Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chandauli News: हैंडपंप से निकला पानी 5 मिनट में हो जाता है पीला, दूषित जल के सेवन से गंभीर बीमारियों का खतरा

    By Pradeep Kumar UpadhyayEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Tue, 21 Mar 2023 06:05 PM (IST)

    पानी बर्तन में काई जमा देता है। इस पानी के सेवन से ग्रामीण अक्सर बीमार रहा करते थे लेकिन जब से इसके आर्सेनिक होने की बात सामने आई और पानी के सेवन से पेट व त्वचा की बीमारी का अहसास ग्रामीणों को हुआ तो ग्रामीणों ने इसका सेवन छोड़ दिया।

    Hero Image
    चंदौली: सोनबरसा गांव में हैंडपंप से पानी निकलने के बाद पीला हुआ पानी। जागरण।

    चंदौली, जागरण टीम: जनपद में गंगा के किनारे बसा एक गांव ऐसा भी है, जहां हैंडपंप से निकला पानी पांच मिनट में पीला हो जाता है। शौचालय में डालो तो शौचालय पीला हो जाता है। यह पानी बर्तन में भी काई जमा देता है। इस पानी के सेवन से ग्रामीण अक्सर बीमार रहा करते थे, लेकिन जब से इसके आर्सेनिक होने की बात सामने आई और पानी के सेवन से पेट व त्वचा की बीमारी का अहसास ग्रामीणों को हुआ तो ग्रामीणों ने इसका सेवन छोड़ दिया। दैनिक कार्यों में इसका उपयोग ग्रामीण करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं पीने का पानी 500 मीटर दूरी से लाते हैं। जल निगम के आपूर्ति का पानी पीने के लिए उपयोग करते हैं। लगभग तीन हजार आबादी वाले चहनियां के सोनबरसा गांव की यह समस्या बीते 10 वर्षों से चली आ रही है। लेकिन आश्चर्य यह है कि कोई सुध लेने वाला नहीं है। 

    गांव में लगभग 20 हैंडपंप विभिन्न निधि से लगवाया गया है। हालत यह है कि सभी हैंडपंप का पानी कुछ समय बाद पीले रंग का हो जाता है और इससे दुर्गंध आती है। ग्राम प्रधान व ग्रामीणों ने इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों सहित खंड विकास अधिकारी से किया। 

    कई बार अधिकारी पानी के नमूने भी ले गए। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। ऐसे में ग्रामीण पेयजल के लिए दूसरे गांव का चक्कर लगाने को विवश हैं।

    क्या कहते हैं ग्रामीण

    रचना सोनकर ने बताया कि पेयजल संकट के कारण हम लोग टांडाकला गांव में जाकर जल निगम के आपूर्ति का पानी लेकर आते हैं। क्योंकि इस पानी के सेवन से बीमार होने का खतरा रहता है।

    नीलम सोनी ने बताया कि यहां का पानी दूषित होने के साथ दुर्गंध भी करता है। इस पानी से बर्तन व कपड़े धोने का कार्य किया जाता है। पीने व भोजन बनाने के लिए ग्रामीण दूसरे गांव से पानी लाते हैं। यह समस्या वर्षों से चली आ रही है।

    प्रेम निषाद ने कहा कि आखिर हम लोग कब तक इस जहर युक्त गंदे पानी का सेवन करते रहेंगे। क्योंकि इस पानी का सेवन करने से पेट में दर्द, दांत रोग व हड्डियों में सुजन तथा उल्टी-दस्त की समस्या हो जाती है।

    इन्होंने कहा…

    ग्राम प्रधान प्रतिनिधि आनंद सोनकर ने बताया कि कई बार संबंधित अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया। वहीं हमारे ग्राम सभा में केंद्र सरकार द्वारा हर घर जल नल योजना के तहत जल निगम टंकी का निर्माण होना है। लेकिन कुछ लोगों के अतिक्रमण के चलते कार्य रुका हुआ है। इसके लिए एसडीएम से मिलकर समस्या से अवगत कराया, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। 

    वहीं, चिकित्सा प्रभारी डाॅ. रितेश कुमार ने बताया कि आर्सेनिक युक्त दूषित जल के सेवन से पेट जनित बीमारी के अलावा त्वचा व अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक ऐसे जल के सेवन से त्वचा का कैंसर के अलावा फेफड़े, आमाशय व गुर्दे के कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है।