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    चंदौली में भारी बार‍िश के बाद देर रात कच्‍चा मकान ग‍िरने से पिता- पुत्र की मौत

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 12:35 PM (IST)

    चंदौली के बुधवारे गांव में एक कच्चा मकान गिरने से पिता और पुत्र की दर्दनाक मौत हो गई। शिवमूरत बिंद (65) और उनके बेटे जयहिंद (35) अपने घर में सो रहे थे तभी मकान का छत गिर गया। मलबे में दबने से दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद गांव में कोहराम मच गया।

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    चंदौली ज‍िले में भारी बार‍िश के बाद कच्‍चा मकान ग‍िरने से पिता- पुत्र की दर्दनाक मौत।

    जागरण संवाददाता, (बबुरी) चंदौली। बुधवारे गांव में शुक्रवार देर रात एक रिहायशी कच्चा मकान गिर गया। जिसकी चपेट में आकर मकान में सो रहे पिता व पुत्र की दर्दनाक मौत हो गई। देर रात मकान के गिरने की आवाज सुनकर स्वजन तथा आसपास के लोग जग गये। मकान को धराशाई देखते ही स्वजन में कोहराम मच गया। लोगों ने भारी मशक्कत के बाद शवों को मलबे से बाहर निकाला।

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    जानकारी के अनुसार बुधवारे गांव निवासी शिवमूरत बिंद (65) अपने बेटे जयहिंद (35) के साथ शुक्रवार की रात अपने कच्चे रिहायशी मकान में एक ही चारपाई पर सो रहे थे। रात लगभग ग्यारह बजे अचानक मकान का छत व एक दीवार भरभरा कर सो रहे पिता- पुत्र के चारपाई पर ही गिर पड़ा। जिसकी जद में आकर शिवमूरत व जयहिंद की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई।

    मकान के गिरने की आवाज सुनकर दूसरे कमरे में सो रहे स्वजन बाहर निकल आए । मकान को धराशाई देख उनके होश उड़ गए । मलबे में पिता तथा पुत्र के दबे होने की स्थिति में स्वजन बिलखने लगे। चीख पुकार सुनकर आसपास के ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए तथा तुरंत मलबे से शिवमूरत व जयहिंद को निकालने का प्रयास करने लगे।

    इस बीच जानकारी होने पर बबुरी पुलिस भी मौके पर पहुंच गई । जैसे ही मृतकों के शव बाहर निकाले गए, घर में कोहराम मच गया। मृतक शिवमूरत की पत्नी राधिका अपने पति और बेटे का निर्जीव शरीर देखते ही अचेत होकर गिर पड़ी। चीख-पुकार और रोने-बिलखने की आवाजों ने पूरे माहौल को गमगीन कर दिया। बबुरी पुलिस ने दोनों शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय चंदौली को भेज दिया ।

    पिता-पुत्र की मौत पर 10 लाख मुआवजे की घोषणा

    बुधवारे गांव में कच्चा मकान गिरने से पिता-पुत्र की मौत की जानकारी मिलने पर नायब तहसीलदार अमित कुमार सिंह और एसडीएम मुगलसराय अनुपम मिश्रा मौके पर पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। अधिकारियों ने बताया कि यह घटना आपदा राहत श्रेणी में आती है, जिसके तहत परिजनों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिलाया जाएगा। एसडीएम ने कहा कि आवश्यक औपचारिकताएं पूरी होते ही तीन दिन के अंदर राहत राशि पीड़ित परिवार के खाते में जमा करा दी जाएगी, ताकि वे आर्थिक रूप से संभल सकें। साथ ही, उन्होंने प्रभावित परिवार को हरसंभव सरकारी मदद दिलाने का आश्वासन भी दिया।

    रक्षाबंधन से पहले भाई की मौत, बहनों की राखियां रह गई सूनी

    बुधवारे गांव में शुक्रवार की रात हुए हादसे ने रक्षाबंधन के त्योहार की खुशियां मातम में बदल दीं। मृतक जयहिंद की दो बहनें रीता व अनिता राखी बांधने के लिए मायके आई हुई थीं। शनिवार सुबह रक्षाबंधन पर भाई की कलाई सजाने और उसका मुंह मीठा कराने का सपना उन्होंने मन में संजोया था, लेकिन त्योहार से ठीक पहले आए इस दर्दनाक हादसे ने सब कुछ छीन लिया। बहनों के हाथों सजने वाली राखियां पड़ी की पड़ी रह गईं। आंखों में आंसू और गले में भर्राई हुई आवाज के साथ वे बार-बार भैया भैया पुकार रही थीं । घर में भाई का शव देखकर वे बेसुध होकर गिर पड़ीं। रो-रोकर उनकी हालत बिगड़ती जा रही थी।

    पत्नी को लेने जाने की थी तैयारी, लेकिन मौत ने पहले ही आ घेरा

    बुधवारे गांव में शुक्रवार रात हुआ हादसा कई दर्दभरी कहानियां छोड़ गया। मृतक जयहिंद की शादी को अभी कुछ ही साल हुए थे। उसकी पत्नी अनिता अपने तीन बेटियों श्रेया, स्नेहा व एंजल के साथ पिछले दो महीने से अपने मायके में थी। घटना के दिन ही जयहिंद ने पत्नी से फोन पर बातचीत की थी। पत्नी ने भाइयों को राखी बांध कर शनिवार को ही घर चलने की इच्छा जताई थी। पत्नी की बात सुनकर जयहिंद ने अगले दिन ससुराल जाकर उसे घर लाने की तैयारी कर ली थी। लेकिन किसे पता था कि नियति ने उसके लिए कुछ और ही लिखा है। रात होते-होते जयहिंद के जीवन की डोर टूट गई और वह मलबे के नीचे हमेशा के लिए सो गया। यह हादसा न केवल एक परिवार की खुशियां छीन ले गया, बल्कि एक पत्नी की जीवनभर की प्रतीक्षा को भी अधूरा छोड़ गया।

    दस घंटे बाद भी नहीं पहुंचे अधिकारी, ग्रामीणों में गहरा रोष

    दर्दनाक हादसे ने जहां पूरे गांव को शोक में डुबो दिया, वहीं प्रशासन की सुस्त कार्यप्रणाली ने लोगों के जख्मों पर नमक छिड़क दिया। हादसे के तुरंत बाद रात एक बजे से ही ग्रामीण सक्षम अधिकारियों को फोन कर घटना की सूचना देते रहे। किसी ने ब्‍लाक, तो किसी ने तहसील और राजस्व विभाग से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन घंटे गुजरते गए और पुलिस के अलावा कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। सुबह पहुंचे किसान नेता राणा प्रताप सिंह के द्वारा जानकारी देने पर नायब तहसीलदार, उपजिलाधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी मौके पर पहुंचे । हादसे के 10 घंटे बीत जाने के बाद भी राजस्व या प्रशासन का कोई अधिकारी गांव में नहीं आया। इससे आक्रोशित राणा प्रताप सिंह ने कहा कि "क्या अधिकारियों के लिए किसी की जान की कीमत इतनी कम है कि उन्हें अभी तक आने की फुर्सत ही नहीं मिली। अधिकारियों की यह लापरवाही बेहद अफसोसजनक है "

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