अलविदा 2025: विकास के दावों की पोल खोलती अधूरी योजनाएं, इटावा में गांवों तक नहीं पहुंचा लाभ
इटावा में 'हर घर नल' और 'ई-लाइब्रेरी' जैसी महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास योजनाएँ अधूरी पड़ी हैं। 'हर घर नल' को बजट की कमी के कारण 560 में से केवल 155 गाँवो ...और पढ़ें

हर घर नल योजना का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था, लेकिन अधिकांश गांवों में नल तो लग गए, पर उनमें पानी की एक बूंद भी नहीं पहुंच पाई। कहीं पाइपलाइन अधूरी है तो कहीं टंकी और मोटर चालू नहीं हो सकी।
इसी तरह ग्रामीण युवाओं की पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी को आसान बनाने के लिए प्रस्तावित अति आधुनिक ई-लाइब्रेरी योजना भी कागजों तक सीमित रह गई है। 100 ग्राम पंचायतों में ई लाइब्रेरी की याेजना को पूरे साल बजट नहीं मिला। नतीजतन, गांव के युवाओं को आज भी शहरों की ओर रुख करना पड़ रहा है। ग्रामीण विकास की हकीकत बयां करती संवाददाता बीरेश मिश्रा की रिपोर्ट-
इटावा जिले में विकास को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट नजर आ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी दो महत्वपूर्ण योजनाएं हर घर नल योजना और ई-लाइब्रेरी योजना आज भी अधूरी पड़ी हैं। इन योजनाओं के अधूरे क्रियान्वयन ने ग्रामीणों और युवाओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल योजना 15 अगस्त 2019 से हुई थी। जनपद में इस योजना के तहत दिसंबर 2024 तक जनपद में 955 करोड़ रुपये से 560 गांवों में हर घर तक पेयजल आपूर्ति करनी थी, लेकिन शासन से 475 करोड़ रुपये का बजट मिला जिससे अभी तक 155 गांवों में ही पूरी तरह पानी पहुंचा सका है।
बजट के अभाव में 405 गांवों में हर घर नल योजना अधर में लटकी है। बजट न आने पर योजना के समय के बढ़ाया गया था और 26 जनवरी 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी भी बजट न मिल पाने के कारण कार्य गति नहीं पकड़ पा रहा है।
शेष बचे गांवों में हर घर तक योजना का लाभ पहुंचना संभव नहीं लग रहा है। स्थिति यह है कि गांवों में टंकी का निर्माण कार्य अधूरा है, या शुरू ही नहीं हुआ जबकि इसी तरह के हालात पाइप लाइन बिछाने में भी हैं।
100 ग्राम पंचायत में ई-लाइब्रेरी के लिए नहीं आया बजट
जनपद की 100 ग्राम पंचायतों में ई-लाइब्रेरी बनाए जाने का काम बजट के अभाव में लटका हुआ है। इस संबंध में प्रस्ताव बना लिया गया है और स्थान का चिन्हांकन भी कर लिया गया है, लेकिन अभी तक बजट न मिल पाने के कारण ई-लाइब्रेरी बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया है।
ग्राम पंचायत स्तर पर ई-लाइब्रेरी बनाए जाने से क्षेत्र के युवाओं और छात्रों को काफी सुविधा मिल जाती। ई-लाइब्रेरी शुरू होने पर ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं, छात्रों को पढ़ने लिखने और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए दूर दराज के क्षेत्र में नहीं जाना पड़ता। इस योजना की पहले चरण में उन ग्राम पंचायतों का चयन किया गया जहां पंचायत भवन का निर्माण हो चुका है और इंटरनेट की सुविधा है।
हर घर नल योजना का हाल बहुत खराब है। गांवों में गलियां खुदी पड़ी है। न तो पाइप लाइन का पता है और न पानी का। पता नहीं कब यह याेजना पूरी हो सकेगी।
उदयभान सिंह यादव, समाजसेवी
ई-लाइब्रेरी खुलने की बात हुई थी, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। अगर गांव में सुविधा मिल जाती तो शहर जाकर पढ़ने का खर्च बच जाता।
पल्लव दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता
योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन निगरानी की कमी के कारण लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा। जिम्मेदारों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।
-डाॅ. आशीष दीक्षित, होम्योपैथ चिकित्सक
यह स्थिति साफ संकेत देती है कि ग्रामीण विकास के दावों और हकीकत के बीच की खाई अब भी बनी हुई है, जिसे पाटना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।
-राजीव चंदेल, कारोबारी

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