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    बाजरा की बुवाई का सही समय

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 16 Jul 2018 06:57 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, इटावा : जनपद में बाजरा का उत्पादन बीहड़ क्षेत्र से लेकर मैदानी क्षेत्र तक कि

    बाजरा की बुवाई का सही समय

    जागरण संवाददाता, इटावा : जनपद में बाजरा का उत्पादन बीहड़ क्षेत्र से लेकर मैदानी क्षेत्र तक किया जाता है। बारिश जिस तरह की हो रही है, उससे बाजरा का उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप होने की पूरी संभावना है। संकर प्रजाति में कावेरी सुपर बॉस बेहतर साबित हो रही है। प्रति हेक्टेयर 25 से 28 ¨क्वटल उत्पादन से बाजरा उत्पादक किसानों के लिए यह प्रजाति फायदेमंद साबित हो रही है।

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    बरसात के मौसम के दौरान अगस्त माह के प्रथम सप्ताह तक बाजरा की बुवाई कर देनी चाहिए। हाइब्रिड बाजरा की फसल कम लागत में भरपूर लाभ देती है। कावेरी सुपर बॉस बाजरा के अलावा पायोनियर एम 86 तथा धान्या एमपी 7752 हाइब्रिड प्रजातियां भी हैं। कावेरी सुपर बॉस की 85 से 90 दिन के अंदर पूर्णरूपेण पककर किसानों को भरपूर लाभ प्रदान करती है। खाद का प्रयोग नहीं रबी और खरीफ की फसल में खेतों में काफी मात्रा में खाद-पानी मिलने से खेतिहर भूमि की उवर्रक शक्ति बढ़ जाती है। इससे कावेरी सुपर बॉस बाजरा की फसल तैयार करने में खाद का आंशिक प्रयोग करना चाहिए जबकि प्राकृतिक रूप से बरसात का मौसम होने से फसल पकने में पूरा लाभ मिलता है। बरतें सावधानियां बरसात के अभाव में फूल आने पर पानी अवश्य दें। बुवाई के दौरान लाइन से लाइन में 50, पौधे से पौधे के 15 सेमी का गेप यानी अंतर रखना चाहिए। बीज खेत से 4 सेमी की गहराई पर बोना चाहिए। एक किग्रा बीज को 2.50 ग्राम धीरम से उपचारित करके बोना चाहिए। एक हेक्टेयर भूमि में 12 किलो 500 ग्राम बीज डालना चाहिए। तीन प्रकार के रोग : बाजरा की फसल में तीन प्रकार के अरगट, कंडुआ तथा हरित वाली रोग लगता है। इसके बचाव के लिए ब्लाक स्तर पर राजकीय कृषि केंद्रों या कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से सलाह लेकर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। किसानों की आय में बढ़ोत्तरी उप निदेशक कृषि प्रसार डा. एके ¨सह का कहना है कि कृषि विभाग किसानों की आय में निरंतर बढ़ोत्तरी के लिए नई-नई प्रजातियों का संकलन करता है। कावेरी सुपर बॉस बाजरा प्रजाति किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है। इस बीज पर 50 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। किसानों को ब्लाक तथा मुख्यालय से संपर्क में रहकर प्रगति के पथ पर अग्रसर रहना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर खेती करना लाभदायक सिद्ध होगा।