देह दान कर भूपत सिंह ने पेश की मिसाल, अलीगढ़ के मेडिकल छात्रों को मिलेगा लाभ
एटा निवासी भूपत सिंह का निधन हो गया, जिन्होंने 2017 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में देह दान का संकल्प लिया था। उनके पुत्र केपी मौर्या ने निधन के ...और पढ़ें

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, एटा। जिला मुख्यालय स्थित मोहल्ला अंबेडकर नगर निवासी भूपत सिंह का शनिवार की सुबह निधन हो गया। अचानक तबीयत खराब होने पर स्वजन उन्हें तत्काल उपचार के लिए लेकर जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि इसी बीच उन्होंने घर पर ही अंतिम सांस ले ली। भूपत सिंह ने अपने जीवन काल में समाज के लिए एक अनुकरणीय निर्णय लेते हुए वर्ष 21 दिसंबर 2017 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अपना देह दान करने के लिए कार्ड बनवाया था।
एएमयू अलीगढ़ में 21 दिसंबर 2017 को किया था देह दान कार्ड
मृतक के पुत्र केपी मौर्या ने बताया कि वर्ष 2017 में पिता ने देह दान की थी। उनके निधन होने पर मेडिकल कालेज अलीगढ़ को सूचना दी गई और एटा मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में मौत की पुष्टि करने के लिए जांचें कराई गईं। यहां मृत घोषित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग के साथ सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा किया गया। यहां चिकित्सकों और प्रशासन की मौजूदगी में कागजी प्रक्रिया पूरी की गई। इसके उपरांत पिता के पार्थिव शरीर को मेडिकल कालेज अलीगढ प्रशासन के सुपुर्द कर दिया गया।
पिता के साथ पुत्र ने भी देह दान की कर दी है घोषणा
वीरांगना अबंतीवाई स्वशासी मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा. बलवीर सिंह ने बताया कि जहां देह दान का कार्ड बनवाया जाता है, वहां पर ही शव को दिया जाता है। जहां मेडिकल छात्रों की शिक्षा और शोध कार्य में उनका शरीर उपयोग किया जाता है। बताया कि देह दान से मेडिकल छात्रों को मानव शरीर की संरचना और रोगों के अध्ययन में प्रत्यक्ष लाभ मिलता है। इससे उनकी पढ़ाई और प्रशिक्षण को मजबूती मिलती है और भविष्य में बेहतर चिकित्सक तैयार होते हैं।
भूपत सिंह जीवन यापन के लिए राज मिस्त्री का कार्य करते थे और सादा जीवन जीते थे। समाज के प्रति उनकी सोच अत्यंत प्रेरणादायक रही। खास बात यह है कि उनके पुत्र केपी मौर्या ने भी अपना देह दान करने की घोषणा पहले ही कर रखी है। पिता और पुत्र दोनों का यह निर्णय समाज में जागरूकता बढ़ाने वाला है।
क्षेत्र के लोगों ने भूपत सिंह के इस महान कार्य की सराहना की है और कहा कि देह दान जैसे निर्णय से मानवता की सेवा होती है। ऐसे उदाहरण समाज को नई दिशा देते हैं और अन्य लोगों को भी देह दान के लिए प्रेरित करते हैं।

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