इलाज से बेहतर है बचाव पर ध्यान देना
जागरण संवाददाता इटावा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती ह
जागरण संवाददाता, इटावा : कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिससे सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है। तमाम प्रयासों के बावजूद कैंसर के मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आ रही है। इसी कारण हर साल सात नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है, ताकि लोगों को इस बीमारी से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा सके।
एसीएमओ व गैर संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि जब शरीर की कोशिकाओं के समूह अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगते हैं तो कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं। कैंसर एक ऐसा रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है। युवाओं में बढ़ती धूम्रपान की लत कैंसर को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा जागरूकता ही इसका सबसे बड़ा बचाव है। कैंसर के इलाज से बेहतर है उससे पहले ही अपना बचाव करना। इसलिए सावधानी और सतर्कता रखना जरुरी है। इससे बचने के लिए इसके विभिन्न कारण और लक्षणों के बारे में जानकारी होना बेहद जरुरी है।
जीवन शैली में अनुकूल परिवर्तन एवं वजन को नियंत्रित रखना, सक्रिय रहना, नियमित स्वास्थ्य की जांच एवं समय-समय पर कैंसर की जांच, चेतावनी के संकेत एवं लक्षणों के बारे में जानना, धूम्रपान और शराब का सेवन न करना इससे बचाव के तरीके हैं। उन्होंने बताया कि यह बीमारी लाइलाज नहीं है। शुरुआती दौर में इसका पता चलने पर कैंसर का सफल इलाज होता हैं। शरीर के किसी अंग में असामान्य सूजन या कड़ापन, न भरने वाला घाव, लगातार बुखार या वजन में कमी, शौच तथा मूत्र में खून निकलना, स्तन में सूजन, चार से छह सप्ताह तक लगातार पतले दस्त की शिकायत शरीर में किसी प्रकार की गिल्टी, खाना निगलने में परेशानी पर डाक्टर से सलाह तथा सलाह के अनुसार जांच करानी चाहिये। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जनपद सलाहकार डॉ. सूरज दुबे ने बताया कि तंबाकू कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की जनक है। आज युवा पीढ़ी में तंबाकू सेवन का प्रचलन बहुत ज्यादा है। जो एक बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है। तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट का सेवन करने से कैंसर होने का खतरा ज्यादा रहता है।
उन्होंने बताया कैंसर ज्यादातर नशीले पदार्थों के सेवन से होता है। स्त्रियों में यह बीमारी ज्यादातर स्तन व गर्भाशय अंगों में पनपती है। स्तन कैंसर स्त्रियों द्वारा नवजात बच्चों को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं पिलाने से भी हो सकता है।
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