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    देवरिया में दर्दनाक हादसा: तीन युवकों की मौत से गांव में पसरा सन्नाटा, नहीं जले चूल्हे

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 03:57 PM (IST)

    देवरिया के लहछुवा गांव में दुर्गा मूर्ति स्थापना के लिए कलश भरने गए तीन युवक सरयू नदी में डूब गए जिससे पूरे गांव में मातम छा गया। मृतकों की पहचान विवेक रणजीत और चंद्रशेखर के रूप में हुई है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमों ने 24 घंटे बाद शवों को बरामद किया। इस घटना से पूरे गांव में शोक की लहर है और परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है।

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    घाट पर रोते-बिलखती मृत विवेक की मां व स्वजन। जागरण

    भगवान उपाध्याय, जागरण, बरहज। थाना क्षेत्र के लहछुवा गांव के युवाओं में दुर्गा मूर्ति को लेकर बीते एक महीने से उत्साह दिख रहा था। नदी में जल भरने गए तीन युवकों के डूबने के बाद पूरे गांव में दुर्गा पूजा की खुशी मातम में बदल गई है। गांव में दो दिन से चूल्हा नहीं चला है।। मंगलवार को शव मिलने के बाद चीख पुकार मच गई। नदी घाट से लेकर गांव तक लोगों के रोने व बिलखने का सिलसिला पूरे दिन चला। घटना के बाद लोग नियति को कोस रहे हैं।

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    सोमवार को दुर्गा प्रतिमा स्थापित करने के लिए गौरा स्थित सरयू नदी के नर्वदेश्वर घाट से कलश भरने गए तीन युवक विवेक उम्र 18 पुत्र बेचन, रणजीत उम्र 17 वर्ष पुत्र अच्छेलाल और चंद्रशेखर उम्र 15 वर्ष पुत्र कोमल नदी में जल भरने के लिए उतरे और नदी में डूब गए।

    पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरफ की टीम नदी में 24 घंटे बाद मंगलवार को खोज कर बाहर निकाला। उसके बाद चीख पुकार मच गई। पहले रणजीत का शव बरामद हुआ और उसके बाद विवेक व चंद्रशेखर का शव बरामद हुआ। तीनों युवकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

    विवेक स्थानीय बीआरडी बीडी पीजी कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष का छात्र था। घर का सबसे होनहार लाडला था। घटना के बाद उसकी मां हौसिला व पिता बेचन सदमे में है। विवेक तीन भाइयों में सबसे छोटा छोटा है।

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    चंद्रशेखर भी अपने परिवार का सबसे छोटा और लाडला बेटा था। वह श्रीकृष्ण इंटर कालेज बरहज में कक्षा नौ का छात्र था। दो बड़े भाई विकास, अभिषेक तथा बहने पूजा, खुशी, नेहा भाई को याद कर बिलख रहे हैं। मां सुधा पर तो जैसे वज्रपात हो गया है। पिता कोमल बदहवास थे।

    तीन भाई और एक बहन में सबसे छोटा रणजीत के घर की माली हालत ठीक नहीं है। रणजीत पेंटिंग का कार्य करता था। दुर्गा पूजा के लिए दोस्तों के बुलाने पर बेंगलुरू से घर आया था। सरयू तट पर मां दुर्गावती और बहन सरस्वती दहाड़े मार कर रो रही थी।