'हिंदी भारत की आत्मा और पहचान...', इटावा में ओम बिरला बोले- डिजिटल क्रांति से दुनिया में भारतीय भाषाओं का महत्व बढ़ा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला रविवार को इस्लामिया इंटर कॉलेज में इटावा हिंदी सेवा निधि के 32वें वार्षिक अधिवेशन व सारस्वत सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने साहित्यकारों और विविध क्षेत्रों में हिंदी सेवा में उत्कृष्ट योगदान करने वाले 19 हिंदी सेवियों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति से दुनिया में हिंदी का महत्व बढ़ा है।

जागरण संवाददाता, इटावा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि डिजिटल क्रांति के युग में भाष्यांतर-रूपातंरण से पूरी दुनिया में हिंदी भाषा का महत्व बढ़ा है। भारतीय धर्म, अध्यात्म व संस्कृति के प्रसार में हिंदी अहम भूमिका निभा रही है। बहुभाषी और विविध संस्कृति वाले भारत को हिंदी जोड़ती है। हिंदी विविधता में एकता की सबसे बड़ी ताकत है, इसलिए हिंदी भाषा पर सभी को अभिमान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक समय था, जब उच्चतम न्यायालय में एक ही भाषा में फैसले सामने आते थे। आज अधिकतर भारतीय भाषाओं में न सिर्फ उच्चतम न्यायालय के फैसले, बल्कि संसद में भी 22 भारतीय भाषाओं में पत्राचार हो रहा है।
19 हिंदी सेवियों को ओम बिरला ने किया सम्मानित
वह रविवार को इस्लामिया इंटर कॉलेज में इटावा हिंदी सेवा निधि के 32वें वार्षिक अधिवेशन व सारस्वत सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने साहित्यकारों और विविध क्षेत्रों में हिंदी सेवा में उत्कृष्ट योगदान करने वाले 19 हिंदी सेवियों को सम्मानित किया।
पीएम मोदी ने हिंदी का सम्मान बढ़ाया- ओम बिरला
उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति से दुनिया में भारतीय भाषाएं सीखने की रुचि बढ़ी है। साहित्यकारों, कवियों ने हिंदी के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को व्यक्त कर जन संवाद स्थापित किया। दुनिया में द्विपक्षीय वार्ताओं में अधिकतर देश अपनी भाषा में बात करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी भाषा में बात करके पीएम मोदी ने हिंदी का सम्मान बढ़ाया है।
भारत की आत्मा और पहचान है हिंदी- ओम बिरला
उन्होंने हिंदी को भारत की आत्मा और पहचान बताते हुए कि कहा कि संविधान निर्माण के समय भी हिंदी के महत्व को स्वीकारते हुए उसे अनेकता में एकता का प्रतीक माना गया। उन्होंने न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त का स्मरण करते हुए कहा कि उनके द्वारा संस्थापित इटावा हिंदी सेवा निधि हिंदी के प्रसार और सम्मान में अविस्मरणीय भूमिका निभा रही है। उन्होंने हिंदी में चार हजार से अधिक फैसले तब लिखे, जब न्यायालयों में हिंदी में कार्य कम होता था।
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने सुझाव दिया कि हिंदी तभी बढ़ेगी, जब क्लिष्टता के बजाय यह सरलता की राह पर होगी। उन्होंने बताया कि संसद के एप ‘कंठस्थ’ से आठवीं अनुसूची की 22 भाषाओं में तथा सुप्रीम कोर्ट के एप ‘सुयश’ के माध्यम से 18 भाषाओं में अनुवाद हो रहा है।
कार्यक्रम में कई लोग उपस्थित रहे
वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय इलाहाबाद व महासचिव न्यास प्रदीप कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय इलाहाबाद व अध्यक्ष आयोजन समिति दिलीप कुमार व राज्य उपभोक्ता आयोग लखनऊ के अध्यक्ष अशोक कुमार उपाध्यक्ष न्यास ने अतिथियों का स्वागत किया।
इन्हें मिला सम्मान
पद्मश्री डॉ. सुनील जोगी (गाजियाबाद), डॉ. रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी प्रलयंकर (अमेठी), सूर्य कुमार पांडेय (लखनऊ), न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी (प्रयागराज), डॉ. सतीश चंद्र अग्रवाल (नैनीताल), डॉ. सुनील प्रकाश (दिल्ली), कुंवर रणजीत चौहान (दिल्ली), अश्वनी कुमार मिश्र (दिल्ली), अमिताभ वर्मा (मुंबई), डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा टोक्यो (जापान), वैद्य फूल चंद्र शर्मा (बरेली), अंशु मौली (मुजफ्फरनगर), शारदा मित्तल (हरियाणा), सत्य प्रकाश अग्रवाल (मेरठ), रामावतार शर्मा इंदु (फर्रुखाबाद), उत्कर्ष अग्निहोत्री (फर्रुखाबाद), अरुण तिवारी गोपाल (कानपुर), सुनीता दीक्षित श्यामा व जमाल अंसारी (इटावा)।
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