Deoria News: तहसील प्रशासन ने भी मजार की प्रविष्टि को बताया संदिग्ध, बढ़ी मुश्किलें; अगली सुनवाई 14 को
देवरिया में मजार और कब्रिस्तान मामले की सुनवाई एएसडीएम कोर्ट में हुई। तहसील प्रशासन की रिपोर्ट में मजार व कब्रिस्तान का पंजीकरण संदिग्ध बताया गया है जिससे मजार पक्ष की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। मजार पक्ष ने आपत्ति के लिए समय मांगा है। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। प्रशासन के अनुसार भूमि 1399 फसली खतौनी में बंजर अंकित थी और पंजीकरण आदेश में भिन्नता पाई गई है।

जागरण संवाददाता, देवरिया। एएसडीएम अवधेश निगम की कोर्ट में सोमवार को मजार व कब्रिस्तान मामले में सुनवाई हुई। दोनों पक्ष सुनवाई के दौरान पहुंचे थे। तहसील प्रशासन की रिपोर्ट कोर्ट को प्राप्त हो गई है। तहसील प्रशासन की रिपोर्ट में मजार व कब्रिस्तान की प्रविष्टि को संदिग्ध बताया गया है।
इससे मुश्किलें बढ़ गई हैं। मजार पक्ष ने इस पर आपत्ति देने के लिए समय मांगा है। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने भी पक्ष रखने के लिए समय की मांग की है। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
गोरखपुर रोड स्थित रेलवे ओवरब्रिज से सटे मेहड़ा नगर अंदर तप्पा धतुरा में मजार व कब्रिस्तान बना है। जिस भूमि पर मजार बना है, वह नान जेड ए की बताई जा रही है। प्रशासन का दावा है कि 1399 फसली खतौनी में बंजर अंकित था।
इसका रकबा 0.124 हेक्टेयर है। वर्ष 1993 में एडीएम वित्त एवं राजस्व के न्यायालय से जारी परवाना के आधार पर मजार व कब्रिस्तान दर्ज किया गया। तहसील व जिला मुख्यालय पर मजार व कब्रिस्तान का नाम अंकन के आदेश के संबंध में कोई पत्रावली या अभिलेख उपलब्ध नहीं मिला तो अपर जिला शासकीय अधिवक्ता जयदीप गुप्ता की ओर से उप्र राजस्व संहिता 2006 के तहत अभिलेख दुरुस्ती का वाद दाखिल किया गया है।
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इस मामले में सदर तहसील प्रशासन ने एएसडीएम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट भेज दी है, जिसमें कहा है कि तहसील के नामांतरण रजिस्टर व खतौनी फसली वर्ष 1399 पर दर्ज आदेश में भिन्नता है। दोनों में न केवल वाद संख्या, आदेश के दिनांक अलग-अलग हैं, बल्कि भूमि के क्षेत्रफल में अंतर है।
संबंधित न्यायालय में वर्तमान समय में पत्रावली उपलब्ध नहीं पाई गई। जिससे प्रथम दृष्टया एडीएम वित्त एवं राजस्व का आदेश संदिग्ध प्रतीत होता है। अपर जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में अब 14 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
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