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लॉकडाउन के दौरान धार्मिक सीरियलों ने रचा सकारात्मक माहौल

रामानंद सागर और बीआर चोपड़ा के अपने जमाने के अति लोकप्रिय धारावाहिक रामायण और महाभारत की लोकप्रियता वर्षों बाद भी बरकरार है। लॉकडाउन के चलते घरों में बंद आमजन के मनोरंजन का जरिया और युवाओं के चरित्र निर्माण में सहायक साबित हो रहे। आधुनिकता और भागमभाग भरे माहौल से इतर युवा वर्ग का टीवी पर प्रसारित हो रहे इन सीरियलों के प्रति रुझान बढ़ा है। अरसे बाद परिवार के लोग एक छत के नीचे बैठे दिखाई दे रहे। वयस्कों व बुजुर्गो में वर्षों

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Apr 2020 05:04 PM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2020 05:04 PM (IST)
लॉकडाउन के दौरान धार्मिक सीरियलों ने रचा सकारात्मक माहौल
लॉकडाउन के दौरान धार्मिक सीरियलों ने रचा सकारात्मक माहौल

जासं, पड़ाव (चंदौली) : रामानंद सागर और बीआर चोपड़ा के अपने जमाने के अति लोकप्रिय धारावाहिक रामायण और महाभारत की लोकप्रियता वर्षों बाद भी बरकरार है। लॉकडाउन के चलते घरों में बंद आमजन के मनोरंजन का जरिया और युवाओं के चरित्र निर्माण में सहायक साबित हो रहे। आधुनिकता और भागमभाग भरे माहौल से इतर युवा वर्ग का टीवी पर प्रसारित हो रहे इन सीरियलों के प्रति रुझान बढ़ा है। अरसे बाद परिवार के लोग एक छत के नीचे बैठे दिखाई दे रहे।

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वयस्कों व बुजुर्गो में वर्षों पहले रामायण और महाभारत के प्रति जो लगाव था वही जुड़ाव आज युवाओं में देखने को मिल रहा है। एमए की पढ़ाई कर रहे मढि़या निवासी देवेंद्र यादव कहते हैं कि लॉकडाउन में पूरा परिवार एक साथ बैठकर महाभारत और रामायण देख रहा है। इससे हमारे परिवार का माहौल भक्तिमय हो गया है। एमएससी के छात्र विवेक का कहना है कि रामायण व महाभारत के बारे में जानते थे लेकिन देखने का समय नहीं मिला। इन दिनों लॉकडाउन में देखने का मौका मिला तो लगता है कि कुछ तो खास है तभी तो उन दिनों इनके प्रसारण के दौरान सड़कें खाली हो जाती थीं। इसे देख कर सुकून मिल रहा है। एमए के छात्र रवि कुमार का कहना है कि कोरोना के चलते नुकसान तो हुआ लेकिन रामायण महाभारत के रूप में अच्छी चीज देखने को मिल रही। जीवन के नैतिक मूल्यों का जो ज्ञान प्राप्त हुआ, वह विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने मात्र से नहीं मिल सकता। बहुत अच्छा लग रहा है दोनों सीरियल देखकर। रामायण के चरित्र दिल के करीब हैं। जबकि महाभारत से काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा। बीए की छात्रा माधुरी यादव का कहना है कि आज के सीरियलों में ऐसी बात कहा जो रामायण में है। रिश्तों की मर्यादा, उनके उल्लंघन के दुष्परिणाम सब कुछ देखने व सीखने को मिल रहा है। ऐसे प्रेरक सीरियल हमेशा दिखाए जाने चाहिएं। हम खुशकिस्मत हैं कि इन धारावाहिकों को देखने का मौका मिला।

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वर्जन.....

रामायण, महाभारत जैसे अपने जमाने के लोकप्रिय धारावाहिकों को लॉकडाउन के दौरान टीवी पर दिखाकर व गाहे बगाहे घर में मौजूद थाली, ताली व मोबाइल फ्लैश दिखाने से हम कहीं न कहीं कोरोना योद्धाओं के साथ समाज की एकजुटता को प्रदर्शित कर रहे हैं। यह एक ऐसी टीम भावना है जो कि आज की इस वैश्विक आपदा में राष्ट्रीय एकजुटता के लिए बेहद जरूरी है। आज परीक्षा की इस घड़ी में अनेकता में एकता की संस्कृति वाला हमारा देश एक साथ सामूहिक बल के साथ खड़ा है।

मनोचिकित्सक प्रो. संजय गुप्ता


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