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    UP के इस जिले में कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू नहीं करा अधिकारियों को पड़ा भारी, 28 का रोका वेतन

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 01:08 PM (IST)

    डीएम दिव्या मित्तल ने देवरिया के 28 कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू नहीं होने पर अधिकारियों का वेतन रोक दिया है। इन कार्यालयों को एनआइसी से प्रमाण ...और पढ़ें

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    डीएम ने ई-आफिस के स्थान पर मैनुअली कार्य करने पर लिया संज्ञान। सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, देवरिया। कलेक्ट्रेट समेत कुछ कार्यालयों में ई-आफिस प्रणाली शुरू है, लेकिन कई ऐसे कार्यालय हैं, जहां पत्रावलियों व पत्रों का व्यवहार ई-आफिस के माध्यम से करने की बजाय मैनुअल किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने जिले के ऐसे 28 कार्यालयों में ई-आफिस के माध्यम से काम नहीं किए जाने के बारे में डीएम को अवगत कराया है। इससे नाराज डीएम दिव्या मित्तल ने इन कार्यालयों के अधिकारियों का वेतन रोक दिया है।

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    साथ ही कहा है कि जबतक अपने कार्यालय की पत्रावलियों व पत्रों का व्यवहार ई-आफिस के माध्यम से करने का प्रमाण पत्र एनआइसी के जिला सूचना एवं विज्ञान अधिकारी के माध्यम से प्रस्तुत नहीं करते, तबतक वेतन बाधित रहेगा। डीएम की इस कार्रवाई से खलबली मची है।

    डीएम ने अधीक्षण अभियंता विद्युत, एएसपी, अधीक्षक जिला कारागार, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड देवरिया, सलेमपुर, गौरीबाजार, बरहज व मीटर परीक्षण केंद्र, एसडीएम सदर, एसडीएम सलेमपुर, एसडीएम रुद्रपुर, एसडीएम भाटपाररानी, एसडीएम बरहज, उपायुक्त उद्योग, प्राचार्य उच्च शिक्षा, प्रधानाचार्य राजकीय पालीटेक्निक गौरीबाजार, जिला खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी, प्रधानाचार्य राजकीय आइटीआइ, जिला रेशम अधिकारी, जिला पर्यटन अधिकारी, बाट एवं माप निरीक्षक, जिला सूचना अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी, तहसीलदार देवरिया, तहसीलदार सलेमपुर, तहसीलदार रुद्रपुर, तहसीलदार भाटपाररानी, तहसीलदार बरहज का वेतन बाधित किया है।

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    ई-आफिस प्रणाली से बढ़ेगी पारदर्शिता
    कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी सुशील श्रीवास्तव बताते हैं कि हर फाइल पर नजर रखना आसान हो जाएगा। फाइल किस अधिकारी के पास रुकी है और इसकी वजह क्या है। इसका पता आसानी से चल जाएगा। ई-आफिस प्रणाली में एक ही क्लिक पर सभी फाइलें सामने आ जाएंगी। इससे त्वरित निर्णय लेने में आसानी रहेगी। कार्य में भी सहूलियत रहेगी।

    फाइल कहां रुकी, इसका आसानी से पता चल जाएगा। इससे अधिकारियों या फिर कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो सकेगी। डिजिटल हस्ताक्षर को लागू करने से फाइलों को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इनके नष्ट होने की आशंका भी कम रहेगी।

    ई-आफिस प्रणाली लागू होने से प्रत्येक विभाग को एक साल में पांच से सात लाख रुपये की बचत होगी। पेपर के प्रयोग में कमी आएगी। कई बार सुविधा शुल्क की आस में कर्मचारी फाइलों को रोक लेते हैं लेकिन प्रणाली लागू होने से ऐसी कार्य पद्धति में सुधार आएगा।