Exclusive Interview: अंधविश्वास मिटाने के लिए तर्क ही नहीं, वैज्ञानिक दृष्टि भी रखें युवा
एक विशेष साक्षात्कार में, युवाओं को अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए न केवल तर्क का उपयोग करने, बल्कि वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। युवाओं को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभाने और शिक्षा के माध्यम से जागरूकता फैलाने की सलाह दी गई है।

सुप्रसिद्ध खगोलशास्त्री एवं नेहरू प्लेनेटेरियम मुंबई के व्याख्याता प्रो. एस नटराजन। जागरण
सुधांशु त्रिपाठी, देवरिया। सुप्रसिद्ध खगोलशास्त्री एवं नेहरू प्लेनेटेरियम मुंबई के व्याख्याता प्रो. एस नटराजन का कहना है कि समर्थ, सक्षम और शक्तिशाली भारत के निर्माण के लिए अंधविश्वास का अंधकार मिटाना बेहद जरुरी है। व्यक्ति किसी भी कथ्य और तथ्य पर आंख बंद कर तत्काल भरोसा मत करें। हम सबको तार्किक बनना होगा। आम नागरिकों के साथ ही विशेषकर युवा वर्ग को वैज्ञानिक दृष्टि के साथ प्रश्न करना होगा। मानव समाज के हित में उत्तर तलाशने होंगे।
वह मंगलवार की सुबह डाक बंगले पर जागरण से विशेष बातचीत कर रहे थे। डीएम दिव्या मित्तल के विशेष आमंत्रण पर पहली बार देवरिया आए खगोलशास्त्री ने कहा कि खगोल विज्ञान के माध्यम से जनमानस में फैली भ्रांतियों व अंधविश्वास को दूर करता हूं। हर भारतीय युवा के मन में वैज्ञानिक दृष्टि पैदा करना और अंधविश्वास को दूर करना ही इस जागरुकता अभियान का लक्ष्य है।
खगोल विज्ञान या अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत प्रगति व वर्तमान की स्थिति पर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मिशन मंगल, मिशन चंद्रयान, आदित्य एल-वन जैसे महत्वपूर्ण और साहसिक अभियानों से भारतीय विज्ञानियों की धमक को पूरी दुनिया ने जाना है। आज हम अपने देश से ही अपने राकेट व कैप्सूल्स में लोगों को अंतरिक्ष में भेज सकते हैं। नासा और इसरो में बहुत से भारतीय विज्ञानियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण के दौरान पुरानी भारतीय मान्यताओं व परंपराओं के बारे में क्या कहेंगे? उन्होंने बताया कि बतौर विज्ञानी मैं इसे वैज्ञानिक दृष्टि से देखता हूं। सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण खगोलीय घटनाएं हैं और इससे इतर कुछ और नहीं। मंगल ग्रह का लाल होना, शनि ग्रह के छल्ले, चंद्रमा पर गड्ढे होने के पीछे वैज्ञानिक आधार हैं। मैं तो अपनी कार्यशालाओं और जागरुकता कार्यक्रमों में छात्रों, युवाओं और आगंतुकों को ग्रहण के दौरान चाय-समोसे भी खिलवाता हूं।
खगोल विज्ञान युवाओं के लिए कितना रोजगारपरक है? इस प्रश्न के उत्तर में प्रो. नटराजन ने बताया कि आज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अनेकानेक अवसर हैं। यह अब सिर्फ नक्षत्रशाला (प्लेनेटेरियम) तक ही नहीं, उसके आगे भी बहुत कुछ है। अंतरिक्ष यात्री, वैज्ञानिक, प्रोफेसर बनने के अलावा खगोलीय डाटा एनालिस्ट, मौसम विज्ञानी, शोध कार्य जैसे महत्वपूर्ण रोजगार कर सकते हैं।
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बतौर खगोल विज्ञानी भविष्य की क्या योजनाएं हैं। प्रो. नटराजन ने बताया कि देखिए मैं नेहरू प्लेनेटेरियम मुंबई में 1984 से ही कार्यरत हूं। पिछले एक दशक से देश भर के विभिन्न राज्यों में अबतक 150 शहरों में करीब चार हजार जगहों पर खगोलीय कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक कर रहा हूं। पहले सिर्फ स्कूलों और कॉलेजों में हम कार्यक्रम करते थे, लेकिन अब हाउसिंग सोसाइटीज, होटल्स और पर्यटन स्थलों पर भी कार्यक्रमों में आमंत्रण मिल रहा है।
महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश के कई शहरों में खगोलीय शो कर चुका हूं। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के मेरठ, आगरा, वाराणसी और लखनऊ जैसे शहरों में कार्यक्रम करने हैं। समाज और देश हित में युवाओं की चेतना को वैज्ञानिक दृष्टि देने मानवीय कार्य करना है।

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