ऐसे तो समाप्त हो जाएगा मझौलीराज का अस्तित्व
(देवरिया) : इतिहास में मल्लवंश की राजधानी रही मध्यावली राज (मझौलीराज) का अस्तित्व खतरे में है। छोटी गंडक से सटे हजारों एकड़ धूस की भूमि पर खनन माफियाओं की बुरी नजर ने ये हालात पैदा किए हैं। पिछले तीन दशक से अवैध रूप से धूस की काटी जा रही मिट्टी के चलते छोटी गंडक नदी की धारा का आबादी की ओर कभी भी मुड़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है। जिसको लेकर प्रशासन व जनप्रतिनिधि बेखबर हैं।
देश के प्रमुख राजवाड़ों में मध्यावली की एक अलग पहचान रही है। इसे तिलक राज के रूप में जाना जाता था। मल्ल वंश के राजधानी मझौली को ही इतिहास में मध्यावली कहा गया। अवध से लेकर पाटलीपुत्र तक फैले साम्राज्य के चलते इसे मध्यावली कहा गया। मझौलीराज मानो प्रकृति के गोद में वसा है। उप नगर उत्तर-पश्चिम एवं दक्षिण तीन तरफ से छोटी गंडक नदी से घिरा है। यह नदावर से लेकर पयासी होते हुए बड़वा टोला तक गंडक का दक्षिणी किनारा उंचा है। पुराने नदावर से लेकर मझौलीराज चौराहे तक के उत्तर तरफ धूसा व करजवानी टोला वसा है। कहा जाता है कि तीन दशक पूर्व तक धूस की उंचाई सड़क से तकरीबन तीस फूट थी। छोटी गंडक के बाढ़ से बचाव में यह धूस प्रहरी का काम करता था। प्रकृति की मनोरम तस्वीर को खनन माफिया ध्वस्त करने पर अमादा है। तीन दशक से खनन माफियाओं ने अपने करतूत से यहां के भूगोल को ही बदलने में लगे हैं। आज हालात यह है कि रोक के बावजूद मिट्टी काटने का कार्य जारी रहने के कारण यहां बीस-बीस फीट गड्ढा बन गया है। यह आलम जारी रहा तो छोटी गंडक नदी की धारा कभी भी आबादी की ओर मुड़ सकती है, जिससे खनन विभाग से लेकर अन्य जिम्मेदार अफसर तक बेखबर हैं। उधर जन प्रतिनिधियों ने भी कभी चिंता नही जताई। भविष्य में उपनगर के नदी में समा जाने का खतरा बरकरार है।
इनसर्ट
प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई
सलेमपुर/देवरिया: सामाजिक कार्यकर्ता संतोष महाजन ने मिट्टी के कटान के विरोध में जिला प्रशासन से लेकर शासन तक कई बार आवाज उठाई। जिसे सबने अनसुना कर दिया। संतोष के मुताबिक एक वर्ष पूर्व तत्कालीन जिला खनन अधिकारी ने मिट्टी सहित कई ट्रैक्टर ट्राली को चालान करते हुए विधिक कार्रवाई की। लेकिन इसे स्थाई रूप से बंद करने के लिए कोई पहल नहीं हुआ।
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शासन ने कर दिया अनसुना
सलेमपुर/देवरिया: विधायक गजाला लारी से इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मिट्टी काटने की शिकायत मिलने पर प्रशासन से लेकर शासन तक शिकायत की थी। लेकिन शिकायत को अनसुना कर दिया गया। एक बार फिर मामले को उठाया जाएगा।
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