। विशाल और भव्य मंदिरों की श्रृंखला के बीच औसत आकार का फूलपुर मंदिर मनोहारी वास्तु और शिल्प के लिए जाना जाता है। अब जबकि चौड़ीकरण में इस मंदिर का अग्रभाग समाहित होना सुनिश्चित हो गया है, तब इसके प्रबंधक आकर्षक शिल्प की पर्याय उन शिलाओं को हटाने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास कर रहे हैं, जो मंदिर के अग्रभाग की शोभा रही हैं।

    चंद दिन का मेहमान है भूड़ रियासत मंदिर का अग्रभाग

    प्रमोदवन तिराहा पर स्थित भूड़ रियासत का मंदिर जर्जर होने के बावजूद भव्यता के लिए जाना जाता रहा है, किंतु अब अग्रभाग चंद दिन का मेहमान है। नरहन रियासत का मंदिर, शीशमहल, वशिष्ठभवन भी उन प्रमुख मंदिरों की सूची में हैं, जिनका अग्रभाग चौड़ीकरण में ध्वस्त हो चुका है या अगले दो-तीन दिनों में होना है।

    डॉ. रामविलासदास वेदांती ने भव्यता से कराया था इस मंदिर का नवीनीकरण

    ढाई दशक पूर्व वशिष्ठभवन का नवीनीकरण मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता व पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती ने पूरी भव्यता से कराया था और अब मंदिर का अग्रभाग ध्वस्त होने की बेला में डॉ. वेदांती और उनके शिष्य तथा वशिष्ठभवन के वर्तमान महंत डॉ. राघवेशदास अपने सपनों पर आघात होता देख रहे हैं। यद्यपि उन्हें चौड़ीकरण से कोई शिकायत नहीं है, अपितु वे रामपथ के चौड़ीकरण का स्वागत करते हैं। श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए मार्गों का चौड़ीकरण अपरिहार्य हो गया था।