ईशा हत्याकांड: बेटा जेल में काट रहा है उम्रकैद, फैसले से अनजान मां अब भी देख रही है लौटने की राह
चित्रकूट के छिवलहा गांव में दारोगा ज्ञानेंद्र सिंह को ईशा हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है जिससे उनकी बूढ़ी मां राजकुमारी अनजान हैं। उन्हें अब तक बेटे के अपराध के बारे में नहीं बताया गया है और वह आज भी उनके लौटने का इंतजार कर रही हैं। ज्ञानेंद्र ने ईशा से प्रेम विवाह किया और बाद में उसकी हत्या कर दी थी।

संवाद सूत्र, मऊ (चित्रकूट)। दारोगा ज्ञानेंद्र सिंह को दस साल पुराने ईशा हत्याकांड में कानपुर की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुना दी है। लेकिन इस फैसले से अंजान उसकी बूढ़ी मां राजकुमारी आज भी छिवलहा गांव में दरवाजे पर बैठकर बेटे के लौटने की राह देख रही हैं। उन्हें अब तक नहीं बताया गया कि उनका बेटा हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया है।
ज्ञानेंद्र सिंह ने अपनी पहली पत्नी के रहते हुए ईशा से प्रेम विवाह किया था। बाद में उसने ईशा की हत्या कर दी और उसका शव कौशांबी में फेंक दिया। पुलिस ने शव बरामद कर ज्ञानेंद्र को गिरफ्तार किया और तब से वह जेल में ही बंद था। अब अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा दे दी है।
गांव के लोगों को मुकदमे और सजा की पूरी जानकारी है, लेकिन मां को यह कहकर तसल्ली दी जाती रही कि बेटा किसी ड्यूटी पर बाहर गया है। राजकुमारी हर पर्व पर बेटे के आने की बाट जोहती हैं। पिता कुबेर सिंह की पहले ही मौत हो चुकी है, और दूसरा बेटा भी अब इस दुनिया में नहीं है।
ज्ञानेंद्र ही उनका आखिरी सहारा था। गांव वालों के अनुसार, वह पहले अक्सर आता था, खेती-बारी देखता और मां के साथ समय बिताता था।
अब जब अदालत ने सजा सुना दी है, तो सवाल उठता है कि क्या मां को यह कड़वा सच कभी बताया जाएगा? या वह यूं ही बेटे के लौटने का इंतजार करती रहेंगी..? उसके पिता कुबेर सिंह तीन भाई थे।
20 साल पहले पिता की मौत के बाद ज्ञानेंद्र सिंह ने अपने चाचा जनार्दन सिंह और घनश्याम सिंह के साथ जमीन का मुकदमा लगा रखा था।
हालांकि, उसका एक और भाई था लेकिन उसकी भी मौत हो चुकी थी। उसके बाबा रामचंद्र सिंह मऊ कस्बे में स्थित कौशांबी इंटर कालेज में अंग्रेजी के प्रवक्ता थे।
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