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    चित्रकूट कोषागार घाेटाला के मुख्य आरोपित की मौत, प्रयागराज अस्पताल में था भर्ती

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 05:55 PM (IST)

    चित्रकूट कोषागार घोटाले के मुख्य आरोपित की प्रयागराज में मौत हो गई। उसका प्रयागराज के अस्पताल में इलाज चल रहा है। घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार होने के बाद स्वास्थ्य बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मामले की जांच अभी भी जारी है।

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    जागरण संवाददाता, कानपुर। कोषागार घोटाले के मुख्य आरोपित सहायक लेखाकार संदीप श्रीवास्तव की प्रयागराज में इलाज के दौरान मौत हो गई है। फरार चल रहे संदीप को शनिवार को पुलिस ने पकड़ा था और पूछताछ के बाद तबीयत खराब हुई थी। जिसके बाद उसको जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से प्रयागराज रेफर किया गया था। हार्ट अटैक से मौत होने की खबर है।

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    एसआइटी ने पांच घंटे की थी पूछताछ

    जिला कोषागार के अफसरों व कर्मियों ने मिलीभगत कर वर्ष 2018 से 2025 के बीच सात सालों में पेंशनरों के अलग-अलग बैंक खातों में गलत तरीके से मोटी रकम भेजकर फिर वापस ले लिया। उन्हें प्रापर्टी खरीदने की धनराशि बता रकम भेजी गई और 10 प्रतिशत कमीशन का लालच देकर उनसे ही रुपये निकलवाकर बंदरबांट किया गया। यह सब पेंशन व वेतन मद में फर्जी भुगतान आदेशों के माध्यम से किया गया। अब तक जांच में 43.13 करोड़ रुपये की हेराफेरी सामने आई है। शनिवार को घोटाले के मुख्य आरोपित सहायक लेखाकार संदीप श्रीवास्तव को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इसके बाद विशेष जांच दल (एसआइटी) ने पांच घंटे तक बंद कमरे में उससे पूछताछ की थी। पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच अब विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच सकती है। आरोपित संदीप श्रीवास्तव की पूछताछ के दौरान तबीयत बिगड़ गई थी। उसका उपचार कराने के बाद उसे परिवार वालों के सिपुर्द कर दिया गया था।

    10 साल पहले भी हो चुका है घोटाला, तब दबी थी फाइल

    कोषागार विभाग में पहला घोटाला नहीं है। वर्ष 2015 में भी इसी विभाग में करीब 87 लाख रुपये का गबन हुआ था, जिसमें तत्कालीन लेखाकार राजेश कुमार और रोकड़िया मनीष की संलिप्तता सामने आई थी। जिनके खिलाफ रिपोर्ट और निलंबन की कार्रवाई हुई थी। उस मामले की जांच लखनऊ के सतर्कता अन्वेषण संगठन द्वारा की गई थी। उसकी रिपोर्ट को बाद में दबा दिया गया।

    पूछताछ के दौरान संदीप ने यह भी संकेत दिए थे कि घोटाले में विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे। आडिट रिपोर्ट में भी यह माना गया कि वरिष्ठ अधिकारियों की प्रशासनिक निगरानी में गंभीर लापरवाही बरती गई, जिससे इतना बड़ा घोटाला हो सका। एसआइटी प्रभारी सीओ सिटी अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि खाताधारकों से विश्वासघात कर उनके खातों को घोटाले में प्रयोग किया गया। टीम यह पता लगा रही है कि किन-किन लोगों ने इन खातों को सक्रिय रूप से संचालित किया और रुपये का लेनदेन किया। एसआइटी प्रभारी सीओ सिटी अरविंद कुमार ने बताया कि संदीप की शाम को तबीयत बिगड़ गई थी। इलाज के लिए परिवार को सौंप दिया गया था।